कचहरी के पास रहने वाली स्वाति ने जानवरों से मोहब्बत की खातिर अब तक नहीं की शादी 25 साल पहले मदारी से छीन लाई थी बंदरिया नाम रखा रमैया अब उसका घर ही बना चिडिय़ाघर

वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी की स्वाति ने 25 साल पहले एक बंदरिया को मदारी के पास देखा। उसकी हालत काफी खराब थी। लेकिन उसकी मदद करने की बजाय वहां से गुजरने वाले लोग मदारी पर तमाशा दिखाने के लिए दबाव बना रहे थे। स्वाति को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया और वह बंदरिया को छीन कर अपने घर ले आईं। बंदरिया का नाम रमैया रखा और उसी के नाम पर रमैया चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया। 10 साल बाद रमैया की मौत हो गई, लेकिन तब तक स्वाति की जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी थी। उसने स्वाति को संकट में घिरे सैकड़ो बेजुबानों के लिए एक सुरक्षित घर खोजने का रास्ता दिखाया। आज स्वाति का घर सैकड़ो कुत्ते, सांड, चील, बिल्ली और कबूतरों के लिए एक आश्रय घर बन चुका है.

बचपन से ही लगाव

स्वाति को बचपन से ही पशुओं से प्रेम था, लेकिन जानवरों के लिए शेल्टर होम खोलने की योजना नहीं बनाई थी। वह बताती हैं कि मेरी मां रीता बलानी और पिता राकेश बलानी ने हमेशा मुझे जानवरों के प्रति प्यार और सहानुभूति दिखाना सिखाया। वे किसी भी जानवर को कभी चोट ना पहुंचाने की सीख देते थे.

घायलों को लाती हैं

स्वाति बताती हैं कि किसी भी बेजुबान जानवर को तकलीफ में देखती हैं तो उन्हें घर ले आती हैं और उनका इलाज करके अपने पास ही रखती हैं। वर्तमान समय में स्वाति के घर में कुत्तों की संख्या सबसे अधिक है। इनके अलावा सांड, बिल्ली, चील भी हैं। स्वाति का कहना है कि अकसर एक जानवर की दूसरे से नहीं बनती है, लेकिन यहां घर में आने के बाद सभी एक दूसरे से घुल-मिलकर रह रहे हैं.

नहीं की शादी

स्वाति बताती है कि उन्होंने शादी नहीं की। कारण चौंकाने वाला था। वह जिस घर में रहती हैं उसी में माता-पिता भी रहते हैं। यदि वह शादी कर लेंगी तो उनका जीवन अलग हो जाएगा और अलग रहना होगा। जबकि उनको इन जानवरों से साथ जीने में खुशी मिलती है। इसलिए निर्णय लिया कि कभी शादी नहीं करेंगी.

घर में सैकड़ो जानवर

रमैया चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत उन्होंने सैकड़ो बेजुबानों को अपने घर में पनाह दे रखी है। इस समय घर में 40 से अधिक कुत्ते, 13 बिल्ली, दो सांड, सैकड़ो कबूतर, चील रहती है। यही नहीं, स्ट्रीट डॉग भी उनके घर पर आते हैं, जिन्हें वह अलग से खाना खिलाती हैं। इनके इलाज पर भी स्वाति का अच्छा खासा पैसा खर्च होता है। स्वाति बताती हैं कि उन्होंने बेजुबानों का नामकरण भी कर रखा है। जैसे कुत्तों में रॉक्सी, स्पर्शी, चिनी और लडडू है तो सांड में भंडारी और नंदी हैं। चील का नाम चीलू है तो बिल्लियों में चुलबुल पांडे, बूची और जैकी हैं.

Posted By: Inextlive