विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर विशेष स्मोक व तंबाकू के कारण सामान्य से ज्यादा माउथ कैंसर के बढ़ रहे मरीज

केस-1 : लहरतारा के सुरेंद्र राय व उनके भाई महेंद्र राय पान-मसाला बहुत खाते थे। छोडऩे का कई बार प्रयास किया, लेकिन नहीं छूटा। इस बीच महेंद्र के मुंह में ढेर सारे छाले निकल आए। जांच में पता चला कि मुंह का कैंसर है। बीएचयू कैंसर हॉस्पिटल में कई बार कीमोथेरिपी व लंबे उपचार के बाद महेंद्र की जान तो बच गई, लेकिन चेहरे का सेप बिगड़ा गया.

केस-2 : राजातालाब के अशोक कुमार करीब 20 साल से पान-मसाला के साथ स्मोकिंग भी खूब करते थे। लोगों ने छोडऩे का सलाह दिया, लेकिन उनकी लत नहीं छूट सकी। दो साल पहले मुंह के अंदर घाव हो गया। जांच कराई तो उन्हें बीएचयू कैंसर अस्पताल भेजा गया, जहां पता चला कि उन्हें माउथ कैंसर है। फिलहाल उनका इलाज चल रहा है। इसके बाद उन्हें यह लत छोडऩा पड़ा.

ये तो सिर्फ दो केस है, ऐसे तमाम लोग है जो इस परिस्थिति से जूझ रहे हैं। इन सब के बीच सरकार की ओर से लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाने के बाद भी लोग स्मोकिंग और तंबाकू के लत से पीछा छुड़ाने के बजाय उसके और करीब पहुंच रहे हंै, खासकर यंगस्टर्स। बदलते लाइफ स्टाइल और शोअप के चक्कर में तंबाकू का सेवन करने वाले ये लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को दावत दे रहे हैं। मर्ज बढऩे के बाद ये सीधे अस्पताल पहुंच रहे हैं। बीएचयू के महामना कैंसर हॉस्पिटल और होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चिकित्सकों की माने तो करीब 95 प्रतिशत मुंह के कैंसर तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्तियों में होते हैं। आंकड़ों की मानें तो भारत में कैंसर से मरने वाले 100 मरीजों में 40 की मौत तंबाकू सेवन के चलते हो जाती हैं.

कितना हार्मफुल है तंबाकू

तंबाकू के धुएं में लगभग 4 हजार रासायनिक तत्व होते हैं, जिनमें 200 ज्ञात जहर व 60 कैंसर पैदा करने वाले तत्व शामिल हैं। तंबाकू के सेवन से न केवल कैंसर होता है बल्कि ह्रदयरोग, मधुमेह, टीबी जैसी बीमारियां भी व्यक्ति को तबाह करती हैं। किशोरावस्था से ही तम्बाकू सेवन करने से नपुंसकता भी हो जाती है। वहीं महिलाओं में इस लत के असर से गंभीर बीमारी के साथ प्रेगनेंसी में भी दिक्कत आती है।

कैंसर हॉस्पिटल में बढ़ रहे मरीज

पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल (एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच) में रजिस्टर्ड मरीजों की बात करे तो पिछले चार साल में इन दोनों अस्पतालों में 74277 मरीजों का पंजीकरण किया जा चुका है। फरवरी 2023 तक रजिस्टर्ड कुल मरीजों में से 20851 हजार मरीज केवल पिछले साल यानि 2022 में पंजीकृत हुए हैं। इसमें ज्यादातर केस माउथ कैंसर से जुड़े होते है। इन दोनों अस्पताल के निदेशक डॉ। सत्यजीत प्रधान के मुताबिक यहां हर साल में कैंसर के मरीजों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। 2018 में होमी भाभा कैंसर अस्पताल में 6250 मरीज रजिस्टर हुए थे, जो 2022 में बढ़कर दोनों अस्पतालों में 20851 हो गए। उन्होंने बताया कि इन आंकड़ों पुरुषों में मुंह और महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे अधिक है।

यहां फ्री में भी हो जाता है गरीबों का इलाज

इलाज के लिए अस्पताल आने वाले अधिकतर मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। ऐसे मरीजों को इलाज दिलाने के लिए अस्पताल के मेडिकल सोशल वर्क विभाग द्वारा मदद की जाती है। जनवरी 2022 से नवंबर 2022 तक इलाज का खर्च न वहन कर पाने वाले कुल 9798 मरीजों की मदद मेडिकल सोशल वर्क विभाग द्वारा की गई। इन मरीजों के इलाज में कुल 61 करोड़ रुपये का खर्च आया था, जिसका एक भी भुगतान मरीज या उसके परिजन के द्वारा नहीं किया गया था.

उन्मूलन केंद्र में पहुंच रहे नशा छुड़वाने

राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला सलाहकार डा। सौरभ प्रताप सिंह ने बताया कि किशोरों, युवाओं को ऐसी ही बुरी लत से बचाने के लिए मंडलीय अस्पताल में तंबाकू नशा उन्मूलन केंद्र का संचालन हो रहा है। इस केंद्र के साइकोलाजिस्ट अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि वर्ष 2015 से यह केंद्र कार्य कर रहा हैं। नशा छुड़ाने को लेकर बीते तीन वर्ष में इस केंद्र के जरिये 19 हजार से अधिक लोगों की काउंसलिंग की जा चुकी है, जिसके सार्थक परिणाम भी आये हंै। इनमें ऐसे लोगों की संख्या काफी है जिन्होंने नशा करना अब पूरी तरह छोड़ दिया है।

ऐसे छूट सकती है लत

धूम्रपान रोकने के लिए अपनी तलब को थोड़ी देर के लिए भुला दें और धीरे-धीरे घूंट लगाकर पानी पियें। गहरी सांस लें। तम्बाकू सेवन की तलब से ध्यान बंटाने के लिए कोई दूसरा कार्य करें। अपने पास सौंफ, मिश्री, लौंग या दालचीनी रखें और तंबाकू सेवन की तलब लगते ही इनका इस्तेमाल करें.

तंबाकू सेवन के कारण माउथ कैंसर के मामले बढ़ रहे है। नशा उन्मूलन केंद्रÓ के प्रयास से हजारों लोग नशे से मुक्त होकर स्वस्थ जीवन को अपनाया है। जो लोग इस लत को छोड़ नहीं पा रहे, वे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। यह दिवस को हर वर्ष एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है हमें भोजन की आवश्यकता है, तंबाकू की नहीं रखी गई है.

डा। संदीप चौधरी, सीएमओ

Posted By: Inextlive