- पहली बरसात में ही स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम की खुल गयी थी पोल

- वाटर लॉगिंग दूर करने के लिए JNNURM के तहत हुए थे बहुत से वर्क

- फिर भी ज्यादातर एरिया में प्री मॉनसून की बारिश में ही घंटों हुआ जलजमाव

VARANASI

क्या आप यकीन करेंगे कि बरसात से पहले जलजमाव को रोकने के लिए शहर में खर्च किए गये पांच करोड़ रुपये प्री-मॉनसून टेस्ट में पूरी तरह से फेल साबित हुए हैं। जी हां, करीब पांच करोड़ से हुई तैयारियों की पोल हाल के कुछ दिनों में हुई कुछ मिनटों वाली प्री-मॉनसून बारिश ने खोल दी है। आधे घंटे या इससे कम समय की बारिश के बाद शहर में जलभराव की हालत देख अब अफसर भी ये सोच कर परेशान है कि तेज बरसात हुई तो क्या होगा?

सड़कों की खोदाई से शहर की दशा नरकीय है। कैंट, रोडवेज और अर्दली बाजार स्थित महावीर मंदिर क्षेत्र में तो पैदल चलना भी मुश्किल है। जबकि हाल में दो-तीन बाद हुई कुछ मिनटों की बरसात के बाद शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जलभराव की समस्या ने साफ दर्शाया कि स्थिति बहुत ही नाजुक है। यदि जोरों की बरसात हो जाए तो वहीं बरसात में जगह- जगह उत्पन्न हुई वाटर लॉगिंग की समस्या से लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ी है। पिछले वर्षो में लगभग पांच करोड़ रुपये के खर्चे में वाटर ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने का काम हुआ था। फिर भी इस बार मानसून की पहली बारिश ने सभी तैयारियों की कलई खोल दी।

ड्रेनेज सिस्टम का सुधार

पिछले साल की बारिश के बाद से अब तक शहर में चिह्नित स्थानों पर नये नालों का निर्माण कराया गया है। ये सभी नाले वाटर लॉगिंग की समस्या दूर करने के लिए बनाए गये हैं। इसके अलावा शहर के कुछ ध्वस्त और उखड़े नालों की मरम्मत भी करायी गयी। रोड साइड नाली और नाले के अलावा ह्यूम पाइप नाला और डिस्पोजल बॉडी के तहत नरोखर नाले का काम भी हुआ। कुंड और तालाबों में से लेकर विभिन्न मदों में लगभग पांच करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई। फिर भी इस वर्ष पहली बरसात में ज्यादातर एरिया में कुछ घंटे से लेकर 24 घंटे तक जलजमाव की स्थिति देखी गई।

इंजीनियरिंग विभाग भी हैरान

वाटर ड्रेनेज सिस्टम फेल्योर होने से सबक लेते हुए नगर निगम के इंजीनियरिंग विभाग ने वाटर लॉगिंग स्पाट से पानी निकालने के लिए 72 पम्प की व्यवस्था कर दी है। इसके अलावा खराब पड़े वाटर पम्पों को रिपेयर कराया जा रहा है। इसके लिए जेनरेटर सेट को भी अपडेट किया गया है।

जलभराव रोकने के लिए तैयारी

नगर निगम ने भी माना है कि शहर में अभी 29 स्पॉट ऐसे है, जहां बारिश के दिनों में पानी लग जाता है। हालांकि निगम का ये भी दावा है कि शहर में पहले ऐसे 61 स्पॉट थे लेकिन लगातार प्लानिंग के साथ काम करने से इनकी संख्या आधी रह गयी है। फिर भी मॉनसून के पहले की बरसात ने ही निगम के दावों की हवा निकाल दी है। निगम की ओर से चिह्नित 29 स्पॉट्स से ज्यादा एरियाज में लोगों ने जलजमाव की समस्या झेली है।

जलजमाव के लिए चिह्नित 29 spots

(फार योर इंफार्मेशन)

भेलूपुर जोन:

मैन्यू पोखरी, बड़ी गैबी, जक्खा, मोतीझील, सीस नगवा, चपरहिया पोखरी, मकदूम बाबा, देव पोखरी, अम्बा पोखरी, अहमदनगर, जक्खा कब्रिस्तान, आकाशवाणी मोड़।

दशाश्वमेध वार्ड:

शिवपुरवा का हनुमान मंदिर मैदान, लेन नम्बर छह, शायरा माता मंदिर, जेपी नगर मलिन बस्ती, निराला नगर लेन नम्बर तीन।

आदमपुर वार्ड:

सरैया पोखरी, सरैया फकीरिया टोला, कोनिया धोबीघाट, जलालीपुरा, अमरोहिया, सरैया मुस्लिम बस्ती, कोनिया मोहन कटरा, अमरपुर मढहिया, सरैया निगोरिया।

वरुणापार जोन:

रमरेपुर, मवईया यादव बस्ती, शेखनगर बैरीवन और पांडेयपुर गांव।

डिपार्टमेंट के पैमाने के अनुसार चार से छह घंटे पानी लगने वाले इलाके को ही वाटर लॉगिंग से प्रभावित माना जाता है। वैसे भी डिपार्टमेंट में दर्ज ख्9 स्पॉट से पानी की निकासी के लिए पम्प सेट तैयार कर लिए गये है।

-कैलाश सिंह, चीफ इंजीनियर, नगर निगम

जलजमाव रोकने के लिए हुए बड़े खर्च

(हाईलाइटर)

ख्.ब् करोड़ रुपये से ख्क्ब्ब्0 मीटर कवर्ड नाली निर्माण

क् करोड़ रुपये से क्88म्0 मीटर ह्यूम पाइप नाली निर्माण

क्.भ् करोड़ रुपये से

ब्080 मीटर चैनल निर्माण

ब्ब्ख्ख्0 मीटर ह्यूम पाइप नाला वर्क

म्ब्म्0 नरोखर नाला वर्क

भ्भ्ब्0 मीटर वरुणा नाला वर्क

Posted By: Inextlive