- अगले 50 साल तक के 24 घंटे बिजली देने के लिए तैयार हो रहा रोडमैप

- दूर की सोच रखते हुए एनपीटीआई कर रहा है सर्वे

आईपीडीएस योजना के तहत बनारस में तारों को भूमिगत करने के साथ ही यहां अब पावर सब स्टेशन भी अंडरग्राउंड किये जाएंगे। चौंक गये ना पर ये सही है। डिपार्टमेंट ने कंजस्टेड बसी इस सिटी के लिए ये प्लान तैयार किया है। इसके लिए सर्वे भी किया जा रहा है। एक पावर सब स्टेशन को अंडरग्राउंड करने पर करीब दो करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। शुरुआत में इस योजना को पुराने बनारस में अमल में लाया जाएगा। इस योजना का मकसद सिटी में निर्बाध 24 घंटे पावर सप्लाई के लिए रोडमैप तैयार करना है।

बिना प्लान के बसा है शहर

अधिकारियों की मानें तो बनारस शहर का तेजी से विकास हो रहा है। यह शहर बिना किसी प्लान के बसा हुआ है, जिसका दायरा और बढ़ने लगा है। यहां कई ऐसे क्षेत्र हो गए हैं जहां की आबादी, कामर्शियल काम्प्लेक्स, दुकानें बहुत अधिक बढ़ गई हैं, लेकिन वहां पर जगह का अभाव है। ऐसे में अंडरग्राउंड सब स्टेशन बनाकर यहां के कंज्यूमर्स को निर्बाध 24 घंटे एवं हाईटेक बिजली व्यवस्था मुहैया कराने की पहल की जा रही है। इस कार्य के लिए नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट ने सर्वे शुरू कर दिया है।

आबादी के साथ बढ़ रही है खपत

दुनिया के सबसे पुराने इस शहर को गलियों की भी सिटी कहा जाता है। तमाम घाटों के किनारे आबादी और भी घनी होती जा रही है। साल दर साल प्रमुख क्षेत्रों में कामर्शियल और मल्टी काम्प्लेक्स बनते जा रहे हैं। इसके कारण बिजली की बेतहासा खपत भी बढ़ती जा रही है। अनुमान है कि आने वाले कुछ साल में बिजली की खपत कई गुना बढ़ जाएगी। वहीं घनी आबादी के चलते यहां पर सब स्टेशन बनाने की जगह उपलब्ध नहीं है। इसी को ध्यान में रखते पूवरंचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड शहर की बिजली व्यवस्था को पूरी तरह हाईटेक बनाने जा रहा है।

बन रहा है मास्टर प्लान

सभी बिजली घरों एवं फीडरों को एक-दूसरे से जोड़ने की भी कवायद शुरू हो गई है। साथ ही पूरे शहर में बिजली तार भी अंडरग्राउंड किए जा रहे हैं। स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जिसमें पोस्टपेड से प्रीपेड में बदलने की सुविधा रहेगी। पहले से स्थापित सभी बिजली घरों एवं ट्रांसफार्मरों की भी क्षमता वृद्धि करने की योजना बनाई गई है। ताकि आने वाले कई दशकों तक बिजली की कमी नहीं हो और बिजली घर बनाने की जरूरत भी नहीं पड़े। इसके लिए भी मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। इससे पहले शहर के कुछ हिस्सों में अंडर ग्राउंड केबल से बिजली सप्लाई चल रहा है। इन क्षेत्रों में लाइन लॉस भी कम हो गया है और लोगों को बिना किसी रोकटोक के बिजली भी मिल रही है।

इन सभी एरिया में है फोकस

लंका, गोदौलिया, जैतपुरा, नदेसर आदि क्षेत्रों में जहां पर ओपेन लैंड की कमी है। वहां पर जीआइ (गैस इंसुलेटेड) उपकेंद्र बनेंगे। वैसे ही कंदवा में जीआइएस बनना पहले से ही प्रस्तावित है, लेकिन भूमिगत उपकेंद्र की परिकल्पना पहली बार की गई है। एक उपकेंद्र को बनाने में करीब दो करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

44

सब स्टेशन हैं शहर में

3.89

लाख उपभोक्ता हैं शहर में

200

मिलियन यूनिट बिजली खपत प्रति माह

02

करोड़ का खर्च आएगा एक अंडरग्राउंड सब स्टेशन बनाने पर

24

घंटे पावर सप्लाई के लिए 50 तक का प्लान

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सिटी में जगह की कमी होने लगी है। इसलिए भूमिगत जीआइ पावर सब स्टेशन बनाने की प्लानिंग की गई है। इसके लिए एनपीटीआइ की ओर से सर्वे का कार्य चल रहा है। शुरूआत में उन स्थानों का चयन किया जा रहा है जहां अधिक लोड है।

- प्रो। आरके पांडेय, महानिदेशक

नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट

Posted By: Inextlive