डिजिटल एक्सरे, कागज पर हाथ से लिखकर तैयार होती है रिपोर्ट
फ्री ऑफ कास्ट है सरकारी हॉस्पिटल में डिजिटल एक्सरे जांच का चार्ज
30 रुपए पूर्व में था सरकारी में डिजिटल एक्सरे का चार्ज 400 रुपए है प्राइवेट सेंटर्स पर डिजिटल एक्सरे का चार्ज 80 जांच के करीब होती है बेली और काल्विन हॉस्पिटल में प्रतिदिन प्राइवेट सेंटर्स पर भारी भरकम है डिजिटल एक्सरे का चार्ज सरकारी हॉस्पिटल्स में नहीं दी जाती है जांच रिपोर्ट प्लेट उपलब्ध नहीं होने पर मरीजों को हो रही खासी दिक्कत PRAYAGRAJ: सरकारी हॉस्पिटल्स में लगी डिजिटल एक्सरे की सुविधा मरीजों पर भारी पड़ रही है। उनकी जांच तो हो जाती है लेकिन उन्हें रिपोर्ट नहीं उपलब्ध कराई जाती है। मरीजों को जांच रिपोर्ट के लिए इधर से उधर भटकना पड़ रहा है। ऐसे में उन्हें मजबूरन प्राइवेट सेंटर जाना पड़ता है, जहां जांच के नाम पर मोटी रकम ऐंठी जाती है। मजबूरी में करानी पड़ी प्राइवेट जांचसोरांव के रहमान की कमर में पिछले दो सप्ताह से दर्द था। तीन दिन पहले उन्होंने बेली हॉस्पिटल के डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने डिजिटल एक्सरे कराने को कहा। परिजन नूर ने बताया कि जांच के बाद टेक्नीशियन ने जांच रिपोर्ट नहीं दी। उन्होंने कागज पर लिखकर दे दिया। इस पर डॉक्टर ने असंतुष्ट होकर रिपोर्ट लाने को कहा। कई बार चक्कर लगाने के बाद भी एक्सरे प्लेट नहीं मिली। मजबूरी में लाउदर रोड के एक प्राइवेट सेंटर पर 400 रुपए देकर जांच कराना पड़ा।
जांच नॉर्मल, नहीं मिलेगी रिपोर्ट करेली के रहने वाली यास्मीन के घुटने में तेज दर्द था। काल्विन में डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने डिजिटल एक्सरे कराने की सलाह दी। यहां भी जांच कराने के बाद रिपोर्ट नहीं दी गई। यास्मीन के पति अशफाक बताते हैं कि टेक्नीशियन का कहना था कि जांच में कुछ नहीं निकला, रिपोर्ट लेकर क्या करोगे? कागज पर लिख दिया है दिखा देना कि रिपोर्ट में क्या आया है। बाद में अशफाक ने प्राइवेट में जांच कराकर निजी क्लीनिक में पत्नी को दिखाया। क्यों नहीं मिलती है जांच रिपोर्ट पूर्व में सरकारी हॉस्पिटल में डिजिटल एक्सरे के नाम पर तीस रुपए चार्ज लिया जाता था। बाद में उप्र सरकार ने इसे फ्री ऑफ चार्ज कर दिया। अब काल्विन और बेली हॉस्पिटल में प्रतिदिन 70 से 80 डिजिटल एक्सरे किए जाते हैं। इतनी जांचों की रिपोर्ट देने के लिए एक्सरे प्लेट की खरीद अब होना मुश्किल हो गया है। बजट नहीं होने से टेक्नीशियन डिजिटल एक्सरे तो कर लेते हैं। लेकिन फाइंडिग को कागज पर पेन से लिखकर देते हैं।बहुत दबाव बनाने पर ही एक्सरे की प्लेट उपलब्ध कराते हैं।
सीटी स्कैन प्लेट का भी टोटा केवल डिजिटल एक्सरे ही नही। बेली हॉस्पिटल में लगी सीटी स्कैन की जांच रिपोर्ट भी अक्सर मरीजों को नहीं मिल पाती है। यहां भी मरीजों को कागज पर लिखकर दे दी जाती है। इससे पेशेंट्स को काफी प्रॉब्लम होती है। यहां पर सीटी स्कैन का चार्ज 500 रुपए है जबकि प्राइवेट सेंटर पर 8 से 10 हजार तक लिए जाते हैं। प्राइवेट सेंटर्स पर मरीजों की भीड़ लगी हुई है और सरकारी में सुविधा होने पर भी कोई नहीं जाना चाहता। मजबूरी में अगर कोई इलाज कराने जाता है तो उसको ऐसे ही परेशान किया जाता है। -गौरव सिंह सरकार को अपनी पॉलिसी चेंज करनी चाहिए। सरकारी कंसर्न में बड़ी जांच मशीन लगाई है तो इसकी पूरी सुविधा मिलनी चाहिए। अगर जांच की प्रॉपर रिपोर्ट नहीं मिलेगी तो मरीज को इस सुविधा का क्या लाभ? -सचिन केसरवानी हमलोग को जांच रिपोर्ट नहीं दी जाती है। बजट का रोना रोया जाता है। अगर वीआईपी सोर्स लगाओ तो रिपोर्ट मिल जाती है। बिना प्लेट के एक्सरे रिपोर्ट किसी काम की नहीं होती। -राजेश यादव