- एक फूलवाले से जुड़े होते हैं कम से कम 10 परिवार

- 20 लाख तक का टर्नओवर होता है एक फूल व्यवसायी का

देहरादून

कोरोना लॉकडाउन पीरियड में शादी विवाह और अन्य सभी तरह के सरकारी अथवा गैरसरकारी समारोहों पर बैन लगने से फूलों का कारोबार करने वालों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। दून में करीब 50 बड़े फूलों के कारोबारी हैं और प्रत्येक कारोबारी से डायरेक्ट अथवा इनडायरेक्ट रूप से एक दर्जन से ज्यादा परिवार जुड़े रहते हैं। इस तरह से कोरोना से दून में फूल कारोबार से जुड़े सैकड़ों परिवारों को भुखमरी की कगार पर पहुंचा दिया है।

सैकड़ों महिलाएं प्रभावित

फूल कारोबारी सुशील भाई की मानें तो समारोहों के आयोजन पर लगी पाबंदी से सबसे ज्यादा असर उन महिलाओं पर पड़ा है, जो घर बैठे फूलों की मालाएं बनाकर अपना परिवार पाल रही थी। हर फूल व्यवसायी की संपर्क में ऐसी 10-20 महिलाएं होती थी, जिन्हें नियमित रूप से घर पर ही फूल उपलब्ध करवाकर मालाएं गुंथवाई जाती थी। इस काम से जुड़ी सभी महिलाएं अब रोटी की मोहताज हैं।

20 लाख तक का था टर्नओवर

दून में फूल कारोबारियों का हर वर्ष 30 लाख तक का टर्नओवर हो जाता था। इसमें से 7 से 8 लाख रुपये वे बचा लेते थे। लेकिन, पिछले आठ महीनों से फूल वाले कोई कारोबार नहीं कर पाये हैं। ज्यादातर फूल वाले कई वर्षो से इस कारोबार से जुड़े हुए हैं, ऐसे में अब उनकी समझ नहीं आ रहा है कि आगे क्या करें।

नवरात्रों से उम्मीद

फूल कारोबारी अब उम्मीद कर रहे हैं कि नवरात्र के बाद से उनका कारोबार थोड़ा-बहुत चलने लगेगा, लेकिन बहुत ज्यादा उम्मीद वे अब भी नहीं कर रहे हैं। सुशील भाई फूल वाले कहते हैं कि पिछले दिनों कुछ छोटे-छोटे ऑर्डर मिले हैं। हालांकि यह ऊंट के मुंह में जीरा जैसी हालत है, लेकिन कुछ न होने के कारण इससे कुछ उम्मीद बंध रही है।

शादियों में सबसे ज्यादा खपत

फूल कारोबारियों को सबसे अच्छा धंधा शादी-विवाह के सीजन में होता है। साल में शादियों के दो बड़े सीजन आते हैं। इस दौरान वे ठीक-ठाक धंधा कर लेते हैं। इसके अलावा वर्षभर चलने वाले सरकारी और गैर सरकारी समारोहों और त्योहारों आदि में भी फूलों की अच्छी खपत हो जाती थी। पिछले 8 महीने से सब कुछ बंद होने के कारण सारी फूल कारोबारियों और उनसे जुड़े लोगों की स्थिति काफी खराब है।

फूल भी हो गए महंगे

कारोनाकाल में फूलों की कीमत भी दो गुना से ज्यादा बढ़ गई है। फूल कारोबारियों के अनुसार पहले कोलकाता, उज्जैन और बेंगलुरु जैसे जगहों से सीधी ट्रेन से फूल आते थे। उस समय गेंदा का फूल 50 से 100 रुपये किलो तक में उपलब्ध था, अब पूरी निर्भरता दिल्ली की मंडियों पर है। ऐसे में गेंदा का फूल 250 तक मिल पा रहा है। गुलाब के फूल का बंडल 150 रुपये में मिल जाता था अब 400 रुपये का है। ऐसे में जो लोग फूल लेना भी चाहते हैं, वे भी पीछे हट जाते हैं।

लोकल गेंदा नहीं काम का

आने वाले दिनों में गेंदा की लोकल पैदावार होने वाली है, लेकिन फूल कारोबारियों का कहना है कि लोकल गेंदा बड़े साइज का होता है और हर फूल के साइज में फर्क आ जाता है, इसलिए लोकल गेंदा बहुत ज्यादा पसंद नहीं किया जा रहा है। फिलहाल कलकत्ती गेंदा की लोग पसंद कर रहे हैं। लोकल से इन दिनों केवल बरबरा ही उपलब्ध हो पा रहा है।

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आठ महीने बुरी हालत में गुजरे। अब नवरात्रों और उसके बाद आने वाले शादी सीजन से कुछ उम्मीद है। हमारे साथ 8 से 10 परिवार जुड़े हैं। कई महिलाओं को घर पर ही रोजगार उपलब्ध करवाते हैं। ये सभी लोग अब भुखमरी की कगार पर हैं। मैं 47 वर्षो से फूलों का कारोबार कर रहा हूं। ऐसी हालत की कभी कल्पना भी नहीं की थी।

सुरेश भाई, फूलवाला

हमारा सालाना टर्नओवर 20 लाख रुपये तक होता था। इसमें से अपने लिए भी थोड़ा-बहुत बच जाता था। अब आठ महीने से एक नया पैसा नहीं आया है खाते में। हमारे साथ जुड़े दर्जनभर परिवारों के भी बुरे हाल हैं। दिन में 10 क्विंटल फूलों की खपत थी। 10 महिलाएं नियमित रूप से घरों पर मालाएं बनाकर रोजी-रोटी कमाती थी, अब सभी भुखमरी की कगार पर हैं।

सुनील चौहानिया, उत्तराखंड डेकोरेटर

Posted By: Inextlive