आपकी कॉल, मैसेज और ईमेल पर है किसी की नजर
इसके लिए इंडिया ने अप्रैल, 2013 से व्यापक स्तर पर निगरानी कार्यक्रम लागू करना शुरू भी कर दिया है. इसके तहत सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी बिना कोर्ट की अनुमति लिए आपके ई-मेल और फोन कॉल्स टैप कर सकते हैं. मंडे को ही होम सेक्रेटरी आरके सिंह ने कहा था कि हम जल्द ही पूरी तरह से चाक-चौबंद निगरानी प्रणाली सीएमएस शुरू करेंगे. निजता की वकालत करने वाले इस व्यवस्था के विरोध में हैं. न्यूयॉर्क की ह्यूमन राइट्स वाच की इंटरनेट शोधकर्ता सिंथिया वांग के मुताबिक इंडिया को पारदर्शिता बरतनी चाहिए कि कौन सा डाटा लेने के लिए कौन अधिकृत होगा, क्या डाटा लिया जाएगा, उसका कैसे इस्तेमाल होगा और निजता की रक्षा कैसे की जाएगी.
सीएमएस के तहत देश के 90 करोड़ लैंडलाइन व मोबाइल फोन कस्टमर्स और एक करोड़ 20 लाख इंटरनेट कस्टमर्स में किसी को भी टारगेट किया जा सकेगा. इस सिस्टम में फोन पर की जा रही बातचीत सुनी जा सकेगी. आपके ई-मेल और फोन से भेजे गए मैसेज पढ़े जा सकेंगे. एजेंसियां फेसबुक-ट्विटर या लिंक्डइन पोस्ट पर निगरानी रख सकेंगी.
यही नहीं, आपके द्वारा गूगल पर की गई सर्च की भी निगरानी की जा सकेगी. साल 2012 में इंडिया ने गूगल को यूजर डाटा देने के लिए 4,750 एप्लीकेशन दिए. जो अमरीका के बाद वर्ल्ड में सबसे ज्यादा है.