माही के बड़े भाई होने के नाते उनकी पहचान तो थी, लेकिन समाजवादी पार्टी में शामिल होने, रांची से चुनाव लड़ने की घोषणा और लखनऊ में मुलायम सिंह यादव से मुलाकात के बाद जब नरेंद्र रांची लौटे, तो उनके समर्थकों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया.

समाजवादी पार्टी के झारखंड प्रभारी काशीनाथ यादव और झारखंड प्रदेश अध्यक्ष मिराज ख़ां ने उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलवाया.

नरेंद्र सिंह धोनी माही से उम्र में दस साल बड़े हैं. वो बताते हैं अभी उन्होंने 42 साल पूरे किए हैं. नरेंद्र के बाद बहन जयंती और उसके बाद महेंद्र सिंह धोनी आते हैं.

नरेंद्र ने रांची के डीएवी श्यामली स्कूल से दसवीं की पढ़ाई की है. इसके बाद माही ने भी इसी स्कूल से पढ़ाई की. नरेंद्र भी क्रिकेट खेलते थे, पर माही की तरह पिलकर नहीं.

चुनाव

"कभी हम भाई- बहनों के बीच किसी बात पर खटपट या नोंकझोंक नहीं हुई है. हम उन्हें स्नेह, प्यार देते हैं. वो हमें सम्मान देते हैं."

-नरेंद्र धोनी, महेंद्र धोनी के भाई

नरेंद्र बताते हैं कि वो रांची लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. उन्होंने अपनी इस इच्छा के बारे में माही को बताया था पर वे किस पार्टी से लड़ेंगे या किस राजनेता से संपर्क में हैं इसके बारे में विस्तार से उनकी माही से चर्चा नहीं हुई थी.

महेंद्र सिंह धोनी उनके चुनाव लड़ने पर नाराज़ तो नहीं होंगे, इस सवाल पर नरेंद्र कहते हैं, ''अरे नहीं भाई.''

लखनऊ से लौटने के बाद आपके माता-पिता की क्या प्रतिक्रिया थी, इस पर वे मुस्कराते हुए कहते हैं, ''पापा ने इतना भर कहा, राजनीति आसान नहीं है. अगर राजनीति करना ही चाहते हो, तो गांव-गांव, गली-मोहल्ले घूमो और जनता को बताओ कि निस्वार्थ सेवा करना चाहते हो.''

प्रचार

माही के भाई बिछाएंगे राजनीतिक बिसातनरेंद्र को सपा की राजनीति में भविष्य दिखाई देता है

जब उनसे प्रचार के बारे में पूछा गया तो नरेंद्र धोनी का कहना था कि मेरी पत्नी अंबिका ने साफ़ मना कर दिया कि उन्हें प्रचार नहीं करना. रही बात माही की पत्नी साक्षी की, तो इस बारे में पत्ते बाद में खोले जाएंगे.

माही पर उनका कहना था, माही बहुत व्यस्त हैं. उनका अपना प्रोटोकॉल भी है. लिहाज़ा वे चुनाव में प्रचार नहीं कर सकते, लेकिन हमें उम्मीद है कि छोटे भाई का नैतिक समर्थन ज़रूर मिलेगा.''

लेकिन जब उनसे पूछा गया कि चुनाव में तो काफी ख़र्च आता है, तो उनका कहना था दल मिले, दिलवाले भी मिलते जाएंगे. पैसे के लिए नो टैंशन.

झारखंड में समाजवादी पार्टी की पैठ नहीं है. साथ ही राज्य में लोकसभा और विधानसभा में भी सपा कोई चेहरा नहीं है. ऐसे में उन्होंने सपा का दामन क्यों थामा?

इस सवाल पर नरेंद्र कहते हैं, ''भाजपा में वे पहले थे. झारखंड में आजसू पार्टी का भी साथ दिया. कांग्रेस को पूरा देश देख रहा है. मुझे सपा में ही राजनीति का भविष्य दिखता है. 2014 में केंद्र की राजनीति में नेताजी ही धुरी बनेंगे. नेता जी जो कहते हैं, वो करते हैं.''

नरेंद्र के समर्थक सौरभ अंबष्ठ कहते हैं कि नरेंद्र भैया के चुनाव मैदान में उतरने से युवाओं में काफ़ी उत्साह है. तो वहीं एक ओर समर्थक अनिमेष कहते हैं कि दूसरे दलों के युवा कार्यकर्ता तेज़ी से हमारे साथ आने लगे हैं. नरेंद्र ने ऐलान किया है कि वे चुनाव जीतेंगे, तो हर महीने की तनख़्वाह शहीदों के परिवारों को सौंप देंगे.

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