जानें अपने देश में सूर्योदय से पहले क्यों दी जाती है फांसी
सुबह के वक्त ही फांसी देने के प्रशासनिक कारण
जेल मैन्युअल के तहत फांसी सूर्योदय से पहले के समय दी जाती है क्योकि जेल के अन्य कार्य सूर्योदय के बाद शुरू हो जाते है। ये कार्य प्रभावित न हो इसलिए सुबह फांसी दी जाती है। इसके साथ ही तमाम कागजी कार्यवाही भी इसके साथ जुड़ी होती है उसे पूरा करने में समय लगता है अत जेल की दिनचर्या शुरू से पहले इन्हें भी खत्म करना होता है।
कानूनी कारण
हालाकि ये कोई निश्चित समय तय नहीं है लेकिन फांसी देने के दस मिनट बाद डाक्टरों का पैनल फांसी के फंदे में ही चेकअप कर बताता है कि वह मृत है कि नहीं उसी के बाद मृत शरीर को फांसी के फंदे से उतारा जाता है। लिहाजा डाक्टर की उपस्थिति अनिवार्य होती है। इसके अतिरिक्त जल्लाद सहित एक न्यायाधीश या उनके द्वारा भेजा गया प्रतिनिधि और पुलिस के कुछ अधिकारियों का उपस्थित होना भी जरूरी होता है और ये सभी एक साथ सुबह के समय ही आसानी से उपलब्ध हो सकते हें अत फांसी कानूनी रूप से भी सुबह सवेरे ही दी जाती है।
नैतिक कारण
फांसी सुबह देने के पीछे सबसे बड़ा नैतिक तर्क यही है कि जब ये तय है कि इस व्यक्ति को फांसी दी जानी है तो उसे दिन भर इंतजार की अमानवीय यातना देने का कोई अर्थ नहीं है, इसीलिए फांसी सुबह सवेरे नित्यकर्म से निपटने के बाद दे दी जाती है। इसके बाद शव को परिवार और परिजनों को भी सौंपना होता है, तो ये भी भावना होती है कि उनको अंतिम संस्कार के लिए दिन भर का समय मिल सके।
सामाजिक कारण
हालाकि ये हर बार असर डाले ये जरूरी नहीं है पर कई बार फांसी को लेकर हो हल्ला और विवाद होता है, जैसा कि पिछले दिनों कुछ मामलों में देखा भी गया। इसलिए इससे पहले की लोगों की दिनचर्या प्रारंभ हो और कोई अव्यवस्था फैले उसके पहले फांसी देने और उससे जुड़ी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने का कार्य निपटा लिया जाता है।