एक साल में जिले में 18 लोगों की हुई करंट लगने से मौत करंट की चपेट में आम पब्लिक या आवारा पशु ही नहीं आए बल्कि बिजली विभाग में संविदा पर कार्य करने वाले कर्मचारी भी हैं


वाराणसी (ब्यूरो)करंट की चपेट में आम पब्लिक या आवारा पशु ही नहीं आए, बल्कि बिजली विभाग में संविदा पर कार्य करने वाले कर्मचारी भी हैं। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में मजूदर यूनियन संघ के नेता जिउतलाल बताते हैं कि पिछले एक साल में अब तक करीब 8 संविदा कर्मियों की करंट लगने से मौत हो चुकी है।

केस-1

कपसेठी के महिमापुर गांव में पिछले साल जुलाई में बिजली के तार की चपेट में आने से एक युवक की मौत हो गई। युवक ने आवारा पशुओं से फसल को बचाने के लिए खेत के चारों ओर बिजली का तार फैला रखा था। घटना के बाद थाने तहरीर देने के साथ बिजली विभाग में भी जानकारी दी थी।

केस-2

मार्च 2023 में कबीर नगर स्थित तुलसी नगर कालोनी में बारिश के पानी में करंट उतर गया था। जिसकी चपेट में आने से एक महिला व एक पुरुष की मौत हो गई थी। स्ट्रीट लाइट की वजह से पानी में करंट उतरा था। इस घटना से दो दिन पहले ही दो गायों की भी करंट लगने से मौत हो चुकी थी। दोनों मृतकों को मुआवजा दिलाने के लिए बिजली विभाग में शिकायत की गई थी।

ये तो सिर्फ दो केस है। इस तरह के 10 लोग और दर्जनभर से ज्यादा पशु पिछले एक साल में करंट की चपेट में आने से दम तोड़ चुके हैं। इसके बावजूद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की ओर से अब तक इन घटनाओं को रोकने को लेकर कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए। बरसात के दिनों में तो सबसे ज्यादा घटनाएं होती है। अगर सड़क पर जलभराव हो गया और उसमें करंट उतर गया तो एक साथ कई लोग उसकी चपेट में आ जाते हैं।

8 संविदाकर्मियों की भी हुई मौत

करंट की चपेट में आम पब्लिक या आवारा पशु ही नहीं आए। बल्कि बिजली विभाग में संविदा पर कार्य करने वाले कर्मचारी भी हैं। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में मजूदर यूनियन संघ के नेता जिउतलाल बताते हैं कि पिछले एक साल में अब तक करीब 8 संविदा कर्मियों की करंट लगने से मौत हो चुकी है। उनका कहना हैं कि अभी तक जितने भी कर्मियों की मौत हुई है। इन सबका जिम्मेदार विभाग है। इन्हें पोल पर लाइन बनाने के लिए चढ़ा तो दिया जाता है, लेकिन सेफ्टी किट उपलब्ध नहीं होती है। जबकि इसके लिए कई बार जिम्मेदारों को बोला जा चुका है। हालांकि, परमानेंट कर्मचारियों के पास सब व्यवस्था है।

मुआवजे से पहले होती है जांच

बिजली विभाग के आंकड़ों की मानें तो जनवरी 2023 से अब तक बनारस जिले में करीब 18 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें 10 आम पब्लिक तो 8 बिजली विभाग के संविदाकर्मी हैं। इसके अलावा दर्जनभर से ज्यादा आवारा पशु है। मृतकों के परिजनों ने मुआवजे के लिए विभाग में आवेदन दिया था। मुआवजे के तौर पर उन्हें 5 लाख रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है। आवेदन मिलने के बाद उसकी जांच होती है, जिसमें यह स्पष्ट किया जाता है कि इस घटना मे बिजली विभाग की गलती थी या मृतक की स्वयं की। ये स्पष्ट होने के बाद उसे मुआवजे की राशि दे दी जाती है। अभी तक आधे से ज्यादा लोगों को मुआवजा दिया गया है।

अभी मुझे कार्यभार संभाले कुछ ही दिन हुए है। जिस किसी एरिया में भी करंट उतरने या तार कटे होने की वजह से मौते हुई हैं या तार लटक रहे हैं। वहां जांच कराकर व्यवस्था को दुरुस्त कराया जाएगा।

एके सिंघल, चीफ इंजीनियर-पीवीवीएनएल

Posted By: Inextlive