रोडवेज यात्रा सीजन में अधिक बसों के संचालन का दावा कर रहा है जबकि रोडवेज के पास बसें मौजूद ही नहीं हैं। रोडवेज की अधिकतर बसें या ट्रासंपोर्टनगर में स्पेयर पाट््र्स का इंतजार कर रही हैं या अपनी मियाद पूरी कर चुकी हैैं। बसों में सीट कवर दुरुस्त नहीं हैैं सेफ्टी गार्ड नहीं हैैं और टायर भी रिट्रीटेड हैैं जो अनसेेफ रहते हैैं।

देहरादून (ब्यूरो) दून से रोडवेज की दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मु और उत्तर प्रदेश के लिए बसों का संचालन होता है, जिनमें हजारों की संख्या में पैसेंजर ट्रैवल करते हैं। टीम ने जब रोडवेज की बसों का निरीक्षण किया तो तमाम कमियां मिलीं। यात्रियों की सेफ्टी के लिए इस्तेमाल होने वाले फस्र्ट एड बॉक्स मौजूद नहीं थे। जिसमें किट मिली भी तो उनमें दवाइयां नहीं मिलीं। कुछ बसों में जब टीम ने कंडक्टर से किट की जानकारी मांगी तो उन्होंने ड्राइवर के पास होने का हवाला देते हुए कहा कि वह अपने पास रखता है। जबकि, ड्राइवर से पूछने पर उसने फस्र्ट एड बॉक्स न होने की बात कही।


रोडवेज के बेड़े में इतनी बसें
-कुल बसें करीब-1200
-साधारण बसें -950
-एसी बसें -55
-वॉल्वो बसें (अनुबंधित)-50
-सीएनजी बसें (अनुबंधित)-13

पैनिक बटन को भूला रोडवेज
रोडवेज की बसों समेत सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में एक समय पैनिक बटन अनिवार्य किए गए थे। लेकिन, दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने रोडवेज की बसों का रियलिटी चैक किया तो इन बसों में पैनिक बटन नहीं मिला। जिन बसों में पैनिक बटन मिला भी वह भी टूटा हुआ मिला।

500 से ज्यादा बसें कबाड़
रोडवेज के बेड़े में बीते 5 सालों से नई बसों की खरीद नहीं हो पाई है। रोडवेज ने अगस्त 2016 में 484 बसों की खरीद की थी, जिसके बाद अक्तूबर 2019 में 300 बसों की खरीद की थी, जिनमें 150 बसें पर्वतीय मार्गो के लिए और 150 बसें मैदानी मार्ग के लिए खरीदी गई थी। इसके बाद से रोडवेज ने बसों की खरीद नहीं की। जबकि, जानकारों के अनुसार रोडवेज में 2016 में खरीदी गई 484 बसें 8 साल पूरी कर चुकी हैं। इनकी मियाद पूरी हो चुकी है। यहीं कारण है कि इन बसों के रूट पर चलने पर कभी ब्रेक फेल, कभी टायर प्रॉब्लम जैसी तमाम दिक्कतों का सामना रोडवेज को करना पड़ रहा है।

बीएस-6 का प्लान फेल
बीते कई सालों से रोडवेज सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 बसों की खरीद का प्लान बना रहा है। लेकिन, कई बार टेंडर के लिए आवेदन मांगे जाने के बाद भी कंपनी टेंडर नहीं डाल रही हैं। जिसके कारण रोडवेज नई बसों की खरीद नहीं कर पा रहा है, जिससे रोडवेज के बेड़े में बसों की संख्या घटती जा रही है, जिसका फायदा प्राइवेट बस संचालक उठा रहे हैं।

स्पेयर पाट्र्स भी नहीं
रोडवेज में टायर और स्पेयर पाट्र्स के अभाव में दो दर्जन से ज्यादा बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं। ये बसें पुरानी होने के कारण मार्गो पर खराब हो रही हैं। बीते एक सप्ताह में ही पर्वतीय डिपो की पांच बसें अलग-अलग रूट्स पर खराब हो गई थी। जिनके लिए ब्रेक ड्रम, गियर लिवर, टायर, क्लच प्लेट, स्टेयरिंग रॉड, कमानी और अन्य पाट्र्स के लिए ऑर्डर किए हुए हैं। लेकिन, बार-बार डिमांड के बाद भी न मिलने से ये बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं।


जल्द ही रोडवेज के बेड़े में 100 नई बसों को शामिल किया जाना हैं। उम्मीद है कि इसे मई के लास्ट वीक तक रोडवेज में शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही बेहतर बसों का संचालन रेगुलर किया जा रहा है। जिससे बसों के संचालन में दिक्कत न झेलनी पड़े।
दीपक जैन, जीएम, रोडवेज

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Posted By: Inextlive