काशी के महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी में विदेशी भाषाओं के स्टूडेंट तो हैं टीचर्स नहीं. इसकी वजह से यहां क्लास ही नहीं चल रही. ऐसी ही परिस्थितियों में वर्ष 2019-20 और 2020-21 के छात्रों को एक साथ बिना एक भी क्लास चले और एग्जाम लिए प्रमोट कर दिया गया. यही नहीं वर्ष 2020-21 के स्टूडेंट्स को अब तक एक भी क्लास नहीं कराई गई. ऐसे में कहा जा सकता है कि यहां फॉरेन लैंग्वेज की पढ़ाई के नाम पर सिर्फ ठप्पा लगाया जा रहा है.

वाराणसी (ब्यूरो)अब यदि बिना पढ़ाए या एग्जाम लिए ही स्टूडेंट प्रमोट होते रहेंगे तो उनको दी जाने वाली डिग्री कितनी कारगर होगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। यही नहीं अब यूनिवर्सिटी कह रही है कि दूसरे वर्ष एग्जाम में मिलने वाले अंकों के आधार पर पहले वर्ष के अंक दिए जाएंगे।

एक साथ किया प्रमोट
संस्कृत यूनिवर्सिटी में फॉरेन लैंग्वेज में डिप्लोमा करने वाले दो वर्ष के स्टूडेंट्स को बिना पढ़ाई और एग्जाम कराए ही प्रमोट कर दिया गया। इसमें 2019-20 और 2020-21 सत्र के स्टूडेंट शामिल थे। यही नहीं अब यूनिवर्सिटी की ओर से ये व्यवस्था बनाई गई है कि दोनों वर्ष के स्टूडेंट्स एक साथ सेकेंड ईयर की क्लास ज्वाइन करेंगे।

शिक्षकों की है कमी
संस्कृत यूनिवर्सिटी में फॉरेन लैंग्वेज के टीचर्स सिर्फ गेस्ट फैकल्टी के रूप में ही आते हैं। यहां नियमित टीचर्स की नियुक्ति नहीं है। वर्ष 2020-21 के छात्रों के लिए यहां न तो कोई शिक्षक आए और न ही ऑनलाइन क्लासेस चल सकीं। वर्ष 2019-20 के छात्रों को पहले साल कुछ क्लास कराई गई, लेकिन उसके बाद वे भी अब क्लासेस शुरू होने का इंतजार ही कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को ऑफलाइन क्लास कराने के निर्देश मिले थे, लेकिन शिक्षकों की कमी के चलते एक भी क्लास नहीं चल सकी।

फ्रेंच और जर्मन लैंग्वेज की मांग
यूनिवर्सिटी में सबसे अधिक स्टूडेंट फ्रेंच और जर्मन के हैं। इन भाषाओं में अधिक रोजगार की संभावना रहती है। ऐसे में बच्चों को अगर पहले साल में पढ़ाया ही नहीं गया तो दूसरे साल में वे अपने कोर्स को किस प्रकार समझ पाएंगे।

मार्कशीट को लेकर ऊहापोह
संस्कृत यूनिवर्सिटी में फॉरेन लैंग्वेज पढऩे वाले स्टूडेंट्स को दूसरे साल में प्रमोट तो कर दिया गया, लेकिन अब कहा जा रहा है कि उन्हें दूसरे साल में मिलने वाले अंक के आधार पर ही पहले साल के नंबर भी दिए जाएंगे। ऐसे में स्टूडेंट्स अब अपने अंकों को लेकर असमंजस में हैं कि आखिर उन्हें पहले साल के नंबर कैसे मिलेंगे। यूनिवर्सिटी के लोग भी इस फैसले को अटपटा बता रहे हैं।

यूनिवर्सिटी में फॉरेन लैंग्वेज के स्टूडेंट
वर्ष 2019-20
फ्रेंच - 83
जर्मन - 34
रसियन - 26
तिब्बती - 13
नेपाली - 3
अंग्रेजी - 17
वर्ष 2020-21
फ्रेंच - 55
जर्मन - 13
रसियन - 9
तिब्बती - 5
नेपाली - 4
अंग्रेजी - 12

यूनिवर्सिटी में फॉरेन लैंग्वेज की दशा को बेहतर करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। जहां तक सवाल पहले साल के एग्जाम का है तो शासन के निर्देशानुसार ही फैसला लिया गया है कि दूसरे वर्ष में आयोजित परीक्षा में मिले अंको के आधार पर पहले वर्ष के अंक तय होंगे।
प्रो हरेराम त्रिपाठी, कुलपति

Posted By: Inextlive