वाराणसी में गंगा में नावों के इंजन से फैल रहे धुएं के कारण बढ़ते प्रदूषण पर पीएम ने चिंता जताई थी. उनका सपना था कि गंगा को ईंधन और ध्वनि दोनों प्रदूषण से मुक्त किया जाए. इसे देखते हुए देव-दीपावली में सभी इंजन से चलने वाली नावों को सीएनजी में कंवर्ट कर दिया जाएगा

पीएम नरेंद्र मोदी का एक और सपना साकार होने के कगार पर है। पिछली देव दीपावली पर क्रूज से गंगा की सैर के दौरान जहरीले धुएं और बोट के शोर से प्रदूषित हो रही गंगा से वह काफी आहत हुए थे। उन्होंने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की इच्छा जताई थी, जिसे यूपी सरकार ने साकार कर दिया। अब गंगा में डीजल बोट नहीं चलेगी। फिलहाल दो सौ बोट में सीएनजी किट लग चुका है। शेष तीन 300 मोटर बोट को 19 नवंबर देव दीपावली तक सीएनजी से चलाने का लक्ष्य है। गंगा दुनिया की पहली नदी होगी, जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी आधारित बोट चलेंगी।

धुएं व तेज आवाज से मिलेगी मुक्ति
धर्म नगरी काशी में आने वाले पर्यटक गंगा में बोटिंग कर अर्धचंद्राकार घाटों के किनारे सदियों से खड़ी इमारतों, मंदिर-मठों का दीदार करते हैं। अब पर्यटकों को बोटिंग करते समय जहरीले धुएं से निजात और बोट की तेज आवाज नहीं सुनाई देगी। सभी डीजल आधारित बोटों को देव दीपावली तक सीएनजी आधारित करने का लक्ष्य है। वाराणसी दुनिया का पहला शहर होगा, जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी से नावों का संचालन होगा। गंगा में फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन की भी योजना है। इससे गंगा के बीच में भी सीएनजी भरी जा सकेगी।

मुफ्त में लग रहा सीएनजी किट
डीजल बोट को सीएनजी में कनवर्ट करने का काम गेल इंडिया कम्पनी सोशल रिस्पांसबिल्टी के तहत कर रही है। करीब 29 करोड़ के बजट से 1700 छोटी और बड़ी नाव में सीएनजी इंजन लगया जा रहा है। इसमें छोटी नाव पर करीब 1.5 लाख का खर्च आ रहा है, जबकि बड़ी नाव और बजरा पर लगभग 2.5 लाख का खर्च है। नाविकों के नाव में सीएनजी किट मुफ्त लगाया जा रहा है।

डीजल इंजन वापस लेगी गेल
स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुमन कुमार राय ने बताया कि जिस नाव पर सीएनजी आधारित इंजन लगेगा, उस नाविक से डीजल इंजन वापस ले लिया जाएगा। घाट पर ही डाटर स्टेशन हैं। जेटी पर डिस्पेंसर भी लग गया है। नाविकों का कहना है कि सीएनजी इंजन से आधे खर्चे में दुगनी दूरी तय कर रहे हैं। धुआं और तेज आवाज नहीं होने से पर्यटकों को भी अच्छा लग रहा है।

सीएनजी से प्रदूषण भी होगा कम
सीएनजी आधारित इंजन डीजल और पेट्रोल इंजन के मुक़ाबले 7 से 11 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है, वहीं सल्फर डाइऑक्सइड जैसी गैसों के न निकलने से भी प्रदूषण कम होता है। डीजल इंजन से नाव चलाने पर जहरीला धुआं निकलता है जो आसपास रहने वाले लोगों के लिए बहुत हानिकारक है, जबकि सीएनजी के साथ ऐसा नहीं है।

ऐतिहासिक धरोहरों रहेगी सेफ
डीजल इंजन की तेज आवाज से कंपन होता है, जिससे इंसान के साथ ही जलीय जीव-जन्तुओं पर बुरा असर पड़ता है। इको सिस्टम भी खराब होता है। इसके साथ ही घाट के किनारे हजारों सालों से खड़े ऐतिहासिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंच रहा था। डीजल की अपेक्षा सीएनजी कम ज्वलनशील होती है। अत: इससे चालित नौकाओं से आपदाओं की आशंका कम होगी.

देव-दीपावली तक सभी बोट होंगी सीएनजी
गंगा में करीब 1700 छोटी-बड़ी नावें चलती हैं। इनमें से करीब 500 बोट डीजल इंजन से चलने वाली है। करीब 177 बोट में सीएनजी इंजन लगा चुका है। बचे हुए मोटर बोट को देव दीपावली तक सीएनजी इंजन से चला देने का लक्ष्य है।
-डी वसुदेवम, जीएम स्मार्ट सिटी

Posted By: Inextlive