ब्रिटेन में आठ जून को आम चुनाव हैं। ब्रिटेन ने यूरोपीय यूनियन से अलग होने का फ़ैसला किया है।

आगे की दिशा तय करने के पहले ब्रिटेन सरकार ने चुनाव कराने का निर्णय लिया।

 

भारत और ब्रिटेन के चुनावों में क्या फ़र्क होता है? लंदन के स्कूल ऑफ़ ओरियंटल ऐंड अफ़्रीकन स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर सुबीर सिन्हा ने ब्रितानी चुनाव प्रक्रिया के बारे में बताया।

 

ईवीएम का इस्तेमाल क्यों नहीं

प्रोफ़ेसर सुबीर सिन्हा के मुताबिक़ भारत और ब्रिटेन में चुनाव प्रचार में भी बहुत फ़र्क होता है। ब्रिटेन में भारत की तरह बड़ी-बड़ी रैलियां नहीं होतीं। वहां डोर टू डोर कैंपेनिंग होती है। प्रत्याशी, सीधे मतदाता के घर पर जाकर उनसे बातें करते हैं। कई दफ़ा मतदाता को तंग भी नहीं किया जाता। बस प्रत्याशी अपनी प्रचार सामग्री जैसे पर्ची वगैरह घर के दरवाजों के नीचे से सरका देते हैं। बिलकुल तामझाम नहीं होता। सब कुछ शांति से होता है।

 

खर्च

सुबीर सिन्हा के मुताबिक़ ब्रिटेन में तकरीबन 50 साल पहले नेताओं को विशेष दर्जा हासिल था लेकिन अब ऐसा नहीं है। जैसे भारत में मतदाता और नेता के बीच ख़ासा फर्क होता है। जैसे भारत में नेताओं को महान मानने की परंपरा है, जो वीआईपी स्टेटस हासिल होता है वैसा ब्रिटेन में नहीं है। आम लोगों और नेता के रहन सहन में कोई फर्क नहीं होता। यहां नेताओं को वीआईपी का दर्जा प्राप्त नहीं है।

(बीबीसी संवाददाता पवन सिंह अतुल से बातचीत पर आधारित)


Posted By: Satyendra Kumar Singh