मुनाफाखोरों ने बाजार में महंगे रेट पर उतारा नया आलू पुराना और सफेद आलू को ही एसीड से बनाया जा रहा नया अधिक मिट्टी लगी हो तो समझें आलू नया नहीं बल्कि बनाया गया है इसे खाने से किडनी लीवर और आंत भी हो सकती है डैमेज एक्सपट्र्स के अनुसार 15 नवंबर के बाद मार्केट में आता है नया आलू


वाराणसी (ब्यूरो)मार्केट में बिक रहा नया आलू कितना जहरीला है यह जान जाएंगे तो हैरान हो जाएंगे। पुराने आलू को नए आलू के भाव की दर से बेचकर न सिर्फ मुनाफाखोर मुनाफा कमा रहे है, बल्कि आम पब्लिक की बॉडी को भी डैमेज कर रहे हैं। एसीड से भरे आलू को खाने से लीवर, किडनी आंत तक खराब हो जा रही है। थोड़े से पैसे के लिए पुराने में केमिकल्स वगैरह डालकर नए जैसा बनाकर मार्केट में नए आलू के नाम पर बेचा जा रहा है। इसकी खपत प्रतिदिन तीन ट्रक है।

चौंक गए ग्राहक

दरअसल में विशेश्वरगंज मंडी हो या चंदुआ सट्टी या फिर सुंदरपुर सट्टी में नया आलू जैसा जो आलू बिक रहा है वह दरअसल में नया आलू है ही नहीं। मुनाफाखोर मिट्टी, केमिकल और बालू से पुराने को नया आलू बनाकर मंडियों में बेच रहे हैं। इसमें शहर के साथ-साथ दूसरे राज्य के सफेदपोश भी शामिल हैं। पुराने सफेद आलू को नया बनाने का गोरखधंधा हर साल सितंबर अक्तूबर माह में शुरू हो जाता है। इस माह में सबसे अधिक पुराने आलू को नए आलू के नाम पर बेचा जाता है.

प्रतिदिन तीन ट्रक खपत

फिलहाल मंडी के कारोबारियों का कहना है कि प्रतिदिन तीन ट्रक आलू की खपत है। यहां से अन्य जिलों में आलू की सप्लाई की जाती है। हर साल बड़े व्यापारी पुराने आलू को कोल्डस्टोरेज से निकालकर तेजाब, गेरुआ रंग और मिट्टी से लपेटकर नया आलू जैसा बनाने का खेल खेलते हैं। खरीदारों को नया आलू बता कर दोगुनी कीमत वसूल करते हैं।

मौके का उठाते फायदा

बरसात जब अंतिम चरण में होती है तभी इस तरह के खेल शुरू होते हैं। कारण की बाजार में सब्जियों की किल्लत हो जाती है। लोग पुराना आलू खाकर ऊब चुके होते हैं और उसके टेस्ट में मीठापन आने लगता है। ऐसे में लोग अपना टेस्ट बदलने के लिए नया आलू खरीदते हैं। इस तरह के आलू को खाने के लिए डाक्टर्स ही नहीं कृषि विभाग के अधिकारी भी मना करते हैं।

कैसे बनाते तेजाबी आलू

सितंबर और अक्तूबर के मंथ में कोल्ड स्टोर से पुराना आलू निकालकर पहले छांव में सुखाया जाता है। फिर जमीन खोदकर पानी में डाला जाता है। उसमें पीला या लाल गेरुआ मिट्टी घोली जाती है। साथ में अभ्रक युक्त बालू वाली मिट्टी भी डाली जाती है। फिर एक बोतल से तेजाब डाला जाता है। फिर लकड़ी से सभी को मिलाया जाता है। तेजाब के कारण आलू की उपरी परत झुलस जाती है। आलू का छिलका झुलसने से अंदर का गुदा दिखने लगता है्र। आलू के उपरी परत पर रंग मिट्टी और बालू चिपक जाता है। फिर उसे गड्ढे से निकालकर कपड़े में साफ किया जाता है और छानकर सुखाया जाता है। इसके बाद बोरा में भरकर मार्केट में बेच दिया जाता है.

15 नवंबर के बाद आएगा

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नया आलू 15 नवंबर के बाद मार्केट में आता है। नए आलू की बुआई 15 सितंबर के आसपास की जाती है। सामान्यत: 60 दिनों में आलू की फसल तैयार होती है।

इस तरह के आलू खाने से लीवर, किडनी और आंत तीनों खराब हो रहे हैं। इस तरह के आलू खाने से परहेज करें। नवंबर के बाद ही नया आलू खाना चाहिए.

डॉएसके अग्रवाल, एसोसिएट प्रो। बीएचयू

तेजाबी आलू बहुत ही खतरनाक है। खासकर बच्चों और महिलाओं के किडनी पर काफी असर कर रहा है। इसे नहीं खाना चाहिए.

डॉएसएस पाण्डेय, चिकित्साधिकारी

15 नवंबर के बाद मार्केट में नया आलू आता है। इसके पहले जो भी इस तरह के आलू दिखे, समझ जाएं वह नया आलू नहीं है।

डॉविरेन्द्र कमल वंशी, एसोसिएट प्रो। डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल, बीएचयू

Posted By: Inextlive