उपल और लकडिय़ों से किया जाएगा होलिका दहन होलियाना मूड काशी में परवान चढऩे लगा शिवपुर और कचहरी चौराहे के पास होलिका माई की मूर्ति भी रखी जाती


वाराणसी (ब्यूरो)अक्खड़ और फक्खड़पन को भी सजाने-संवारने का होलियाना मूड काशी में परवान चढऩे लगा है। जगह-जगह होलिका दहन के लिए उपले और लकडिय़ों का ढेर लगने लगा है। कचहरी गोलघर चौराहे के पास तो उपल से होलिका को सजाने का काम शुरू हो गया है। होली आते-आते उपल से होलिका को भव्य सजाया जाएगा। इसके लिए सोनारपुरा, चेतगंज, अस्सी के अलावा शिवपुर और कचहरी चौराहे के पास गाड़ी गई होलिका में होलिका माई की मूर्ति भी रखी जाती है.

सोनारपुरा होलिका दहन

सोनारपुरा के अभय कुमार का कहना है कि सोनारपुरा चौराहे पर होलिका दहन के लिए सौ किलो उपल से होलिका माई को सजाया जाता है। इसके बाद चारों तरफ लकड़ी का ढेर रखा जाता है। तत्पश्चात होलिका माई की मूर्ति को बीच में रखा जाता है। इसके होलिका के चारों तरफ रंग-बिरंगी लाइट से सजावट की जाती है.

होलिका के दिन भद्रा का फेर

-भद्रा सुबह 9:24 से रात्रि 10:27 तक रहेगा

-रात 11 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 27 के बीच होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

25 को मनाई जाएगी होली

इस बार 24 को होलिका दहन होगा और 25 मार्च को होली खेली जाएगी। ज्योतिषाचार्य बब्बन तिवारी की मानें तो इस बार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी जो अगले दिन 25 मार्च को दोपहर 11 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। होलिका दहन 24 मार्च को भद्रा लग रहा है। भद्रा सुबह 9:24 से रात्रि 10:27 तक रहेगा। इसके बाद होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक है। इस मुहुर्त होलिका दहन की परंपराओं का निर्वहन किया जाएगा। अगले दिन होली खेली जाएगी.

महंत आवास पर हुई गौरा की हल्दी, गाए गए मंगल गीत

शिव-पार्वती विवाह के उपरांत रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा के गौना की रस्म उत्सव का क्रम सोमवार से टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर आरंभ हो गया। महंत आवास पर गौरा के रजत विग्रह को संध्याबेला हल्दी लगाई गई। गौरा के विग्रह को तेल हल्दी की रस्म के लिए सुहागिनों और गवनहरियों की टोली महंत आवास पहुंची। इस उत्सव में मोहल्ले की बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हुई.

ढोलक की थाप पर गीत

उत्सव में ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच मंगल गीत गाते हुए महिलाओं ने गौरा को हल्दी लगाई्र। मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान हो उठा। लोक संगीत के बीच बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित पारंपरिक गीतों का क्रम देर तक चला। 'गौरा के हरदी लगावा, गोरी के सुंदर बनावाÓ,'सुकुमारी गौरा कइसे कैलास चढि़हेंÓ,'गौरा गोदी में लेके गणेश विदा होइहैं ससुरारीÓआदि गीतों में गौने के दौरान दिखने वाली दृश्यावली का बखान किया गया.

नजर उतारी

हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए 'साठी क चाऊर चूमीय चूमीयÓ गीत गाकर महिलाओं ने गौरा की रजत मूर्ति को चावल से चूमा। गौरा के तेल-हल्दी की रस्म के लिए महंत डा। कुलपति तिवारी के पुत्र पं। वाचस्पति तिवारी के सानिध्य में संजीव रत्न मिश्र ने माता गौरा का श्रृंगार किया। हल्दी रस्म से पूर्व पूजन आचार्य सुशील त्रिपाठी ने कराया। सांस्कृतिक कार्यक्रम 'शिवांजलिÓ के अंतर्गत श्रद्धालु महिलाओं द्वारा शिव भजनों की प्रस्तुति की गई.

Posted By: Inextlive