Varanasi: अंदेशा तो हमें पहले से ही था कि अपना उल्लू साधने के बाद ये बहुरूपिये स्माइल पिंकी को एक बार फिर बदहाली की गर्त में धकेल देंगे. और हुआ भी वही. हम पिंकी के विम्बलडन से वापसी पर उसके जोरदार स्वागत की उम्मीद कर रहे थे. ये आस महज इसलिए थी क्योंकि जाते वक्त 'होंठ कटियाÓ पिंकी का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर साहब और स्माइल ट्रेन के लम्बरदारों ने उसकी विदायी में बैंड बाजा बजवाया था. लेकिन जब पिंकी लौटी तो इन नामुरादों ने किसी को खबर नहीं की और बाबतपुर एयरपोर्ट से ही गुपचुप तरीके से सीधे मिर्जापुर जिले में अहरौरा के रामपुर ढबहीं स्थित उसके घर भेजवा दिया. बनारस पहुंचने पर इन लोगों ने पिंकी और उसके पापा राजेंद्र सोनकर से चाय पानी तक के लिए नहीं पूछा.


फिर बैतलवा डाल पर
दस जुलाई बुधवार को दोहर दो बजे गांव पहुंचने के बाद पिंकी की जिंदगी फिर पुराने ढर्रे पर लौट आयी। एक हफ्ते के ब्रिटेन प्रवास के दौरान विम्बलडन से लेकर लंदन ट्रिप तक कह जिंदगी में बेशक बेशुमार चकाचौंध थी लेकिन अब वह घर के बाहर टिमटिमाते सोलर लाइट के सहारे अपनी जिंदगी के अंधियारे को दूर करने कि कोशिश कर रही है। हमने विम्बलडन के मेन्स सिंगल्स के फाइनल मैच में पूरे कॉन्फिडेंस के साथ दर्शकों की तरफ हाथ हिलाते उसे टीवी पर देखा था। लेकिन शनिवार को जब हम उसके गांव पहुंचे तो हमारा अपना कॉन्फिडेंस शेक कर गया। लंदन में शानदार पार्टी अटेंड कर लौटा राजेन्द्र सोनकर जमीन पर बैठ कर एल्युमिनियम की थाली में सूखी भात नमक के साथ खा रहा था। बहन अंजू गले में पिंकी को मिली मोती की माला तो पहनी थी लेकिन उसके हाथ कढ़ाई मांजने में लगे थे।हम पहुंच गये स्कूल


पिंकी को पूछा तो पता चला कि वो स्कूल गयी है। हमने उसके पिता को साथ लिया और पहुंच गये सेंट एगनेस वी। कॉनवेंट स्कूल जहां 11 साल की पिंकी क्लास वन में पढ़ती है। हमने वहां उससे बात की। वह हमसे लंदन यात्रा के बारे में बात तो कर रही थी लेकिन उसके चेहरे पर मुर्दनी सी छायी हुई थी। लेकिन वह सवाल का जवाब बिल्कुल सटीक जवाब भी दे रही थी। उसके कपड़े बेहद मैले थे। बाल भी पुराने ढर्रे पर ही थे। हमने राजेंद्र सोनकर से उसकी जरूरतों के बारे में पूछा तो उसने कहा कि नौकरी मिल जाए तो जिंदगी पटरी आ जाए।वाह रे चेयरमैन साहब!हमने इस बारे में स्कूल के चेयरमैन विजय सिंह से बात की। उन्हें पूरा हाल बताया। विजय सिंह ने बताया कि पिंकी पिछले तीन सालों से उनके यहां पढ़ रही है। उसे उन्होंने काफी मदद भी की है। लेकिन इस बार हमारी गुजारिश पर उन्होंने जो कुछ ऐलान किया वो काबिले तारीफ था। विजय सिंह ने पिंकी के पिता राजेंद्र को स्कूल में बतौर प्यून नियुक्त करने, उन्हें पर मंथली पांच हजार रुपए सेलरी देने, पिंकी की पूरी पढ़ाई लिखाई का खर्च उठाने और उसके कपड़ों की जिम्मेदारी भी उठाने का भी ऐलान कर दिया। विजय का कहना था कि उनहोंने स्माइल पिंकी के बारे में आई नेक्स्ट के कवरेज को देखा है और उससे वो काफी अभिभूत हैं।बना कमरा, मना जश्न

शनिवार को ही पिंकी के स्कूल में उसके विम्बलडन में शिरकत करने का जश्न मना। स्कूल के एक क्लास रूम का नाम पिंकी पर रखा गया। इस कमरे में पिंकी से जुड़ी यादें संजोयी जाएंगी। इससे स्कूल के बाकी बच्चों को इंस्पायर करने का प्रयास किया जाएगा। स्कूल के मैनेजमेंट का कहना है कि आस्कर अवार्ड विनिंग फिल्म 'स्माइल पिंकीÓ की रीयल किरदार पिंकी सोनकर हमारे सोसायटी के प्रेरणा की स्रोत है।Thank you i next अपने लिए इतना सब होने की घोषणा सुनकर पिंकी और उसकी फैमिली के लोग काफी अभिभूत थे। मां शिमला देवी को देख ऐसा लग रहा थे जैसे उसके सारे अरमान पूरे हो गये हों। राजेंद्र सोनकर भी अब सोमवार 15 जुलाई से अपनी नयी नौकरी पर जाने को लेकर काफी उत्सुक था। पिंकी वाकई मुस्कराने लगी थी। उसने कहा भी थैंक यू आई नेक्स्ट। राजेंद्र ने कहा कि वो इस एहसान को कभी भूल नहीं सकेगा।

Posted By: Inextlive