-शहर में संचालित हो रहे हैं अवैध होटल, पेइंग गेस्ट हाउस

-टूरिज्म डिपार्टमेंट को कैंट एरिया में बिना लाइसेंस के संचालित हो रहे होटलों का चला पता, कार्रवाई की तैयारी

दुनिया के प्राचीनतम नगरों में शामिल बनारस में आना हर किसी का सपना होता है। यहां की संस्कृति, गंगा घाट, आरती, विश्वनाथ मंदिर, मठ, ठंडई, कचौड़ी-जलेबी और बनारसी मौज-मस्ती का आनंद लेने के लिए हर रोज हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। जो अधिकतर कैंट रेलवे स्टेशन के सामने होटल और गेस्ट हाउस में ठहरते हैं। इन पर्यटकों के सामने किसी भी वक्त बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। यह पढ़कर चौकिए मत, यह सही है। कैंट रेलवे स्टेशन के ईर्द-गिर्द अधिकतर होटल अवैध हैं जो बिना लाइसेंस ही चल रहे हैं और अवैध कारोबार का अड्डा बन गए हैं।

50 अवैध होटलों का चला पता

सिगरा थाना क्षेत्र के परेड कोठी, विजय नगरम, कैंट रेलवे स्टेशन के सामने 200 से अधिक छोटे-बड़े होटल और गेस्ट हाउस हैं। सामान्य दिनों जहां हर दिन एक हजार से अधिक पर्यटक ठहरते हैं। लेकिन कई होटल इसका डाटा एलआईयू को शेयर नहीं करते हैं। एलआईयू की रिपोर्ट पर पर्यटन अधिकारी दिव्या त्रिपाठी के नेतृत्व में टीम ने इन क्षेत्रों में संचालित होटलों की जांच-पड़ताल की तो 50 से अधिक होटल ऐसे मिले, जिनके पास लाइसेंस ही नहीं है। पड़ताल की जानकारी होने पर कई होटल और गेस्ट हाउस बंद कर संचालक फरार हो गए।

यहां सबकुछ होता है

-बिना लाइसेंस के संचालित होने वाले होटल और गेस्ट अवैध कारोबार का अड्डा बन गए हैं।

-क्षेत्र में अरसे से चल रहे देहव्यापार के धंधे में सहायक साबित होते हैं

-यहां लड़कियों के साथ आने वालों को हर सुविधा मुहैया करायी जाती है

-शहर और दूसरे जिलों, प्रदेश के अपराधी इन अवैध होटलों को अपनी शरणस्थली बनाते हैं

-कैंट के कई होटलों में जुआ और सट्टेबाजी का पता भी चला है

-ड्रग्स और हथियार तस्करों के लिए काफी मुफीद हैं

-रजिस्टर मेंटेन करने से लेकर कैमरा तक का कोई नियम पालन नहीं होता

पुलिस सब जानती है

शहर में अवैध होटल, गेस्ट हाउस संचालित हो रहे हैं ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी पुलिस को नहीं है। सबकुछ उनके संरक्षण में होता है। जांच में नाम उजागर होने के बाद भी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है। लॉकडाउन के दौरान सभी होटल पूरी तरह से बंद थे, लेकिन अनलॉक में फिर से चांदी हो गई। यह सब जानते हुए भी पर्यटन विभाग और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है। शहर में जितने रजिस्टर्ड होटल, गेस्ट हाउस हैं उससे दो गुना अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।

एनओसी है जरूरी

शहर में कैंट रेलवे स्टेशन के सामने से लेकर गंगा घाट के किनारे तक कुछ लोग बिना सराय एक्ट में पंजीयन कराए होटल और गेस्ट हाउस संचालित कर रहे हैं। नियमानुसार एडीएम (प्रोटोकाल) के यहां होटल और गेस्ट हाउस का सराय एक्ट में पंजीयन होना चाहिए। पंजीयन से पहले एडीएम प्रोटोकाल तहसील, नगर निगम, जलकल, पर्यटन, लोक निर्माण, एलआईयू, पुलिस, बिजली सुरक्षा और विकास प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मांगते हैं। सभी विभागों की एनओसी आने पर उनका सराय एक्ट में पंजीयन होता है।

ऐसे होता है खेल

होटल और गेस्ट हाउस के लिए विकास प्राधिकरण से व्यावसायिक भवन का नक्शा पास होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता है। ज्यादातर होटल और गेस्ट हाउस आवासीय स्वीकृत मानचित्र में संचालित हो रहे हैं। एडीएम प्रोटोकाल के यहां से एनओसी मांगी जाती है तो वीडीए के जोनल और अवर अभियंता यह नहीं लिखते कि मानचित्र आवासीय या व्यावसायिक स्वीकृत है। वे सिर्फ यह लिखते हैं कि वीडीए से मानचित्र स्वीकृत है।

रक्षा सम्पदा की है जमीन

कैंट रेलवे स्टेशन सामने अंधरापुल से लेकर इंग्लिशिया लाइन तक रक्षा सम्पदा की 168 एकड़ जमीन है। जिस पर रेजीडेंसियल और कमर्शियल बिल्डिंग खड़ी हैं। नियमानुसार कोई भी व्यक्ति रक्षा सम्पदा की जमीन खरीद नहीं सकता है, लेकिन लीज में ली जा सकती है। एक दशक पहले बहुत से लोगों ने लीज पर जमीन लेकर होटल-गेस्ट हाउस का निर्माण कराया है, लेकिन इसके बाद इस जमीन को लेकर न्यायालय में केस चल रहा है। क्षेत्रीय लोगों के अनुसार रक्षा सम्पदा की जमीन होने के कारण लाइसेंस लेने में दिक्कत आ रही है। इस जमीन पर अवैध होटल और गेस्ट हाउस तन गए हैं।

कई होटल, गेस्ट मठ हैं बनारस में

400

होटल और गेस्ट हाउस सराय एक्ट में हैं पंजीकृत

992

धर्मशाला, मठ, मुसाफिरखाना हैं शहर में

10

लाख से अधिक टूरिस्ट आते हैं सामान्य दिनों बनारस

168

एकड़ जमीन है रक्षा सम्पदा की

50

अवैध होटलों की मिली जानकारी

लाइसेंस लेना आसान नहीं

एडीएम प्रोटोकाल एनओसी के लिए संबंधित विभाग को पत्र भेजते हैं। वहां से लेना संचालक हो आसान नहीं है। हर विभाग में एनओसी का रेट फिक्स है। जब तक पैसा नहीं देंगे एनओसी नहीं मिलेगी। कलेक्ट्रेट परिसर में कुछ लोग होटल और गेस्ट हाउस का सराय एक्ट में पंजीयन कराने का ठेका भी लेते हैं। इसका दो से ढाई लाख रुपये रेट है।

वर्जन

बिना लाइसेंस के होटल और गेस्ट हाउस संचालित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पर्यटन विभाग को शहर में संचालित अवैध होटल और गेस्ट हाउस की जांच-पड़ताल करने का निर्देश दिया गया है। बिना लाइसेंस शहर में कोई भी होटल-गेस्ट हाउस संचालित नहीं होंगे।

-बच्चू सिंह, एडीएम प्रोटोकाल

Posted By: Inextlive