- इशेंसियल कमोडिटीज में होने के बावजूद इडेबल ऑयल और मसाला इंडस्ट्री की लॉकडाउन में सुस्त पड़ गई रफ्तार

-डिमांड और प्रोडक्शन कम फिर भी फैक्ट्री चलाने का खर्च वही, लेबर मैनेजमेंट व माल के ट्रांसपोर्टेशन में भी समस्याएं

KANPUR: कोरोना वायरस को लेकर लागू किए गए लॉकडाउन ने इंडस्ट्री और व्यापार को एक तरह से ठप कर दिया है। अब इंडस्ट्री से उत्पादन दोबारा शुरू करने के लिए कहा जा रहा है। साथ ही फैक्ट्रीज शुरू करने को लेकर कई तरह की शर्तें लगाई जा रही हैं। इन हालात में उद्यमियों का पक्ष जानना भी जरूरी है। इसी क्रम में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सिटी में मसाला और इडेबल ऑयल के व्यापार से जुड़े बड़े उद्यमियों से बात की। साथ ही उनसे जाना कि आखिर लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद बिजनेस को चलाने में क्या नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। इसे लेकर उनकी क्या शिकायतें हैं और इन समस्याओं को दूर करने के लिए क्या सुझ्ाव हैं।

बल्क डिमांड हो गई कम

कानपुर मे मसाला और इडेबल ऑयल इंडस्ट्री का कारोबार हजारों लोगों को रोजगार देता है। यहां से मसालों और इडेबल ऑयल की पूरे देश में सप्लाई होती है। इनकी यूनिटें भी कानपुर और आसपास के क्षेत्रों में ही लगी हैं। इशेंसियल कमोडिटीज में आने की वजह से यह इंडस्ट्री लॉकडाउन में भी चलती रही, लेकिन इस दौरान उद्यमियों को लेबर मैनेजमेंट, माल के ट्रांसपोर्टेशन में काफी प्रॉब्लम सामने आई। साथ ही माल की बल्क डिमांड भी कम हो गई। जिससे उत्पादन कम करना पड़ा है। जबकि इंडस्ट्री को चलाने की कॉस्ट उतनी ही है जितना कि लॉकडाउन से पहले थी। हांलाकि उद्यमियों का कहना है कि जिला प्रशासन और डीआईसी की तरफ से उद्योग को चलाने में सहयोग मिल रहा है। फिर भी कई बुनियादी समस्याएं हैं जिन्हें दूर करना जरूरी है।

इंडस्ट्री की ओर दिए गए सुझाव

- लेबर के आने जाने और काम करने के नियमों में छूट मिले

- लॉजिस्टिक ट्रॉसपोर्टेशन की समस्याओं को दूर किया जाए, माल भेजने पर उसे रोका न जाए

- इशेंसियल कमोडिटीज से लिंक दूसरे उद्यमों को बिजली के फिक्स चार्ज पर छूट दी जाए।

- फुटकर बिक्री को भी शुरू कराया जाए, ऑनलाइन से हर शख्स सामान नहीं खरीद सकता

- बैंक लोन पर इंटरेस्ट में तीन महीने की छूट दी जाए।

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हमारा बिजनेस इशेंसियल कमोडिटीज में आता है ऐसे में लॉकडाउन में भी फैक्ट्री चलती रही, लेकिन डिमांड अब कम है, जबकि ‌र्ख्च उतना ही है। हमारा सुझाव है कि उद्यमियों का बिजली का फिक्स्ड चार्ज माफ किया जाए। इसके अलावा गैर व्यवहारिक शर्तो में छूट दी जाए। हमारा लेबर पहले ही साइकिल से आसपास के क्षेत्रों से आता है ऐसे में उसके लिए बस लगाने की जरूरत नहीं है।

- आकाश गोयनका, डायरेक्टर गोल्डी मसाले

कोरोना की महामारी के कारण आदमी डरा हुआ है। लेबर फैक्ट्री नहीं आ रहे। इस वजह से लेबर की क्राइसेस है। पास होने के बाद भी लेबर के फैक्ट्री में पहुंचने में प्रॉब्लम आ रही है। जबकि हम फैक्ट्री में सोशल डिस्टेसिंग और सैनेटाइजेशन दोनों का पूरा ध्यान रख रहे हैं। हमारा बिजनेस भी इशेंसियल कमोडिटीज का है ऐसे में लॉकडाउन में भी फैक्ट्री चलती रही।

- अंचल गुप्ता, डायरेक्टर अशोक मसाले

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फैक्ट्री लगातार चल रही है। लॉजिस्टिक को लेकर थोड़ी प्रॉब्लम है। माल भेजने और कच्चा माल के फैक्ट्री तक ट्रांसपोर्टेशन में कुछ प्रॉब्लम आ रही है। हमारे यहां लेबर शुरुआत से ही आ रहा है तो उसे लेकर समस्या नहीं हुई। शासन प्रशासन का भी फैक्ट्री चलाने में पूरा सहयोग मिला है। धीरे धीरे स्थिति पटरी पर आएगी।

- सुनील गुप्ता, डायरेक्टर मयूर वनस्पति

फैक्ट्री चल रही है लेकिन डिमांड काफी कम हुई है। माल दूसरे स्टेट भेजने में समस्या आ रही है। बल्क सप्लाई लेने वाले कम हुए हैं। डेली कंज्यूमर डिमांड उतनी ही है। जब तक रुटीन में हर मोहल्ले में छोटी बड़ी राशन की दुकानें नहीं खुलेंगी समस्या बनी रहेगी। इस वजह से प्लांट को भी हफ्ते में 2 दिन ही चला रहे हैं।

- निशांत गुप्ता, डायरेक्टर,मंटोरा ऑयल