- प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के लाभार्थियों को नहीं मिली दूसरी किश्त

- वाराणसी शहर, रामनगर और गंगापुर में बनने हैं 8262 आवास

Varanasi@inext.co.in

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत बनने वाले आवास का निर्माण फिलहाल सरकारी सिस्टम में फंस गया है। नहीं समझे तो हम आपको बता रहे हैं। दरअसल आवास का निर्माण तो जोर-शोर से शुरू हुआ। लेकिन नींव पड़ने के बाद दूसरी किश्त लाभार्थियों के खाते में अब तक नहीं भेजी गयी। जिसका नतीजा रहा कि निर्माण कार्य रुक गया है। लाभार्थी पैसे के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं पर कोई वाजिब जवाब नहीं मिल रहा है। हालांकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि दूसरी किश्त के लिए जियो टैगिंग कराई जा रही है। इसके बाद पैसा एकाउंट में भेजा जाएगा।

डूडा कर रहा निगरानी

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत वाराणसी शहर, रामनगर और गंगापुर में कुल 8262 आवासों का निर्माण होना है। इसमें वाराणसी शहर के 90 वार्डो में 6365, रामनगर नगर पालिका क्षेत्र में 1430 और गंगापुर नगर पंचायत में 447 आवास बनने हैं। इस योजना में केन्द्र और राज्य सरकार की क्रमश: 60 और 40 फीसदी की भागीदारी है। जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) को इस योजना के क्रियान्वयन और मॉनीटरिंग का जिम्मा सौंपा गया है।

280 करोड़ से बनेंगे आवास

इस योजना के तहत 280 करोड़ की लागत से आवास बनाए जाएंगे। इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) पास हो गई है। सरकार ने पहली किश्त के रूप में 14 करोड़ 24 लाख रुपये स्वीकृत कर दिए हैं। मुम्बई की एक कंसल्टेंट संस्था को आवास की निर्धारित जगह का सर्वे करने, ड्राइंग व मानचित्र बनाने और जियो टैगिंग करने का जिम्मा दिया गया है।

तीन किश्तों में मिलती है धनराशि

यह योजना लाभार्थी आधारित व्यक्तिगत आवास निर्माण योजना (बीएलसी न्यू) है। इसमें लाभार्थियों को तीन किश्तों में ढाई लाख रुपये दिए जाने हैं। पहली किश्त 50 हजार, दूसरी डेढ़ लाख और तीसरी 50 हजार रुपये है। ये रकम आरटीजीएस के जरिये लाभार्थियों के खाते में भेजी जाती है। इसमें पहली किश्त मिलने के बाद आवासों का निर्माण शुरू हो गया। लेकिन दूसरी किश्त अभी बाकि है।

लाभाथीर् बनवाते हैं आशियाना

इस योजना की खास बात यह है कि इसमें लाभार्थी खुद अपना आवास बनवाते हैं। इसका जिम्मा किसी कार्यदायी संस्था को नहीं दिया गया है। लाभार्थी खुद निर्माण सामग्री ईट, बालू, सीमेंट, लोहा आदि खरीदते हैं और निर्धारित डिजाइन के हिसाब से आशियाना बनवाते हैं। इससे निर्माण गुणवत्तापूर्ण और पारदर्शी होता है।

योजना के पैरामीटर

- लाभार्थी की सालाना आय तीन लाख रुपये तक होनी चाहिए।

- उसके पास अपनी जमीन होनी चाहिए।

- केन्द्र सरकार का मकसद सबके लिए आवास मुहैया कराना है।

- निर्माण शुरू होने के बाद आवासों की जियो टैगिंग होती है।

- नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में योजना शुरू की गई है।

अफसर बोले

शासन की मंशा के अनुरूप योजना को पारदर्शिता से चलाया जा रहा है। विभागीय कर्मी लाभार्थियों से बात करके प्रगति रिपोर्ट लेते हैं। दूसरी किश्त के लिए जियो टैगिंग हो रही है। अगले हफ्ते उनके खाते में पैसा भेज दिया जाएगा।

- केएस परिहार, परियोजना अधिकारी, डूडा

Posted By: Inextlive