आईपीडीएस के कटे केबल पर लगा दिया टेप
--हेरिटेज पथ के लिए हो रही खोदाई में बाहर आये 33 केवी वायर
-अभी भी किया जा रहा है मानक से खिलवाड़इंटीग्रेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम यानी (आईपीडीएस) में लापरवाही का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले तो मानक की अनदेखी करते हुए 33 केवी केबल के जाल को महज आठ इंच नीचे जमीन में फैला दिया गया, अब एक बार फिर उस गड़बड़ी की आंखों पर पट्टी बांधी जा रही है। जी हां गोदौलिया-बांसफाटक पर हो रही खोदाई के दौरान जमीन से कुछ ही गहराई से बाहर आए तारों को सिस्टमेटिक तरीके से जमीन के अंदर डालने के बजाए उसे वैसे ही ढका जा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि खोदाई के दौरान कई जगह पर तारें कट भी गई है। जिसे बदलने के बजाए सिर्फ सामान्य तरह का टेप लगाकर छोड़ दिया गया है। इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
न पाइप पड़ी न गहराई बढ़ीदैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम गुरुवार को जब इन कटे हुए तारों को देखने पहुंची तो कई जगह होश उड़ाने वाले नजारे सामने आए। गोदौलिया से बांसफाटक रोड पर बन रहे पावन पथ पर हो रही खोदाई से कटे बिजली के तारों को टेपिंग कर छोड़ दिया गया। ऐसी दर्जनों जगह देखने को मिली। जबकि मानक के अनुसार तारों को पाइप के अंदर डालकर जमीन से एक मीटर की गहराई में बिछाने का प्रावधान है। यही नहीं अभी भी तारों को महज आठ इंच पर ही गिट्टी डालकर पाटने का काम शुरु कर दिया गया है। जल्द ही इस पथ पर पत्थर भी बिछा दिए जाएंगे। ताकि जल्द से जल्द काम पूरा हो सके।
हो सकता है बड़ा हादसा बिजली विभाग की ओर से की जा रही इस तरह की लापरवाही किसी बड़ी घटना को दावत दे सकती है। जिस तरह से यहां सड़क को खोदकर पत्थर बिछाया जा रहा है। इससे यह साफ है कि आज नहीं तो कल अगर एक भी पत्थर टूट गया और बारिश या पाइपलाइन का पानी उसमें समा गया तो उस टेपिंग किए गए तारों के जरिए पूरे रास्ते में 33 केवी हाई वोल्टेज का करंट दौड़ सकता है। यही नहीं इसी केबल के पास से सीवर की लोहे की पाइप भी जा रही है। अगर यह पाइप भी पत्थर के दबाव से फट जाती है तो खतरा और बढ़ सकता है। इतने कम डेफ्ट पर बिछी है लाइनबता दें कि पिछले दिनों हुए खोदाई में पता चला था कि आईपीडीएस के लिए बिछाई गई 33 व 11 केवी एलटी लाइन महज 8 इंच पर ही बिछाई गई है। कई जगह तो महज तीन से चार इंच पर ही केबल दिखाई देने लगा था। जबकि नियम के तहत किसी भी जगह एलटी लाइन को बिछाने के दौरान तीन फुट की गहराई होना जरुरी है। अगर इससे कम गहराई पर केबल डाला गया है तो यह पूरी तरह से नियम के विरुद्ध है। इतनी कम गहराई होने की वजह से यहां कई केबल कटे हुए भी नजर आए। जिसकी शिकायत पीवीवीएनएल के आला अफसरों तक से की गई थी।
पहले भी उजागर हो चुकी है खामी अंडरग्राउंड केबलिंग में इससे पहले सोनारपुरा के बागहाड़ा मोहल्ले में एक गली में पानी की पाइप ठीक करने के लिए गली खुदी तो पाइप के पहले भूमिगत तार निकल आया। यह तार भी एक फुट से भी कम गहराई पर बिछाया गया था। इसके अलावा पक्का महाल समेत शहर के अन्य मोहल्लों में भी कम गहराई पर बिजली केबल बिछाने की शिकायतें आ चुकी हैं। इसको लेकर जब आईपीडीएस के कुछ अधिकारियों ने आवाज उठाई तो उनका तबादला कर दिया गया। ये है नियम - कार्यदाई संस्था है पावर ग्रीड- आईपीडीएस के मानकों के अनुसार बिजली के केबल एक मीटर यानी तीन फुट की गहराई पर बिछने चाहिए।
- एक मीटर की गहराई पर केबल को नाली बना कर डालने का नियम है। -33 केवी व 11 केवी की लाइन को पाइप के अंदर डालने के बाद ही जमीन के अंदर बिछाने का प्रावधान है। -केबल के ऊपर बालू भी डालना अनिवार्य है। -एक मीटर की गहराई होने से अंडरग्राउंड केबल पर ज्यादा दबाव नहंी बन पाता। -गोदौलिया, बांसफाटक, चौक, खोजवा व लक्सा क्षेत्र में मानक का पालन नहीं किया गया है। - कनेक्शन देने के लिए सíवस बॉक्स भी मनमाने तरीके से लगाए गए हैं। - हो सकता है बड़ा हादसा ये है योजना 16 स्क्वायर किलोमीटर पुरानी काशी क्षेत्र में इलाके में ओवरहेड तारों को किया गया है अंडरग्राउंड 432 करोड़ खर्च हुए है इस योजना में 139.79 करोड़ दिया गया है अन्य क्षेत्र के लिए 362 करोड़ रुपये में ही पूरा हो गया पहले चरण का कार्य 69 करोड़ बची राशि दूसरे चरण में कर दी गई स्थानांतरित 125 करोड़ रुपये में होना है सेकेंड फेज का काम 8.5 हजार कंज्यूमर्स सेकेंड फेज में होंगे कवर 3.4किमी से अधिक डाली जानी है 33 केवी की लाइन
52.59 किमी से अधिक डाली जानी है 11 केवी की लाइन 110.18 किमी से अधिक डाली जानी है एलटी की लाइन 117 नए ट्रांसफार्मर लगाए जाने है 250 केवीए क्षमता वाले जो भी केबल पड़े हैं वे मानक के अनुरुप ही बिछाया गया है। खोदाई के दौरान नीचे मिट्टी डालकर उसे ऊंचा कर दिया गया है। जिसे ठीक कराया जा रहा है। रही बात कटे केबल पर टेपिंग की तो इसकी जांच कराई जाएगी। केबल में बगैर पाइप डाले गिट्टी नहंी डालने दिया जाएगा। आरएस प्रसाद, एसई फर्स्ट, पीवीवीएनएल