- टीम ने टिहरी से लेकर गंगोत्री तक भागीरथी के किनारे हुए निर्माण, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट व कूड़ा निस्तारण की व्यवस्थाएं देखी

UTTARKASHI: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की टीम बीते तीन दिनों से भागीरथी (गंगा) की स्थिति का स्थलीय निरीक्षण करने में जुटी हुई है। टीम ने टिहरी से लेकर गंगोत्री तक भागीरथी के किनारे हुए निर्माण, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट व कूड़ा निस्तारण की व्यवस्थाएं भी देखी। टीम के प्रमुख एवं पूर्व न्यायाधीश यूसी ध्यानी ने कहा कि भागीरथी के सौ मीटर के दायरे में जो निर्माण हो रहे हैं, वे अवैध हैं। उन्होंने इनकी जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश स्थानीय प्रशासन को दिए हैं। हालांकि टिहरी, उत्तरकाशी और गंगोत्री में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर उन्होंने संतोष व्यक्त किया।

एसटीपी का किया निरीक्षण

गंगा की निर्मलता और स्वच्छता को लेकर एनजीटी की ओर से दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन कराने और स्थलीय निरीक्षण करने के लिए गठित अनुश्रवण निगरानी समिति की टीम फ्राइडे को नई टिहरी पहुंची थी। वहां टीम ने एसटीपी का निरीक्षण करने के साथ अधिकारियों के साथ बैठक भी की। सैटरडे को टीम ने उत्तरकाशी पहुंचकर तांबाखाणी के पास डाले जा रहे कूड़े की स्थिति व कूड़ा डंपिंग जोन के लिए प्रस्तावित स्थल कंसेण के साथ ही गंगोत्री में एसटीपी व घाटों की स्थिति का भी निरीक्षण किया। एनजीटी की टीम के प्रमुख एवं पूर्व न्यायाधीश यूसी ध्यानी ने कहा कि भागीरथी के सौ मीटर के दायरे में जो निर्माण हो रहे हैं, स्थानीय प्रशासन को उनकी जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा गंगोत्री में जो सिल्ट जमा है, उसे सिंचाई विभाग हटाएगा। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को प्लान तैयार करने के निर्देश दिए। कहा कि गंगोत्री में नमामि गंगे के तहत घाटों का निर्माण किया जाना है। पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि उत्तरकाशी में व्यवस्थित तरीके से कूड़े से प्लास्टिक की छंटाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसे कॉम्पेक्ट कर हरिद्वार भेजा जाएगा। इसके अलावा जो कूड़ा बचेगा, उसका वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने के लिए जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है। उधर, जिलाधिकारी डॉ। आशीष चौहान ने कहा कि भागीरथी के सौ मीटर के दायरे में होने वाले निर्माणों को चिह्नित किया जा रहा है। 30 भवन चिह्नित किए गए हैं और भवन स्वामियों को नोटिस जारी किया जा रहा है।