- शव खुद ले जाने की छूट मिलने के बाद एंबुलेंस वालों की मनमानी

- ज्यादा पैसे की फिराक में हरिद्वार ले जाए जा रहे कोरोना पेशेंट्स के शव

देहरादून

कोरोना सेकेंड वेव के बीच कुछ दिनों से दून में मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है, लेकिन अंतिम संस्कार को लेकर इस बार पिछले साल की तरह अफरा-तफरी नहीं है। पिछले वर्ष बनाया गया कोविड-19 श्मशान घाट इस बार लगभग सूना पड़ा है, हालांकि यहां अंतिम संस्कार करवाने और लकड़ी आदि की व्यवस्था करने के लिए प्रशासन की ओर से ठेका भी दिया गया है।

कोविड श्मशान में ताला

कोविड-19 की दूसरी वेब में मरने वालों की संख्या बढ़ने के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने रायपुर स्थित कोविड श्मशान का रियलिटी चेक किया तो वहां ताला लगा हुआ था। कुछ देर बाद एक व्यक्ति पहुंचा, उसने अपना नाम इमरत पाल बताया। इमरत ने बताया कि अब यहां बहुत कम अर्थियां आ रही हैं। डिटेल पूछने पर उसने कोयले से दीवार पर लिखे एक नंबर की ओर इशारा किया।

एक हफ्ते में 5 का अंतिम संस्कार

पिछले एक हफ्ते में दून में हॉस्पिटल्स में कोविड-19 से 21 लोगों की डेथ हो चुकी है, लेकिन इस दौरान कोविड श्मशाम पर सिर्फ 5 डेड बॉडी ही ले जाई गई। सिटी के दो बड़े श्मशाम घाट लक्खीबाग और नालापानी में भी कोविड से मरने वालों का अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा है। बताया गया कि ज्यादातर लोगों को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार ले जाया जा रहा है।

कोविड श्मशान में स्थिति

डेट डेथ अंतिम संस्कार

5 अप्रैल 2 1

6 अप्रैल 6 2

7 अप्रैल 5 0

8 अप्रैल 1 0

9 अप्रैल 4 1

10 अप्रैल 3 2

डीएम ने दी है छूट

पिछले वर्ष कोविड से डेथ के मामले में जो औपचारिकताएं की जा रही थीं। इस बार नदारद हैं। पहले शव को पीपीई किट पहने हॉस्पिटल के कर्मचारी एंबुलेंस में रखते और खुद ही कोविड श्मशान पहुंचा दिये करते थे। परिजनों को केवल दूर से देखने की ही छूट होती थी। लेकिन, इस बार डीएम ने शव परिजनों को देने और अंतिम संस्कार के लिए कहीं भी ले जाने की छूट दी है। शर्त सिर्फ इतनी है कि जिस जिले में शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाए, वहां के जिला प्रशासन से अनुमति ली जाए।

एंबुलेंस ऑपरेटर की मनमानी

दून में एक कोविड श्मशान और कई दूसरे सामान्य श्मशान होने के बावजूद ज्यादातर शवों को हरिद्वार ले जाया जा रहा है। बताया जाता है कि इसमें सबसे अहम भूमिका एंबुलेंस ऑपरेटर कर रहे हैं। शव को हरिद्वार तक पहुंचाने के लिए वे मृतक के परिजनों से अच्छी-खासी अमाउंट वसूली लेते हैं, जबकि रायपुर श्मशान घाट ले जाने की स्थिति में उन्हें कम रकम मिलती है।

पीपीई किट के बिना अंतिम संस्कार

अंतिम संस्कार का माहौल भी इस बार बदला हुआ है। परिजन खुद अंतिम संस्कार कर रहे हैं और पीपीई किट जैसी कोई बंदिश भी इस बार नहीं है। इस नई व्यवस्था से कोविड श्मशान के कॉन्ट्रेक्टर को भी नुकसान हो गया है। कॉन्ट्रेक्टर विजय तिवारी का कहना है कि रिस्क लेकर शवों को हरिद्वार ले जाया जा रहा है, जबकि यहां पूरी व्यवस्था है।

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नई गाइडलाइंस के अनुसार अब कोविड से होने वाली डेथ के मामले में शव परिजनों को सौंपने की अनुमति दी गई है। अब परिजन अपने पैतृक घाट, हरिद्वार या अन्य कहीं भी शव का अंतिम संस्कार कर सकते हैं। सिर्फ वहां के जिला प्रशासन की अनुमति लेने की शर्त रखी गई है।

डॉ। आशीष कुमार श्रीवास्तव

डीएम, देहरादून

Posted By: Inextlive