वल्र्ड वॉटर डे: एक मीटर नीचे खिसका वाराणसी का वॉटर लेवल भविष्य में पब्लिक बूंद-बूंद पानी को तरसेगी. बनारस में भी बेंगलुरू जैसे हालात हो जाएंगे


वाराणसी (ब्यूरो)आज वल्र्ड वॉटर डे है। आज वॉटर हार्वेस्टिंग पर खूब बात होगी, पर क्या आप जानते हैं कि वाराणसी में ग्राउंड वॉटर का क्या हाल है, वॉटर हार्वेस्टिंग हो भी रही है या नहीं, पब्लिक कितना अवेयर है? वाराणसी में जब ग्राउंड वाटर की चर्चा शुरू हुई तो पता चला कि जमीन के अंदर वॉटर लेवल एक मीटर तक नीचे खिसक चुका है। यही हाल रहा तो भविष्य में पब्लिक बूंद-बूंद पानी को तरसेगी। बनारस में भी बेंगलुरू जैसे हालात हो जाएंगे। बेंगलुरू में लोगों को नहाने के लिए पानी नहीं मिल रहा। र्गािडय़ों को धोने पर मनाही है। दीनापुर, भगवानपुर, रमना और डीएलडब्यू में पानी कम है। यहां एसटीपी लगाकर ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज किया जा रहा है।

हरहुआ में ओवर एक्स्प्लॉइटेशन

ग्राउंड वॉटर डिपार्टमेंट के अफसरों का कहना है, एक साल के अंदर पानी तकरीबन एक मीटर नीचे चला गया है। मानसून पीरियड में वॉटर लेवल कुछ ऊपर होता है, लेकिन रेन पीरियड के ग्राउंड वॉटर फिर पानी नीचे चला जाता है। शहर और आराजी लाइन व हरहुआ ब्लॉक में पानी का ओवर एक्स्प्लॉइटेशन है। पिंडरा ब्लॉक क्रिटिकल कैटेगगरी में है।

सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में ये

बड़ागांव, चिरईगांव, चोलापुर, काशी विद्यापीठ व सेवापुरी ब्लॉक सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में हैं। कुछ जगह तो कॉलम पाइप बढ़ाने पर भी पानी नहीं मिल रहा। अधाधुंध निजी बोरिंग वॉटर लेवल गिरने की बड़ी वजह हैं।

आज तुलसी घाट पर दिलाएंगे शपथ

संकट मोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष विश्वंभरनाथ मिश्र ने बताया कि उनकी संस्था वाटर लेवल को लेकर काम कर रही है। लोगों को जागरूक करते हुए कई जगहों पर वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाने का काम हुआ है। शुक्रवार को तुलसी घाट पर शपथ कार्यक्रम होगा। लोगों को शामिल करके जल कैसे बचाएं, इसके बारे में बताएंगे। इसमें बीएचयू के वैज्ञानिक, कई स्कूल के बच्चे, क्लब की महिलाए, व्यापारी भी शामिल होंगे.

पानी बचाना जरूरी है

महामना मालवीय शोध गंगा केंद्र के डायरेक्टर प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी ने कहा, अगर आप भविष्य में जल संकट का सामना नहीं करना चाहते हैं तो पानी बचाएं। बीडी त्रिपाठी अपनी संस्था के सदस्यों के साथ गांवों में जाकर लोगों को पानी बचाने के लिए अवेयर करते हंै। पानी को हम कैसे बचा सकते हैं, इसके बारे में भी जानकारी देते हैं।

पानी बचाने के लिए वॉटर अलार्म

सिल्वर ग्रोव स्कूल के कक्षा तीन के स्टूडेंट्स आकर्ष ने वॉटर अलार्म बनाकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह वाटर अलार्म पानी की उपस्थिति का पता चलने पर अलार्म बता देता है। आकर्ष ने इसे बनाने के लिए पुराने मोबाइल चार्जर के अलावा एक बाइक का इंडीकेटर, बजर और वायर का यूज किया। ग्लू की मदद से चार्जर के ऊपर इंडीकेटर बजर को चिपका दिया और चार्जर व बजर के रेड वायर्स को आपस में जोड़ दिया। साथ ही काले वायर को खुला छोड़ दिया। चार्जर को स्वीच में लगाकर जैसे ही दूसरे वायर को पानी में डाला, वैसे ही अलार्म बजने लगा। आकर्ष ने बताया कि इसका उपयोग हम पानी बचाने के लिए कर सकते हैं.

फैक्ट एंड फीगर

60-70 सेमी पानी हर साल जा रहा नीचे

1.5 लाख लीटर पानी डेली बर्बाद हो रहा

100 से अधिक सर्विस सेंटर

कैसे बचाएं पानी

- घर में जांच करते रहें कि पानी बह न रहा हो.

- जितनी आवश्यकता हो उतनी ही पानी का उपयोग करें.

- पानी के नलों को इस्तेमाल करने के बाद बंद कर दें.

- ऐसी वॉशिंग मशीन का यूज करें, जिसमें अधिक जल न लगता हो.

- यूज किए हुए जल को पानी में न बहाएं बल्कि इसे अन्य उपयोग जैसे पौधों व बगीचे को सींचने व सफाई के लिए काम में लाएं.

- तालाब, नदी अथवा समुद्र में कूड़ा न फेंकें।

एक नजर में वॉटर लेवल (मीटर में)

ब्लॉक ----- मानसून पूर्व --- मानसून पश्चात

हरहुआ - 15.97 --- 14.80

सेवापुरी - 13.11 --- 7.23

चिरईगांव - 13 .28 --- 7.79

काशी विद्यापीठ - 12.82 -- 7.79

चोलापुर --- 9.00 -- 6.00

आराजीलाइन --- 15.42 --- 10.79

बड़ागांव ---- 11.25 --- 8.06

पिंडरा ---- 16.49 --- 13.29

Posted By: Inextlive