बीत गए छह साल, नहीं कोई पुरसाहाल
-शीतला घाट ब्लास्ट की छठवीं बरसी आज लेकिन ब्लास्ट के बाद घाटों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए लगाये गए सारे इक्विपमेंट हुए गायब
-हर एंट्री पाइंट पर लगाये गए थे मेटल डिटेक्टर लेकिन नहीं बचे एक भी -बिना चेकिंग के लोग आ जा रहे घाटों पर, सुरक्षा को लेकर दिये गए आदेश का नहीं हो रहा पालन VARANASI Spot-1 शीतलाघाट के मेन एंट्री पाइंट से रोज की तरह यहां लोग बेरोकटोक आ जा रहे थे। कोई झोला लेकर तो कोई बैग लेकर घाट पर जा रहा था। बैग व झोला रखकर लोग इधर उधर आराम से घूम फिर रहे थे लेकिन इनको रोकने वाला कोई नहीं था। Spot-2शीतलाघाट पर हुए ब्लास्ट के बाद दशाश्वमेध घाट पर बने मंच से नीचे और राजेन्द्र प्रसाद घाट की तरफ आने वाले रास्ते पर मेटल डिटेक्टर संग पुलिस के दो जवान तैनात किए गए थे लेकिन ब्लास्ट होने के सात साल बाद यहां अब कुछ भी नहीं है और सभी यहां बिना रोकटोक के आ जा रहे थे।
बनारस को आतंकियों ने एक बार नहीं कई बार दहलाया। ऐसा पुलिस के सुस्त रवैये के कारण आतंकवादी हर बार अपने मंसूबे में कामयाब हुए। हर आतंकी घटना के बाद बस सुरक्षा बढ़ाने की खानापूर्ति कर प्रशासन व पुलिस ने अपने काम की इतिश्री समझ ली लेकिन सुरक्षा बढ़ाने के लिए लगाये गए संसाधन लगातार काम करते रहे इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इसका जीता जागता उदाहरण शीतलाघाट और आसपास के घाटों पर देखने को मिल रहा है। सात दिसम्बर ख्0क्0, वो दिन जिस दिन शीतलाघाट पर हुए ब्लास्ट ने एक मासूम समेत दो की जिंदगी छीन ली थी और कई लोग घायल हुए थे। इस ब्लास्ट की सात दिसंबर बुधवार को छठवीं बरसी है। शहर के लिए इस काले दिन को भूल पाना तो मुश्किल है लेकिन इतनी बड़ी घटना के बाद भी घाटों पर पुलिसिया लापरवाही अब भी जारी है। यहां ब्लास्ट होने के बाद पूरे घाट पर सुरक्षा को लेकर जो इंतजामात करने के दावे किये गए थे वो हवा हवाई ही नजर आ रहे हैं। और जिम्मेदार ये कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं कि हमें नहीं है कुछ भी पता।
सब कुछ है लापता - सात दिसम्बर ख्0क्0 को शीतलाघाट पर हुआ था ब्लास्ट। - शासन स्तर पर घाटों पर सुरक्षा बढ़ाने के किये गए दावे। - दस लाख रुपये से ज्यादा के बजट से सिक्योरिटी इक्विपमेंट की खरीदारी हुई।- दशाश्वमेध घाट पर जल पुलिस चौकी के ऊपर बने एंट्री पाइंट पर दो मेटल डिक्टेक्टर लगाये गए थे।
- दो मेटल डिक्टेक्टर दशाश्वमेध घाट पर बने मंच के पास सीढि़यों पर लगाए गए थे। - मंच के नीचे से आने वाले लोगों को रोकने के लिए बैरीकेडिंग भी की गई थी। - दो मेटल डिटेक्टर शीतलाघाट एंट्री पाइंट पर लगाए गए थे - दो मेटल डिटेक्टर अहिल्याबाई घाट से शीतलाघाट पर आने वाले रास्ते पर लगाये गए थे। - लेकिन इस वक्त ये सब कुछ गायब हैं। पुलिस चौकी है या मजाक -ब्लास्ट के बाद शीतलाघाट पर पुलिस चौकी बनी। - ख्ब् घंटे डबल शिफ्ट में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगनी थी। - बाढ़ आने के बाद चौकी की हालत अब तक खराब है। - यहां बैठने वाला कोई नहीं है। - सुरक्षा के लिए बनाये गए पॉइंट्स पर तैनात फोर्स भी नदारद दिखती है। -बम ब्लास्ट के बाद शीतलाघाट पर झोला या बैग लेकर आने पर रोक थी। -लेकिन इस आदेश पूरी तरफ से फ्लाप साबित हो चुका है उसे फॉलो ही नहीं कराया जा रहा है। मुझे नहीं पता कुछ भीशीतलाघाट पर ब्लास्ट के बाद तत्कालीन अधिकारियों ने भले ही यहां सुरक्षा के कई इंतजाम किए थे लेकिन सिक्योरिटी के लिए लगाए गए सभी इक्विपमेंट्स के गायब होने के सवाल पर एसएसपी नितिन तिवारी का साफ कहना था कि मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता। उन्होंने आई नेक्स्ट की ओर से पूछे गए सवाल पर कहा कि घाटों पर सुरक्षा के लिए कहां कहां कौन कौन से इक्विपमेंट लगाए गए थे वह मुझे लिखित दीजिए ताकि उसे संज्ञान में ले सकूं। हालांकि एसएसपी ने ये भी कहा कि इस बारे में वे अपने लेवल पर पता भी कराएं ताकि घाटों पर सुरक्षा को लेकर नये सिरे से प्लैनिंग किया जाए।