सरकारी अस्पतालों के लिए डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी एक बड़ी चुनौती डीडीयू में 50 प्रतिशत कर्मचारी तो मंडलीय के पास आंकड़ा ही नहीं

वाराणसी (ब्यूरो)बनारस के सरकारी अस्पतालों में मरीजों का सबसे अधिक दबाव है। इस वजह से डाक्टरों व नर्सों पर मरीजों का लोड बढ़ा है। विडंबना यह है कि 50 फीसदी डाक्टर व कर्मचारियों की कमी के कारण मरीजों को पर्याप्त व्यवस्था नहीं मिल पाती है। इसके चलते मरीज इलाज के लिए निजी चिकित्सालय में जाने को मजबूर हैं, जहां उनका जमकर आर्थिक शोषण किया जाता है। मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा हो या पं। दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय, दोनों अस्पतालों में अव्यवस्थाएं देखने को मिलती हंै.

डीडीयू अस्पताल के आर्थो डिपार्टमेंट के बाहर मरीजों की भीड़ लगी थी। अंदर डाक्टर पर्ची के हिसाब से एक-एक करके मरीज को बुला रहे थे और देख रहे थे। इस दौरान कई सीरियस मरीज व उनके तीमारदार परेशान हो रहे थे, लेकिन डाक्टर बेबस नजर आ रहे थे। कारण डाक्टरों की कमी और मरीजों का बढ़ता दबाव है। एक डाक्टर सौ से अधिक पेशेंट देख रहे हैैं। यह नजारा कमोबेश हर सरकारी अस्पताल के हर डिपार्टमेंट का है.

शहर के डीडीयू और मंडलीय अस्पताल को हर साल कायाकल्प अवार्ड से नवाजा जाता है, लेकिन यहां सुविधाओं के अभाव में मरीज परेशान रहते हैं। आपको बता दें कि यहां कुछ महीनों के अंतराल में केंद्र की टीम सर्वेक्षण के लिए भी आती है, लेकिन वर्तमान व्यवस्थाओं को सुधार कराकर दिखा दिया जाता है और फिर उसी ढर्रे पर चलने लगती है। यहां प्रतिदिन हजारों मरीजों का आना होता है, इसके बावजूद दोनो अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं.

यहां स्पेशलिस्ट भी पूरे नहीं

पंडित दीनदयाल उपाध्याय में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भी कमी देखने को मिलती है, जिन्हें इस गर्मी में उनके कमरों में एसी तक की सुविधाएं नहीं दी जाती है। बताया जाता है कि लगभग सात साल पहले गवर्नमेंट पॉलिसी के तहत एक सुपर स्पेशलिस्ट आए थे, लेकिन कुछ ही दिन बाद चले गए। हॉस्पिटल में शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से भी मरीजों की संख्या अधिक आती है.

सुपर स्पेशलिस्ट जरूरी

अस्पताल में कुछ विभाग ऐसे हैं, जिनमें सुपर स्पेशलिस्ट की जरूरत होती है। इनमें न्यूरो, कार्डियो, यूरोलॉजिस्ट, प्लास्टिक सर्जन व अन्य कुछ विभाग शामिल हैं, लेकिन न तो पंडित दीनदयाल में हैैं और न ही मंडलीय अस्पताल में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं.

चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी

सरकारी अस्पतालों की बदहाली से मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। सरकार लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा और जनता को बेहतर इलाज देने की ताकीद करते रहते हैं, लेकिन चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी के चलते मरीज इलाज के लिए निजी चिकित्सालयों में जाने को मजबूर हो रहे हैं। जहां उनका जमकर आर्थिक शोषण किया जाता है। वहीं सरकार द्वारा घोषित स्वास्थ्य योजनाएं पूरी तरह से कागज पर ही दिखाई दे रही हैं। इसका जीता जागता उदाहरण पं। दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में देखने को मिल रहा है.

मंडलीय अस्पताल में स्टाफ की कमी

मंडलीय अस्पताल में भी डॉक्टरों के साथ-साथ कर्मचारियों की कमी भी देखी गई है। मंडलीय अस्पताल के प्रशासन विभाग का ये हाल है कि यहां डॉक्टरों की संख्या तो मौजूद है, लेकिन उनके मोबाइल नंबर और अन्य जानकारी नहीं मिल सकती है। इतना ही नहीं, कर्मचारियों का कोई आंकड़ा इनके पास मौजूद नहीं है। अस्पताल में कर्मचारियों की कमी के चलते आए दिन यहां मरीजों को परेशानी होती है। खासतौर से रात्रि सेवा में तो कर्मचारियों के नदारद होने से मरीजों को खामियाजा भुगतना पड़ता है.

वीआईपी डयूटी में भी तैनाती

चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी के चलते दूरदराज से आने वाले मरीजों को जहां परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं पीएम का संसदीय क्षेत्र होने के कारण आए दिन चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ की ड्यूटी आने वाले वीआईपी की सेवा में लगा दिए जाने के कारण स्थिति और भी विकट हो जा रही है। मंडलीय अस्पताल और पंडित दीनदयाल अस्पताल से अधिकतर डॉक्टरों को वीआईपी के आने पर जाना ही पड़ता है.

मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़े

बारिश होने के बाद बढ़ी उमस के बीच मरीजों की अस्पतालों में 20 फीसद से अधिक भीड़ बढ़ गई है। उल्टी-दस्त, डायरिया व चर्म रोग के ज्यादा मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल, पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के साथ ही पीएचसी व सीएचसी में मरीजों की कतारें लगी हैैं। मंडलीय अस्पताल में सामान्य दिनों में 1100-1200 मरीज पहुंचते हैं लेकिन यह आंकड़ा 1400 पहुंच गया। उल्टी-दस्त व डायरिया के बढ़े मरीजों से तीनों इमरजेंसी भर गई। वहीं, सात नंबर का मेल वार्ड व बच्चा वार्ड भी मरीजों से भरा रहा। उधर, डीडीयू अस्पताल में सामान्य दिनों में 500 से 600 मरीज पहुंचते हैं लेकिन यहां भी सामान्य दिनों की अपेक्षा करीब 200 मरीज ज्यादा पहुंचे.

ये हैैं औसत आंकड़े

-पंडित दीनदयाल में प्रतिदिन 700 ओपीडी

-एक डॉक्टर देखते हैं औसतन सवा सौ मरीज

-कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में प्रतिदिन 1200 मरीज

-एक डॉक्टर देखते हैं औसतन 80 से 90 मरीज

हमारे बेड के मुकाबले कर्मचारियों की कमी जरूर है, लेकिन समय-समय पर शासन को पत्र लिखा जाता है। जो भी कमी है उसे शासन से मिली जानकारी के मुताबिक जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.

डॉआरके यादव, सीएमएस, डीडीयू

हमारे पास डॉक्टरों की कमी है, लेकिन जल्द ही पूरा कर दिया जाएगा। वहीं कर्मचारियों की जानकारी मुझे प्रशासन से मंगवाना पड़ेगा, अभी कर्मचारियों की जानकारी मेरे पास नहीं है.

डॉहरिचरण सिंह, एसआईसी, मंडलीय अस्पताल

Posted By: Inextlive