शैक्षणिक सत्र 2024-25 के शुरू होने के साथ ही किताबों की खरीदारी से लेकर फीस बढ़ोत्तरी की समस्या कम नहीं हो रही है। न्यू क्लास में एडमिशन प्रोसेस के बाद पैरेंट्स प्राइवेट स्कूलों से और शॉप से महंगे रेट में बुक्स और स्टेशनरी खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। कुछ पैरेंट्स एनसीईआरटी की बुक्स में बदलाव को लेकर परेशान है।

-शिक्षा विभाग ने बनाया टोल फ्री नम्बर और आयोग ने जारी किया फोन नम्बर और ईमेलआईडी
देहरादून, 15 अप्रैल(ब्यूरो)।
एक और बड़ी दिक्कत यह है कि पब्लिशर्स पुरानी किताबों की जिल्द चेंज कर रहे हैैं और किताब की कीमत बढ़ा रहे है। जबकि किताब में पूरा कंटेंट पुराना है। इन सभी मुद्दों को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से अभियान चलाया गया।

लगातार रखी जा रही स्कूलों पर नजर
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ईजी नहीं एजुकेशन के नाम से अभियान चला रहा है। अभियान के दौरान कई पैरेन्ट्स ने खुलकर अपनी बात रखी। इस बीच कई पैरेन्ट्स की ओर से शिक्षा विभाग के उत्तराखंड बाल अधिकार सरंक्षण आयोग की डॉ। गीता खन्ना व सीईओ प्रदीप सिंह रावत से बातचीत के कुछ अंश।

सवाल:- सर क्या इस साल एनसीईआरटी बुक्स बदल रही है?
जबाव -मार्च माह में सीबीएसई की ओर से एनसीईआरटी की दो बुक्स के बदलने का सर्कुलर जरुर जारी हुआ था। इसके बाद किसी भी तरह की बुक्स के नहीं बदले जाएंगे।

सवाल:- क्या इस साल किसी और क्लास की एनसीईआरटी की बुक्स भी चेंज होंगी ?
जवाब :- मार्च में दो क्लास के बुक्स बदलने का सर्कुलर जरूर था। लेकिन, इसके बाद अब किसी भी क्लास की बुक्स नहीं बदली जाएगी। शुरूआत में ही बुक्स बदल दी जाती है। मिड सेशन में कोई बदलाव नहीं होता।

सवाल- स्कूलों पर कंट्रोल कैसे हो ?
जवाब- दून ही नहीं प्रदेश मेें स्कूल के रेगुलेट्री के लिए एक्ट होना जरूरी होता है। लेकिन, एक्ट का मामला लंबित होने के कारण ये दिक्कत आ रही है।

सवाल -: क्या हर साल बुक्स बदली जा सकती हैं?
जबाव - हर साल बुक्स बदले जाने का कोई भी नियम नहीं है। इसलिए एनसीईआरटी की बुक्स का अनिवार्य किया गया है।

सवाल - हर साल शिकायत तो आती है लेकिन, कार्यवाही नहीं होती ?
जबाव - अक्सर ऐसा होता है कि लोग इधर -उधर शिकायत तो करते है। लेकिन, विभाग को शिकायत करने से बचते है। जबकि, अगर कोई भी पैरेंट््स शिकायत करते है तो उनका नाम गुप्त रखा जाता हैं।

सवाल -: क्या बुक्स स्कूल के अंदर बेची जानी चाहिए?
जवाब -: प्राइवेट स्कूलों के नियमानुसार एनसीईआरटी आधारित बुक्स लगाई जा सकती हैं। उसको चुनने का अधिकार प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल को है। बशर्ते बुक्स स्कूल के अंदर नहीं बिकनी चाहिए।

सवाल :- क्या हर साल मनमाने तरीके से फीस वृद्धि होनी चाहिए।इसका कोई नियम नहीं है क्या ?
जवाब :- हर साल स्कूल 5 से 10 परसेंट तक फीस वृद्धि कर सकते है। लेकिन, इसके बावजूद अगर स्कूल मनमाफिक तरीके से फीस वृद्धि कर रहे है तो ये मानकों के विरूद्ध हैं।


सवाल:- हर साल एडमिशन फीस व एनुअल चार्ज लेना उचित है?
जवाब- न्यू स्कूल में एडमिशन होने पर एडमिशन फीस ली जा सकती है। लेकिन, क्लास के बदलने में एडमिशन फीस नहीं ली जा सकती। इसके साथ ही एनुअल चार्ज भी नहीं लिया जाना चाहिए।

सवाल-: कई बार एक माह की भी फीस जमा न होने पर बच्चे को क्लास में बैठने नहीं दिया जाता। बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार उचित है क्या?
जवाब- अक्सर स्टूडेंट को फीस जमा न होने की स्थिति में क्लास में न बैठने देने की शिकायत मिल रही हैं। बच्चे मासूम होते है। फीस से सबंधित पैरेन्ट्स से बात की जाए न कि बच्चों को कहा जाना चाहिए। इसका असर उनके मन पर पड़ता हैं।

सवाल- अक्सर देखा जा रहा है कि स्कूल की ओर से स्टेशनरी के नाम पर किट थमा रहे है। ऐसे में पैरेन्ट्स क्या करें?
उत्तर- बार-बार स्कूलों को ये निर्देश दिए गए है कि वे अपने बुक बैंक बनाए । इसके तहत वे पास हुए स्टूडेंट की बुक स्कूल में जमा करें जिससे इस क्लास के न्यू स्टूडेंट को इसका फायदा हो और पैरेन्ट्स पर बुक्स का बोझ न पड़े।

बाल आयोग ने जारी किया नम्बर
किसी भी प्राइवेट स्कूल से सबंधित शिकायत जैसे मनमानी फीस, वार्षिक शुल्क, कॉपी किताबों, ड्रैस में अप्रत्याशित बदलाव, नई किताबों का चलन आदि को लेकर अभिभावाकों को परेशान किया जाता है। तो वह बिना किसी संकोच के उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के ऑफिस और फोन नम्बर पर कॉल कर सकते है।
फोन नम्बर-:- 9258127046
आयोग की ई-मेल आईडी
-ह्यश्चष्ह्म्।ह्वद्मञ्चद्दद्वड्डद्बद्य।ष्शद्वे


पीटीएम में स्कूल रखें फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव
ङ्क्षप्रसिपल प्रोगेसिव स्कूल्स एसोसिएशन (पीपीएसए) की बैठक में वाहनों को स्कूल के भीतर प्रवेश कराने, वार्षिक फीस बढ़ोतरी के लिए हर दिसंबर माह में पेरेंट टीचर मीङ्क्षटग (पीटीएम) में प्रस्ताव रखने पर सहमति जताई। बैठक में देहरादून के 27 स्कूलों के ङ्क्षप्रसिपल शामिल हुए। जिसमें अधिकांश स्कूलों ने शिक्षा विभाग पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आरटीई के तहत छात्रों की संख्या दर्शाने के लिए विभाग ने पोर्टल बिना किसी सूचना के बंद कर दिया। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि सिटी के 40 प्रतिशत स्कूलों ने आरटीई के तहत पंजीकरण किया था जिसमें से 17 स्कूलों को चेक करने के बाद विभाग ने पोर्टल बंद कर दिया है। फीस बढ़ाने को लेकर कहा कि जो गाइडलाइन है उसी के अनुसार 10 प्रतिशत तक ही फीस बढ़ोतरी की जाए। इसकी जानकारी दिसंबर महीने में स्कूल पीटीएम के दौरान पैरेन्ट्स के सामने अपनी फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखें।

Posted By: Inextlive