- देहरादून निवासी दोनों युवा सैन्य अधिकारी इसी साल फरवरी में पुलवामा में हुए थे शहीद

- दून के शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल व मेजर चित्रेश बिष्ट की वीरता को सम्मान

देहरादून,

मातृभूमि के लिये अपने प्राण न्यौछावर करने वाले दून के शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल व मेजर चित्रेश बिष्ट की वीरता को सम्मान मिला है। देहरादून निवासी दोनों युवा सैन्य अधिकारी इसी साल फरवरी में पुलवामा में शहीद हुए थे। शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्र जबकि शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को मरणोपरांत सेना मेडल मिला है।

आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए थे मेजर विभूति

शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल देहरादून के नेशविला रोड ,डंगवाल मार्ग के रहने वाले थे। वह बीती 18 फरवरी को पुलवामा में हुए आंतकी हमले में शहीद हो गए थे। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकवादियों ने सीआरपीएफ की टुकड़ी पर फि दायीन हमला किया था। आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में मेजर विभूति शहीद हो गए थे। उनके साथ सेना के तीन और जवान भी शहीद हुए थे। सेना के जवानों ने जैश के दो खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया था। 34 वर्षीय मेजर विभूति ढौंडियाल सेना के 55 आरआर, राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे। वह तीन बहनों के इकलौते भाई थे। पिछले साल अप्रैल में उनकी शादी हुई थी। मेजर ढौंडियाल मूलरूप से पौड़ी जिले के बैजरों ढौंड गांव के मूल निवासी थे।

नौशेरा में आइईडी ब्लास्ट में शहीद हुए थे मेजर चित्रेश बिष्ट

शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट बीती 16 फरवरी को राजौरी के नौशेरा सेक्टर में हुए आइईडी ब्लास्ट में वह शहीद हो गए थे। आतंकियों ने इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लगाया हुआ था, सूचना मिलने पर सैन्य टुकड़ी ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया। इंजीनियरिंग कोर में तैनात मेजर चित्रेश बिष्ट आइईडी डियूज्ड करने में महारथ हासिल थी। लेकिन इसी बीच आइईडी ब्लास्ट होने से वह शहीद हो गए। मूलरूप से जनपद अल्मोड़ा के रानीखेत तहसील के अंतर्गत पिपली गांव के रहने वाले मेजर चित्रेश बिष्ट का परिवार दून में रहता है। उनके पिता सुरेंद्र सिंह बिष्ट उत्तराखंड पुलिस से इंस्पेक्टर पद से रिटायर हैं। शहादत के वक्त मेजर चित्रेश की उम्र 28 साल थी। मेजर चित्रेश की शहादत की खबर उस समय आई जबकि उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थी। मेजर चित्रेश की शादी सात मार्च को होनी थी।