कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर पूजा, दान, व्रत करने के अतिरिक्त कुण्डली के कमज़ोर ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिये उनसे सम्बन्धित दान करके उनके अशुभ फलों को कम करके शुभ फलों में वृद्धि कर सकते हैं।

1.सूर्य ग्रह के कमज़ोर होने पर:-* गेहूँ, स्वर्ण, तांबा, बर्तन, गुड़, गाय, लाल वस्त्र लाल फूल, लाल चंदन आदि वस्तुओं का दान किसी गरीब ब्राह्मण आदि को दें।

2. चंद्र ग्रह कमज़ोर होने के पर:- चाँदी की वस्तुयें, मोती, चावल, दूध, शंख, कपूर, दूध, दही, खीर आदि वस्तुयें किसी कन्या अथवा महिला को दान करें।

3. बुध ग्रह के कमज़ोर होने पर:- साबुत मूँग स्वर्ण, हरा वस्त्र, पन्ना, कस्तूरी, हरी घास, हरी सब्जिय़ाँ, किसी गरीब व्यक्ति को दान करें। विशेष रूप से किसी किन्नर को हरे कपड़ो के साथ हरी चूड़ी का दान अवश्य करें।

4. मंगल ग्रह के कमज़ोर होने पर:- मूसर की दाल, लाल कपड़ा,गेँहू, सोना, तांबा, लाल चन्दन, मूँगा, गुड़, लाल बेल, मीठे पुअे आदि दोपहर को किसी गरीब को दान करें।

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5. शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर:- सफेद रेशमी कपड़ा, चावल, दही, घी, गाय-बछड़ा, हीरा, इत्र, कपूर, शक्कर, सफेद तिल, मेकअप का सामान, ओपल आदि सांयकाल के समय किसी स्त्री को दान करें।

6. बृहस्पति ग्रह के कमज़ोर होने पर:- पीली मिठाइयाँ, केला, हल्दी, पीला धान्य, पीला कपड़ा, पुखराज, स्वर्ण, चने की दाल, शहद, केसर, शक्कर आदि किसी ब्राह्मण अथवा गुरू को अपनी सामथ्र्य के अनुसार दान करें।

7. शनि ग्रह के कमज़ोर होने पर:- काली उड़द, तेल, काले वस्त्र, लोहे की वस्तुयें, स्टील के बर्तन, काला तिल, कंबल, जूता, नीलम आदि वस्तुयें सांयकाल किसी गरीब वृद्ध को दान करें।

8. राहू के कमज़ोर होने पर:- काले-नीले फूल, कोयला, नीला वस्त्र, कम्बल, गोमेंद, उड़द, तेल, लोहा, मदिरा आदि किसी गरीब व्यक्ति को दान करें।

9. केतु ग्रह के कजोर होने पर:- काला फूल, चाकू, लोहा, छतरी, सीसा, लहसुनिया, दुरंगा कंबल, कपिला गाय, बकरा, नारियल, कस्तूरी आदि वस्तुयें सांयकाल दान देना श्रेष्ठ रहेगा।

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मकर संक्रान्ति पर क्या करें
मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल तिल का तेल तथा उबटन लगाकर स्नान करना चाहिये, तिल के तेल मिश्रित पानी से स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिल से होम करना, तिल डालकर जल पीना, तिल से बने पदार्थ खाना तथा तिल का दान देना-ये छ: कर्म तिल से ही करने का विधान है, प्रात: स्नान करने के पश्चात् सूर्य के सामने जल लेकर संकल्प करें, फिर बेदी पर लाल कपड़ा बिछाकर चंदन या अक्षतों का अष्ट दल कमल बनाकर उसमें सूर्य नारायण की मूर्ति स्थापित कर उनका स्नान, गंध, पुष्प, धूप, तथा नैवेध से पूजन करें तथा "ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें, साथ ही आदित्य ह्नदय स्त्रोत का पाठ कर घी, शक्कर तथा मेवा मिले हुये तिलों का हवन करें इनका दान भी करें। इस दिन धृत, कम्बल के दान का भी विशेष महत्व हैं। इस दिन किया गया दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का दो-गुना महत्व है। इस दिन इस व्रत को खिचड़ी कहते है। इसलिये इस दिन खिचड़ी खाने तथा खिचड़ा तिल दान देने का विशेष महत्व मानते है।

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मकर संक्रान्ति का महत्व
शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि कर्क संक्रान्ति के समय सूर्य का रथ दक्षिण की ओर मुड़ जाता है। इससे सूर्य का मुख दक्षिण की ओर तथा पीठ हमारी ओर होती है। इसके विपरीत मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य का रथ उत्तर की ओर मुड़ जाता है अर्थात् सूर्य का मुख हमारी ओर (पृथ्वी की तरफ) हो जाता है। फलत: सूर्य का रथ उत्तराभिमुख होकर हमारी ओर आने लगता है। सूर्यदेव हमारे अति निकट आने लगते है। मकर संक्रान्ति सूर्य उपासना का अत्यन्त महत्वपूर्ण, विशिष्ट एवं एकमात्र महापर्व है। यह एक ऐेसा पर्व है जो सीधे सूर्य से संबंधित है। मकर से मिथुन तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तथा कर्क से धनु तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य दक्षिणायन रहते हें। कर्क से मकर की ओर सूर्य का जाना दक्षिणायन तथा मकर से कर्क की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है। सनातन धर्म के अनुसार उत्तरायण के 6 महीनों को देवताओं का एक दिन और दक्षिणायन के 6 महीनों को देवताओं की एक रात्रि माना गया है।

ज्योतिषाचार्य पं. राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली।