-6 करोड़ से लीकेज और पेयजल पाइप के गैप को दुरुस्त करेगा जल निगम

-शहर में जल्द शुरू होगा रडार से सर्वे

बनारस के पुराने इलाकों में बिछी पेयजल पाइपलाइन में सौ से अधिक गैप और पांच सौ से अधिक लीकेज है, जिससे रोज 11 करोड़ लीटर पानी बर्बाद होता है। यही वजह है कि लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। कई इलाके ऐसे भी हैं, जहां हर दिन पानी के लिए हाहाकार की स्थिति रहती है, लेकिन यह समस्या अब मात्र कुछ ही दिन की है। बहुत जल्द ही पुरानी काशी के लोगों को शुद्ध और भरपूर पानी मिलने लगेगा। जल निगम ने सिस वरुणा पेयजल योजना के तहत लीकेज और पाइपों के बीच गैप को भरने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए रिमोट सें¨सग संस्था रडार से सर्वे शुरू करेगी। इसके बाद आधुनिक मशीनों से जमीन के नीचे पाइपों में हुए गैप को ट्रेस कर उसे दुरुस्त किया जाएगा। इस पर करीब छह करोड़ रुपये खर्च होगा।

सरकार ने दिए 108 करोड़ रुपये

एक दशक बाद भी सिस वरुणा क्षेत्र यानी पुराने शहर में पेयजल योजना जनोपयोगी नहीं हो सकी है। इसकी जड़ में कार्य के दौरान हुई धांधली है, जिसको लेकर 19 अफसरों को निलंबित किया गया था और 17 सेवानिवृत्त अफसरों से वसूली का आदेश हुआ था। अब एक बार फिर से सिस वरुणा पेयजल योजना को जनोपयोगी बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने 108 करोड़ स्वीकृत किए हैं। इस धनराशि से गड़बड़ी को दुरुस्त किया जाएगा। जल निगम की तैयारी के अनुसार निविदा आमंत्रित कर दी गई है जिसे 31 जुलाई को उसे खोला जाएगा। इस दौरान जल निगम की शर्तों पर खरी उतरी कंपनी को कार्य की जिम्मेदारी दी जाएगी।

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता भी बढ़ेगी

कंपनी को भदैनी स्थित इंटैक वेल को दुरुस्त करने के साथ ही उसमें पंप स्थापित करने का कार्य करना होगा। इसके अलावा भेलूपुर में स्थापित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की कार्य क्षमता में वृद्धि भी की जाएगी। इसके अलावा जहां कुछ ऐसी पाइपों को दुरुस्त किया जाएगा जिसकी वजह से ओवरहेड टंकियों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। ओवरहेड टंकियों, पंपों आदि में स्काडा का कार्य होगा तो डैमेज पाइप, लीकेज, गड़बड़ बूस्टर व पंप आदि दुरुस्त किए जाएंगे।

बजट 700 करोड़ तक पहुंच गया

गंगा जल स्त्रोत से नगर में तीन प्राथमिकता वाली तीन परियोजनाएं बनाई गईं, जिसकी स्वीकृति अक्टूबर 2008 में मिली। तीनों परियोजनाओं का अनुमानित बजट करीब 700 करोड़ रुपये था। परियोजना को जमीन पर लाने के लिए शहर को दो हिस्सों में बांटा गया। वरुणापार इलाके को ट्रांस वरुणा जबकि दूसरे हिस्से को सिस वरुणा का नाम दिया गया। ट्रांस वरुणा के लिए करीब 209 करोड़ रुपये व सिस वरुणा के लिए करीब 227 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित हुआ। वहीं, 50 हजार नए कनेक्शन व एक लाख 58 हजार घरों में वाटर मीटर लगाने के लिए करीब 111 करोड़ रुपये का बजट तय हुआ। वरुणापार इलाके में 13 हजार तो पुराने शहरी क्षेत्र में 38 हजार कनेक्शन करने थे। ट्रांस व सिस वरुणा की परियोजना वर्ष 2010 में प्रारंभ हो गई जिसे दो साल के अंदर पूरा करना था लेकिन नहीं हो सका। वक्त बीतने से लागत बढ़ गई और तीनों परियोजना का पुनरीक्षित बजट 700 करोड़ तक पहुंच गया।

सिस वरुणा पेयजल योजना के तहत कई काम प्रस्तावित हैं। छह करोड़ रुपये से पाइप के गैप को भरा जाएगा। इसके अलावा 108 करोड़ रुपये से पेयजल योजना को जनोपयोगी बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। निविदा प्रक्रिया जारी है, जो 31 जुलाई को खोली जाएगी। कंपनी तय कर कार्य अविलंब पूरा किया जाएगा।

-एके पुरवार, मुख्य अभियंता जल निगम

::: नगरीय पेयजल परियोजना :::

03

चरणों में बना प्रोजेक्ट

1000

करोड़ की लागत

32

ओवरहेड टंकियां वरुणापार

17

ओवरहेड टंकियां शहर में

100

एमएलडी का सारनाथ डब्ल्यूटीपी

50

हजार घरों में कनेक्शन व मीटर

Posted By: Inextlive