- सीबीएसई के रीजनल ऑफिस के लिए जमीन की व्यवस्था नहीं कर पाई सरकार

- जमीन के लिए लगातार सरकार से मांग कर रहा है बोर्ड

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2013 में खुला था दून में रीजनल ऑफिस

1700 स्कूलों का जिम्मा है ऑफिस पर

3 एकड़ जमीन चाहिए ऑफिस के लिए

10 लाख रुपए हर माह देना पड़ता है किराया

5 करोड़ रुपए अभी तक सिर्फ किराए में हुए खर्च

DEHRADUN: सरकार की अनदेखी और अफसरों की लापरवाही का खामियाजा सीबीएसई के रीजनल ऑफिस की शिफ्टिंग का कारण बन सकता है। सीबीएसई का रीजनल ऑफिस चार सालों से किराए के भवन पर चल रहा है। लेकिन, कई बार मांग किए जाने के बाद भी ऑफिस के लिए जमीन की व्यवस्था सरकार नहीं करा पाई है। सीबीएसई को हर माह क्0 लाख रुपए किराए की बिल्डिंग के चुकाने पड़ते हैं और अब तक भ् करोड़ रुपए सिर्फ किराया भुगतान पर ही बोर्ड खर्च कर चुका है। ऑफिस को मेरठ में शिफ्ट किए जाने की मांग भी उठती रही है, अगर सरकार रीजनल ऑफिस के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करा पाई तो ऑफिस मेरठ शिफ्ट हो सकता है।

क्700 स्कूलों का जिम्मा

दून को दिसंबर ख्0क्फ् में सीबीएसई का रीजनल ऑफिस मिला। इस रीजनल ऑफिस के दायरे में दून के अलावा वेस्ट यूपी के क्भ् जिले भी शामिल हैं। जिनमें कुल क्700 स्कूलों का जिम्मा रीजनल ऑफिस देख रहा है। ख्0क्ब् से बोर्ड एग्जाम्स के संचालन की प्रक्रिया भी रीजनल ऑफिस के जरिए ही हो रही है। इसके बाद सीबीएसई के कामकाज और अन्य ट्रेंनिंग के लिए एक ऑफिस की तलाश भी शुरू हुई। लेकिन, आज तक सरकार की अनदेखी और अफसरों की सुस्ती का खामियाजा सीबीएसई को भुगतना पड़ रहा है।

कब मिलेगी जमीन?

सीबीएसई के रीजनल ऑफिसर रणबीर सिंह ने बताया कि पिछली सरकार ने डांडा लखोंड में जमीन देने की बात की थी। लेकिन, सीबीएसई कमेटी ने रीचेबिलिटी और डिस्टेंस को देखते हुए इसे रिजेक्ट कर दिया। इसके बाद उन्होंने वर्तमान सरकार में सीएम के एडवाइजर से लेकर कई मंत्रियों और सांसदों से मुलाकात भी की है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई रिस्पॉन्ज जमीन को लेकर उन्हें नहीं मिला है।

तो मेरठ शिफ्ट हो जाएगा ऑफिस

सीबीएसई के रीजनल ऑफिस को मेरठ में शिफ्ट करने का दबाव भी लगातार बन रहा है। दरअसल रीजनल ऑफिस के दायरे में यूपी वेस्ट के क्भ् जिले भी आते हैं। इन जिलों के लिए मेरठ नजदीक पड़ता है। इन्हीं के द्वारा रीजनल ऑफिस मेरठ शिफ्ट करने का दबाव बनाया जा रहा है। इसके अलावा रीजनल ऑफिस में तैनात कई कर्मचारी यूपी से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें मेरठ में ऑफिस का शिफ्ट होना ज्यादा सुविधाजनक लगता है। ऐसे में अगर सरकार जल्द ही ऑफिस के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करा पाई तो ऑफिस के मेरठ शिफ्ट होने की संभावना बढ़ जाती है।

दून को फायदा भी, रेवेन्यू भी

सीबीएसई का रीजनल ऑफिस दून में रहने के कारण दून को काफी सुविधाएं मिलती हैं, पहले दून के स्कूलों को प्रशासनिक कामों के लिए इलाहाबाद जाना पड़ता था। दून में ऑफिस खुलने से उन्हें राहत मिली। इसके अलावा यूपी वेस्ट से बड़ी तादाद में प्रशासनिक कामों के लिए रीजनल ऑफिस में लोग पहुंचते हैं, जिनसे दून होटल, रेस्टोरेंट कारोबारियों को भी आमदनी होती है और सरकार को भी रेवेन्यू मिलता है। यदि जमीन न मिलने के कारण ऑफिस शिफ्ट होता है तो व्यवसायियों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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जमीन की तलाश को लेकर हम लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं। लेकिन, अभी तक हमें कोई पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला है। सीबीएसई किराये के रूप में अभी तक करोड़ों रुपए का भुगतान कर चुका है। हमारे पास बजट भी है, लेकिन जमीन नहीं है।

रणबीर सिंह, रीजनल ऑफिसर, सीबीएसई।

Posted By: Inextlive