गंगा में निरंतर जा रही गंदगी सफेद झाग बिगाड़ रहा नदी का अस्तित्व अस्सी नगवां का 30 एमएलडी सीवेज डेली गंगा में गिर रहा है


वाराणसी (ब्यूरो)मैं पतित पावनी गंगा हूं स्नान मात्र से मैं प्रत्येक हिंदुस्तानी में स्फूर्ति का संचार कर देती हूं। अंत समय में मुझे (गंगाजल) पीने की आशा ही मनुष्य को मोक्ष प्रदान कर देती है, लेकिन पॉवर सेंटर बनारस में इन दिनों गंगा गर्त में जा रही है। वजह नालों का गंगा नदी या उनकी सहायक वरुणा नदी में खुलना। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने अस्सी घाट से वरुणा नदी कोनिया तक 12 किलोमीटर एरिया में पैदल चलकर और नाव के सहारे गंगा संरक्षण का हाल जाना, तो चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आईं। अस्सी घाट, सामने घाट, आदि केशव, खिड़किया घाट, कोनिया में नालों का पानी नदी में मिल रहा था। नदी में मिल रहे नालों के फोटो और वीडियो भी आपको भी बेचैन कर देंगे। यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से जारी जनवरी और फरवरी की रिपोर्ट की बात करें तो वाराणसी में रामेश्वर और वरुणा में गंगा मीटिंग प्वाइंट के समीप गंगा डी कैटेगरी में हैैं। इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बाद भी पीना तो छोडि़ए यहां का गंगा जल स्नान योग्य भी नहीं है। इस पानी में सिर्फ वन्यजीव रह सकते हैं और मत्स्य पालन संभव है। हालांकि, वाराणसी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों में गंगा अविरल है।

कोनिया में तीन नालों का सीवेज

काशी में गंगा कितनी निर्मल हुई, यह अस्सी से वरुणा के बीच देखा जा सकता है। सामने घाट जाने पर नक्खा नाले का पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। आधा किलोमीटर आगे जाने पर अस्सी और नगवा नाला का पानी गंगा में गिर रहा है। यही नहीं कोनिया में नए पुल के नीचे तीन नालों का सीवेज सीधे नदी में गिर रहा है। पानी इतना अधिक दूषित है कि पूरा पानी सफेद झाग की तरह नजर आ रहा है। सभी नालों को मिला दिया जाए तो प्रतिदिन 45 मिलियन लीटर पर डे दूषित पानी गंगा में गिर रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि गंगा निर्मलीकरण पर काम करने वाली समितियों को यह नहीं दिखता।

दुर्गंध से सांस लेना मुश्किल

शहर के नालों का तकरीबन 30 एमएलडी पानी रोजाना अस्सी, नगवा नाला के रास्ते प्रतिदिन गंगा में गिर रहा है। संकट मोचन जाने वाले मार्ग पर अस्सी नाला भी नदी में खुल रहा है। मार्ग के ऊपर बनी पुलिया से जाते समय दुर्गंध इतनी अधिक है कि कई लोग नाक तक बंद कर लेते हैं। इस एरिया में 50 मीटर क्षेत्रफल में गंगा के पानी का बीओडी 3.5 के ऊपर है। यही हाल आदिकेशव, कोनिया पुलिया और सामनेघाट नक्खा नाला के पास है।

अफसरों का दावा

गंगा निर्मलीकरण के लिए भगवानपुर में 55 एमएलडी का एसटीपी तैयार किया जा रहा है। इसके शुरू हो जाने से बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 2.5 हो जाएगी। जबकि अभी जहां-जहां नाले का पानी गिर रहा है, वहां का बीओडी 3.5 के ऊपर है।

ऑक्सीजन लेवल 6 मिलीग्राम पर लीटर

केन्दीय जल आयोग के अनुसार इस समय गंगा में ऑक्सीजन लेवल 6 मिलीग्राम पर लीटर है। कहीं-कहीं 6.2 भी है। फिलहाल अस्सी से वरुणा के बीच नालों का पानी गिर रहा है। अगर उसे रोक दिया जाए तो ऑक्सीजन का लेवल और बेहतर हो सकता है।

उस पार तक पानी स्वच्छ

पर्यावरणविद् और बीएचयू के पूर्व प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी ने बताया, गंगा का जल 50 वर्ष पूर्व की स्थिति में पहुंच रहा है। अधिकांश नालों के बंद होने और सात एसटीपी लगा दिए जाने के बाद मध्य धार से उस पार तक पानी बिल्कुल स्वच्छ और मानकों पर पूरी तरह खरा हो चुका है। इसमें बेहिचक स्नान और आचमन किया जा सकता है.

पॉल्यूशन बोर्ड की सफाई

पाल्यूशन डिपार्टमेंट के क्षेत्रीय अधिकारी एससी शुक्ला ने कहा, पहले 30 नाले का पानी गंगा में गिरता था। इसमें अब 24 नालों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। चार नाले आंशिक रूप से अभी प्रभावित कर रहे हैं तो उनके समेत दो नाले और टैप किए जाने हैं। 50 एमएलडी (मीट्रिक लीटर पर डे) क्षमता के रमना प्लांट, 10 एमएलडी के रामनगर प्लांट शुरू हो चुके हैं। 25 एमएलडी का नगवा प्लांट बायो रेमिडेशन भी कर रहा है। भगवानपुर में 3.8 करोड़ की लागत से 55 एमएलडी का एसटीपी प्लांट बनकर तैयार है। नगवां और अस्सी नाले से प्रतिदिन 30 एमएलडी नाले का पानी गिर रहा है। नाले का पानी को भगवानपुर एसटीपी से कनेक्ट कर दिया जाएगा तो दूषित पानी गिरना बंद हो जाएगा।

गंगा को निर्मलीकरण करने के लिए काफी कार्य चल रहे हैं। अभी भगवानपुर में एसटीपी का निर्माण किया गया है। इसके शुरू हो जाने से गंगा और स्वच्छ और निर्मल हो जाएंगी.

एससी शुक्ला, क्षेत्रीय अधिकारी, पॉल्यूशन डिपार्टमेंट

जहां-जहां गंगाजी में सीवर का पानी गिर रहा है। वहां अगर टैप कर दिया जाए तो गंगा और स्वच्छ और निर्मल हो जाएगी.

प्रोबीडी त्रिपाठी, चेयरमैन, मालवीय गंगा शोध केन्द्र

Posted By: Inextlive