-सीएम त्रिवेंद्र रावत से 2 बार तो पूर्व सीएम निशंक और हरीश रावत से भी ट्रांसफर को लेकर गुहार लगा चुकी है महिला शिक्षिका

-फेसबुक वाल पर पहले ही क्रांति का बिगुल बजा चुकी थी महिला शिक्षिका

देहरादून, सीएम के जनता दरबार में ट्रांसफर की मांग करने पर अनुशासनहीनता के आरोप में सस्पेंड की गई शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा पिछले 10 वर्ष से ट्रांसफर की गुहार लगा रही थी। उत्तरकाशी के एक दुर्गम स्कूल में वह 20 वर्ष से ज्यादा समय से तैनात है। सीएम के दरबार में गुहार लगाने से 4 माह पहले भी वह उनसे मिलकर ट्रांसफर की अपील कर चुकी थी। सीएम ने उसे मामले में जल्द कार्यवाही का भरोसा दिलाया था। लेकिन, थर्सडे को जनता दरबार में सीएम का व्यवहार देखकर वह अपना आपा खो बैठी और जमकर हंगामा किया।

दो पूर्व सीएम से भी की थी अपील

शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा का्रंग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में सीएम रहे हरीश रावत व इससे पहले बीजेपी सरकार में सीएम रमेश पोखरियाल निशंक से भी अपने ट्रांसफर को लेकर गुहार लगा चुकी थी। उत्तरा पंत ने बताया कि जब उनके पति बीमार हुए तो वे तत्कालीन सीएम रमेश पोखरियाल निशंक से मिलकर अपनी समस्या बता चुकी थी। इसके बाद जब उनके पति का देहांत हो गया तो वह एलपीसी को लेकर तत्कालीन सीएम हरीश रावत से भी मिली। हरीश रावत ने उसका विभागीय कार्य तो करवा दिया लेकिन ट्रांसफर नहीं हो सका। इसके बाद उत्तरा 4 माह पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलीं और ट्रांसफर की अपील की, सीएम ने कार्यवाही का भरोषा दिलाया।

शिक्षा मंत्री ने भी दिलाया विश्वास

इसके बाद उत्तरा शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे से भी मिली। मंत्री ने भी उन्हें ट्रांसफर करने की बात कही। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत से भी उसने इस संबंध में मुलाकात की और कई अफसरों के चक्कर भी काटे। उत्तरा पंत बहुगुणा ने कहा कि अब वह विभागीय जांच में अपना पक्ष रखेंगी, अगर न्याय नहीं मिला तो कोर्ट जाने की उन्होंने बात कही।

सोशल मीडिया पर दे दिये थे संकेत

सीएम के जनता दरबार में ट्रांसफर को लेकर हंगामा करने वाली शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा अधिकारियों और नेताओं से इस कदर परेशान हो चुकी थी, कि वह अपने फेसबुक पेज पर लगातार विरोध दर्ज करने लगी। इतना ही नहीं सीएम दरबार में हुए बवाल से ठीक 1 दिन पहले 27 जून को उत्तरा ने 2 पोस्ट अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किए, जिसमें उसने आक्रोश जताया था.पहली पोस्ट में भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हुए खुद को संयम, नियमों में बंधकर अनुशासन में रहने की बात की। इसके बाद दूसरी पोस्ट में उसने अपने ट्रांसफर को लेकर सिस्टम को धमकी दी। जाहिर है वह इस कदर सिस्टम से परेशान थी कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा डांटे जाने पर उसने अपना आपा खो दिया।

शिक्षिका सस्पेंड, जांच बैठाई

फ्राइडे को शिक्षा सचिव डॉ। भूपेन्द्र कौर औलख ने उत्तरा बहुगुणा मामले में प्राथमिक जांच बैठाने की बात कही। कहा कि जांच में उसे भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। जांच के लिए उप शिक्षा अधिकारी नौगांव को नामित किया गया है। सचिव ने बताया कि उत्तरा बहुगुणा 28 जून को सीएम के जनता दरबार में बिना किसी विभागीय अनुमति के गईं और अभद्रता की, जो कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन है। इस कारण उसे सस्पेंड कर दिया गया है। औलख ने बताया कि लगभग 500 शिक्षकों को अपने कैडर में वापिस भेजा गया है। उत्तरा बहुगुणा का जिला कैडर उत्तरकाशी है, इसलिए उनका स्थानांतरण उत्तरकाशी में ही हो सकता है। बताया कि वर्तमान में स्थानांतरण एक्ट प्रभावी हो चुका है। बताया कि उत्तरकाशी में दुर्गम से सुगम की पात्रता सूची में बहुगुणा 59 वें नम्बर पर है जबकि सुगम क्षेत्र में केवल 12 पद स्थानांतरण के लिए रिक्त हैं।

क्या कहता है तबादला एक्ट-

शिक्षा विभाग में जिला कैडर होने पर शिक्षक का ट्रांसफर एक जिले से दूसरे जिले में नहीं किया जा सकता। इसके लिए विशेष परिस्थितियों जैसे पति की दूसरे जिले में पोस्टिंग और गंभीर बीमारी होने पर सिर्फ महिलाओं को छूट दी जा सकती है। प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री दिग्विजय सिंह चौहान ने कहा कि सरकार चाहे तो लंबे समय से ट्रांसफर की मांग कर रही विधवा महिला की 55 से ऊपर उम्र होने और कई वर्षो से दुर्गम में तैनात होने की विशेष परिस्थिति में ट्रांसफर किया जा सकता है।

Posted By: Inextlive