कैंची कलस्टर से लेकर स्पोटर्स उद्योग को मिली पहचान

Meerut। मेरठ के उद्योग ने पिछले दस साल में काफी तरक्की कर अपनी अलग पहचान बनाई है। जहां पहले मेरठ को केवल केवल कैंची और स्पोटर्स के लिए पहचाना जाता था, वहीं अब मेरठ कई नए उत्पादों के लिए भी देश-विदेश में नाम कमा रहा है। हालांकि गत वर्ष कुछ उतार चढ़ाव और जीएसटी, ई वे बिल जैसी नई व्यवस्थाओं के चलते उद्योग मंदी पर रहा लेकिन अब उद्योग वापस गति पकड़ने लगे हैं। मेरठ में कृषि, बैंड बाजा, फूड इंडस्ट्री में रेवड़ी-गजक, केमिकल, कैंची, हैंडलूम, दवा उद्योग समेत कई अन्य प्रकार के बड़े कारोबार हैं। इन दस साल में इन उद्योगों ने अपनी अलग पहचान बनाई।

स्पोटर्स ने बनाई पहचान

दिल्ली के करीब होने का सबसे अधिक फायदा पिछले दस साल में मेरठ के उद्योगों को मिला है। दस साल में कई चीनी और पेपर मिलों ने अपना कारोबार फैलाया। लेकिन इस सबसे अधिक स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्रीज ने इस दस साल में अपना दायरा बढ़ाया। आज ओलंपिक से लेकर कई विश्व स्तर की प्रतियोगिताओं में मेरठ के स्पो‌र्ट्स गुड्स पकड़ बना चुके हैं। यह लगभग 1200 करोड़ की स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्रीज का कारोबार है। कई कंपनियों का स्पोटर्स गुडस चीन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, यूएसए, कनाडा, समेत दुनिया के अधिकतर सभी देशों में जाता है। ना केवल क्रिकेट बल्कि एथलेटिक्स, फुटबाल और जिम उपकरण में मेरठ अपनी पहचान बना रहा है।

कैंची उद्योग को मिला नया स्थान

मेरठ के सबसे पुराने और सबसे अधिक प्रसिद्ध कैंची उद्योग की धार को उभरने के लिए सरकार ने लोहियानगर में नई औद्योगिक कालोनी विकास कर कैंची कारोबारियों को ना सिर्फ जगह उपलब्ध कराई बल्कि उद्योग के विकास के लिए सब्सिडी की सुविधा भी दी है। कैंची कलस्टर से जुडे हजारों कारोबारियों को इस सुविधा से लाभ मिला है।

ज्वैलरी उद्योग की बढ़ी चमक

मेरठ के ज्वैलरी के कारीगरों ने ज्वैलरी इंडस्ट्रीज को देश विदेश में प्रसिद्ध किया हुआ है। यहां की ज्वैलरी के डिजाइन की सबसे अधिक डिमांड रहती है। ऐसे में जयपुर और मुंबई को टक्कर देते हुए कारीगरी में मेरठ का ज्वैलरी उद्योग भी ए श्रेणी में गिना जाने लगा है। ज्वैलरी करोबार में रोजाना करीब 200 करोड़ का कारोबार होता है। दस साल में मेरठ के कारीगरों के इस हुनर को उभारने के लिए एक विशिष्ट संस्थान खुला है। साथ ही साथ कई आर्थिक एजेंसिया शहर में निवेश कर रही हैं।

प्रदेश स्तर पर छाए उद्यमी

दस साल पहले तक अपने उद्योगों को उभारने की जद्दोजहद में जुटे मेरठ के उद्योगपति अब खुद प्रदेश स्तर पर अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। वह न केवल मेरठ बल्कि प्रदेश के अन्य जनपदों के उद्योगों की दशा सुधारने में सहयोग कर रहे हैं। इस क्रम में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने मेरठ के पंकज गुप्ता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। पंकज मेरठ से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले चौथे उद्यमी हैं। यह भी मेरठ की इंडस्ट्रीज के लिए दस सालो में नई उपलब्धि मानी जाती है।

जीएसटी से सुधरी हालत

शुरुआत में कुछ माह तक जीएसटी उद्योगपतियों के लिए भले ही आफत बना रहा हो लेकर सालभर की जद्दोजहद के बीच जीएसटी उद्योगपतियों के लिए फायदा बन कर उभर रहा है। खेल इकाई, कारपेट, ट्रांसफार्मर, फूड एवं केमिकल इकाइयों के कारोबारियों को अब जीएसटी लागू होने से कई अन्य मदों में टैक्स के भुगतान से निजात मिल गई है, जबकि दस साल पहले टैक्स चोरी जैसे मामलों उद्योगपति उलझे रहते थे।

ओडीओपी से मिली गति

प्रदेश सरकार ने ओडीओपी योजना के तहत मेरठ के खेल उद्योग को देश-दुनिया में नई पहचान देने की योजना बनाई। इसके तहत खेल उद्यामियों को कई प्रकार की सहूलियत दी गई। 120 उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिए पांच करोड़ का बजट जारी हुआ। नई इकाई लगाने वालों को बिजली व करों में छूट दी गई। उद्यमियों को प्रमोशन काउंसिल के इस मंच से विदेशों में अपने उत्पादों को पहुंचाने में मदद मिल रही है।

रियल एस्टेट को बूम

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे का सपना इस साल पूरा हो गया। दस साल पहले मेरठ और दिल्ली की दूरी से इंडस्ट्रीज की गति धीमी थी। लेकिन एक्सप्रेस वे न ना सिर्फ उद्योग को गति दी है बल्कि इससे रियल एस्टेट बूम आ गया है। एक्सप्रेस वे के कारण आसपास की जमीन की कीमतों में ना सिर्फ इजाफा हुआ है बल्कि नई कालोनियां और योजनाएं विकसित होने लगी हैं। शताब्दीनगर में गगोल रोड पर एयरपोर्ट एन्क्लेव जैसी योजनाएं अब तेजी से परवान चढ़ने लगी हैं। वहीं परतापुर बाईपास के तैयार होने पर पिछले दस साल में बाईपास के आसपास दर्जनों नई कालोनियां, सोसाइटी विकसित हुई हैं। बाईपास पर होटल, हॉस्पिटल, कालेज जैसी सुविधाएं विकसित होने से रियल एस्टेट को सबसे अधिक विकास इस दस साल में मिला है।

फैक्ट

22 हजार मेरठ में इंडस्ट्रीज

8000 करोड़ का कुल टर्नओवर

42 एक्सपोर्ट हाउस

1200 करोड़ स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री का टर्न ओवर

200 करोड़ बुलियन इंडस्ट्री का टर्नओवर

5.5 फीसदी औद्योगिक विकास दर

3 लाख लोगों को रोजगार

प्रमुख उद्योग - प्रकाशन उद्योग, कारपेट उद्योग, ट्रांसफार्मर उद्योग, कैंची उद्योग