- कोर्ट ने तीन सहअभियुक्तों को आजीवन कारावास की सुनाई सजा, 4.10 लाख जुर्माना

- दिल्ली से चकराता घूमने आए पर्यटक जोड़े की हत्या का मामला

DEHRADUN: दिल्ली से चकराता घूमने आए पर्यटक जोड़े की हत्या और साक्ष्य मिटाने के मामले में अदालत ने एक टैक्सी चालक को सजा-ए-मौत सुनाई है। तीन सहअभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, तीनों ही मुख्य अभियुक्त के दोस्त हैं। चारों पर चार लाख 10 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है।

देवभूमि की छवि हुई धूमिल

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सुल्तान की अदालत ने फ्राइडे को आरोपियों को सजा सुनाई तीन दिन पहले अदालत ने सुनवाई करते हुए टैक्सी चालक और उसके दोस्तों को हत्या, लूटपाट, साक्ष्य मिटाने और साजिश रचने का दोषी करार दिया था। जबकि पुष्टि न होने की वजह से उन्हें दुष्कर्म के आरोप से दोषमुक्त कर दिया गया था। फ्राइडे को अदालत ने अभियुक्तों की सजा का ऐलान किया। अदालत ने कहा कि सैलानी हत्याकांड से देवभूमि व पर्यटन प्रदेश उत्तराखंड की छवि धूमिल हुई है। भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसलिए सजा के माध्यम से कठोर संदेश दिया गया है। अदालत ने इस वारदात को दुर्लभतम मानते हुए मुख्य अभियुक्त राजूदास को फांसी और तीन सहअभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अभियुक्तों के परिजन पहले दिन से ही पैरवी में नहीं आए। इसके चलते अदालत ने ही उन्हें वकील मुहैया कराया था।

चकराता घूमने आया था पर्यटक जोड़ा

वारदात तकरीबन साढे़ तीन साल पहले हुई थी। 22 अक्टूबर, 2014 को दिल्ली निवासी फाइन आर्ट टीचर मोमिता दास अपने चित्रकार मित्र अभिजीत पॉल के साथ चकराता घूमने आई थी। अभिजीत मूल से पश्चिम बंगाल का निवासी था, जो कुछ सालों से दिल्ली में कल्याण निवास लाडोसराय इलाके में रह रहा था। उन्होंने अगले दिन 23 अक्टूबर को टाइगर फॉल जाने के लिए चकराता बस स्टैंड से एक बोलेरो वाहन बुक कराया। राजूदास नाम का युवक इसे चला रहा था, वाहन का स्वामी भी वही था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक राजू ने टाइगर फॉल जाते वक्त रास्ते में अपने तीन दोस्तों को वाहन में बैठा लिया और लाखामंडल इलाके में पर्यटक जोड़े का कत्ल कर दिया। मोमिता के साथ चारों ने दुष्कर्म भी किया। दोनों के शव उन्होंने सीमावर्ती जनपद उत्तरकाशी के पुरोला इलाके में यमुना नदी में अलग-अलग जगह फेंक दिए थे। शव ठिकाने लगाने के बाद मुख्य अभियुक्त राजू और उसके दोस्त उनके मोबाइल, पर्स व अन्य सामान भी लूट ले गए। अभिजीत का शव 31 अक्टूबर और मोमिता का शव 13 नवंबर 2014 को पुरोला में खाई से बरामद हुआ। चूंकि चकराता आने के बाद से मोमिता की लोकेशन न मिलने पर परिजनों ने दिल्ली के साकेत थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी, लिहाजा उत्तराखंड और दिल्ली दोनों राज्यों की पुलिस हत्याकांड का राज खोलने में जुटी थीं। मोबाइल कॉल डिटेल के आधार पर पुलिस मुख्य अभियुक्त तक पहुंची। मोमिता से लूटा गया मोबाइल बोलेरो चालक राजू की आइडी पर चलता मिला, उसने इसमें नया सिम डाला हुआ था। उसी की निशानदेही पर पुलिस ने वारदात में शामिल उसके तीन दोस्तों कुंदन दास, बबलू और गुडडूदास को गिरफ्तार किया। तीनों ही चकराता के टुंगरौली गांव के निवासी हैं।

Posted By: Inextlive