लो कांफिडेंस बढ़ा रहा सुसाइडल अटेंप्ट
RANCHI: भागदौड़ भरे जीवन में आज लोगों की लाइफस्टाइल बदल चुकी है। ऐसे में कोई फैमिली प्लान को लेकर परेशान है तो कोई काम के बोझ के कारण टेंशन में है। अब तो स्कूल गोइंग बच्चे भी पढ़ाई के प्रेशर से मेंटली डिस्टर्ब होने लगे हैं। इस चक्कर में लोग सुसाइडल अटेंप्ट जैसे खतरनाक कदम भी उठा ले रहे हैं। हालांकि टाइम से हॉस्पिटल पहुंचने के कारण उनकी जान तो बच जा रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसी नौबत आ ही क्यों रही है। ये बातें वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के मौके पर साइकियाट्रिस्ट डॉ। केशव ने कहीं। साथ ही कहा कि अगर इस टेंडेंसी को रोकना है तो फैमिली और दोस्तों को पहल करनी होगी।
टेंशन व फेल्योर बड़ी वजहडॉ। केशव की मानें तो सुसाइडल अटेंप्ट के एक दर्जन से अधिक मामले राजधानी में हर दिन आ रहे हैं, जो लोग अटेंप्ट करने के बाद बच तो जाते हैं। इसके बाद उन्हें अहसास होता है कि ऐसा नहीं करना चाहते थे। फिर भी टेंशन और फेल्योर ने उन्हें ऐसा कदम उठाने को मजबूर कर दिया।
ये है सिंपटम्स -लाइफ खत्म करने की बात करना -लाइफ में अनावश्यक जोखिम उठाना -मूड में अचानक से बदलाव-हैबिट्स में चेंज आना
-अपनों से दूरी बनाना
-नींद में कमी होना -एडिक्शन का शिकार इन बातों का रखें ध्यान -बातों को ध्यान से सुनें -एक्सप्रेशन की कद्र करें -साइकियाट्रिस्ट-साइकोलॉजिस्ट से कंसल्ट -खतरनाक चीजों को सामने न रखें -अकेले रहने से उठ सकता है कोई कदम केस-1 सिटी की वर्षा कुमारी अफेयर में फेल्योर होने के कारण डिप्रेशन में रहती थी। कई बार घरवालों के सामने यह कहा भी कि वह यहां नहीं रहना चाहती। लेकिन किसी ने उसकी बातों को सीरियस नहीं लिया। एक दिन उसने फिनाइल लिक्विड पी लिया। परिजन उसे लेकर हॉस्पिटल भागे। अब वह जीना चाहती है। वर्जन मेंटल डिप्रेशन को लेकर काफी मामले सामने आ रहे हैं। लोग अलग-अलग कारणों से टेंशन में हैं। काउंसिलिंग में मरीज व उनकी फैमिली को भी रखते हैं ताकि वे दोबारा से सुसाइड अटेंप्ट न लें। ड्रग एडिक्शन भी इसका एक बड़ा कारण है। ऐसे में किसी भी हाल में पेशेंट को अकेला न छोड़ें। डॉ। केशव, असिस्टेंट प्रोफेसर, साइकियाट्री