नई दिल्ली, (पीटीआई)। Nirbhaya Case: दिल्‍ली हाईकोर्ट ने रविवार को निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती देने वाली केंद्र और तिहाड़ जेल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है। इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोषियों की ओर से फंसी की सजा को जानबूझकर टालने की कोशिश हो रही है। इसमें देर न किया जाना ही न्‍याय के हित में है।

जानबूझकर देरी की कोशिश

निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने अदालत में कहा कि मामले में न तो केंद्र और न ही दिल्ली सरकार ने निर्भया मामले के 4 दोषियों के खिलाफ मौत के वारंट के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख किया, उन्होंने ये भी कहा कि कार्यवाही में ट्रायल कोर्ट के समक्ष केंद्र कभी पक्षकार नहीं था जबकि अब वो देरी का आरोप लगा रहा है। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रविवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में "जानबूझकर, कैलुकेटेड और अच्छी प्लान करके हत्या के मामले में दोषियों को सजा दिलाने में देर की गई। इससे लोगों में निराशा फैल गई है। ये दलीलें इस मामले की सुनवाई के दौरान दी गईं।

शनिवार को दाखिल हुई याचिका
निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में शनिवार को केंद्र सरकार ने एक याचिका दाखिल हुई। इस पर अदालत रविवार को सुनवाई कर रही है। ध्यान रहे कि 2012 में हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। जस्टिस सुरेश कैत ने चारों दोषियों मुकेश कुमार, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय सिंह को नोटिस जारी किया है। साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार की याचिका पर तिहाड़ जेल के डीजी को भी जवाब देने के लिए कहा है।

दोषी कानूनी प्रक्रिया का उठा रहे फायदा

डीजी के वकील ने कोर्ट में कहा कि आदेश में हमारा पक्ष है। सुनवाई के दौरान साॅलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि निर्भया केस में दोषी कानूनी प्रक्रिया का 'मजा' ले रहे हैं और वे अपनी फांसी की सजा को जितना हो सके टालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कोर्ट से यह भी कहा कि निर्भया विभत्स सामूहिक दुष्कर्म के मुजरिम देश के धैर्य को आजमा रहे हैं।

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