बचने का कोई रास्ता नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने आज मुंबई में 1993 में हुए बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की क्यूरेटिव पेटिशन को खारिज कर दिया। इसके साथ ही उसकी फांसी की सजा पर मुहर लग गई है। इससे पहले राष्ट्रपति उसकी दया याचिका को ठुकरा चुके हैं। इस मामले में एक मात्र वही है जिसकी फांसी की सजा कोर्ट ने बरकरार रखी है। वहीं सोर्सेज का यह भी कहना है कि, केंद्रीय गृह मंत्रालय महाराष्ट्र सरकार को एक एडवाइजरी जारी करने वाली है। इसमें याकूब को फांसी के मद्देनजर पुलिस की व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर सलाह दी जाएगी।

फांसी की तैयारियां पूरी

जानकारी के मुताबिक उसकी फांसी के लिए नागपुर सेंट्रल जेल में सभी जरूरी तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई हैं। अब उसको 30 जुलाई को फांसी दे दी जाएगी। मुंबई में 12 मार्च, 1993 को हुई इस आतंकी घटना में एक दर्जन से अधिक जगहों पर धमाके हुए थे। इनमें 260 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे। 15 साल तक चले इस मुकदमे में विशेष टाडा न्यायाधीश पीडी कोदे ने जुलाई 2007 में 12 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि कुछ दिन बाद ही दोषी की मौत हो गई थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने दस दोषियों की सजा आजीवन कारावास में बदल दी।

याकूब मेमन के वकील की सफाई
याकूब मेमन के वकील शोबेल फारूक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो भी फैसला आया है उस पर हमे कुछ नहीं कहना है। उन्होंने बताया कि आज सुबह याकूब ने कहा था कि मुझे विश्वास है कि मेरी याचिका मंजूर कर ली जाएगी। फारूक ने कहा कि याकूब न्याय व्यवस्था में विश्वास करने वाला व्यक्ति है। इसलिए उसने आत्मसमपर्ण भी किया।

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