PATNA: इनडायरेक्ट टैक्स के सरलीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम होगा गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी)। जिसे क् अप्रैल, ख्0क्7 से लागू किया जाना है। लेकिन वर्तमान में इसके रजिस्ट्रेशन को लेकर थोड़ी परेशानी आ रही है। चूंकि यह पहला मौका है और अभी अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि क्या उन्हें भी जीएसटी के लिए रजिस्टर करना होगा या नहीं। या जो रजिस्टर कर रहे हैं उन्हें किस प्रकार की सहूलियतें मिल सकती है और रजिस्टर करने के दौरान परेशानियों के समाधान के लिए क्या करें। इन सभी समस्याओं के निराकरण में दी इंस्टीट्यूट ऑफ चाटर्ड एकाउंटेंटस ऑफ इंडिया बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। इस दिशा में अब तक इसके पटना ब्रांच की ओर से इस संबंध में जागरूकता के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

समझें क्या है जीएसटी

जीएसटी एक इनडायरेक्ट टैक्स है, जो कि उपभोग (कंज्यूम) करने वाले को देना होगा। इस प्रकार जिस राज्य में सामान की बिक्री अधिक होगी, उपभोग करने वाले लोग अधिक होंगे, उस राज्य को इस नई व्यवस्था का लाभ होगा। विगत क्म् सितंबर, ख्0क्म् को कंस्टीट्यूशन एमेडमेंट बिल पास हो गया है। इस बिल की खास बात यह है कि पहले टैक्स के मामले में जो शक्तियां राज्य के पास थी, वह केन्द्र के पास चली गई है। इससे जीएसटी की राह आसान बनी और जीएसटी काउंसिल का गठन हो गया है। इसमें दो तिहाई वोटिंग राइट राज्यों के पास है जबकि एक तिहाई केन्द्र सरकार के पास है। जीएसटी का संशोधित ड्राफ्ट लॉ आ चुका है। लेकिन स्टेकहोल्डर की राय मांगी जा रही है।

अभी एक पेंच फंस रहा है

ख्फ् दिसंबर, ख्0क्म् को जीएसटी काउंसिल की हुई मीटिंग में सीजीएसटी और एसजीएसटी के ड्राफ्ट बिल को मंजूरी मिल गई है। लेकिन आईजीएसटी को लेकर गतिरोध है। आईजीएसटी में केन्द्र और राज्यों के बीच के हिस्से को लेकर यदि कुछ दिनों में स्थिति स्पष्ट नहीं होती है, तो एक अप्रैल, ख्0क्7 से लागू करने पर संदेह उत्पन्न हो जाएगा।

जीएसटी पोर्टल पर ये है परेशानी

क् - आधार बेस्ड सिग्नेचर को इनेबल नहीं किया गया है। जिसके कारण एआरएन नहीं कर पाये हैं। हालांकि प्रोफाइल अपलोडिंग आसान है।

ख् रजिस्ट्रेशन पैन पर आधारित है। सिर्फ एक ही बिजनेस का रजिस्ट्रेशन ले रहा है। मल्टीपल बिजनेस ऑनर के लिए ऑप्शन नहीं है।

फ् एचएसएन कोड केवल पांच वस्तुओं को सेलेक्ट करने का ही ऑप्शन देता है। इसमें मैन्यूफैक्चर को ध्यान में रखा गया है, ट्रेडर का नहीं।

ब् पोर्टल पर डेट सेलेक्ट नहीं कर पा रहे हैं। डेट फिलिंग को यूजर फ्रेंडली बनाना होगा।

भ् जिन उपभोक्ताओं का पॉप-अप नहीं खुल पा रहा है। उन्हें रजिस्ट्रेशन का मौका देने की जरूरत है।

म् जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है, उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पाने का भय सता रहा है।

इन्हें देना होगा जीएसटी

एक बड़ा सवाल है कि किसे जीएसटी देना होगा। इसके लिए वे सभी लोग शामिल होंगे, जो कि नीचे दिए गए किसी भी टैक्स को पे कर रहे हैं। इन सभी को जीएसटी सिस्टम पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा।

- सेंट्रल एक्साइज

- सर्विस टैक्स

- वैट

- इंट्री टैक्स

- लग्जरी टैक्स

- इंटरटेनमेंट टैक्स

अभी यह ट्रांजिशन फेज है। इसमें टैक्स कंसल्टेंट की बड़ी भूमिका होगी। आईसीएआइ, पटना ब्रांच जीएसटी को सफल और इसकी प्रक्रिया को सहज बनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। छह माह में इसके द्वारा सैंकड़ों रिसोर्स पर्सन तैयार किया गया है।

- राजेश कुमार खेतान, प्रेसिडेंट आईसीएआई

बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लिए जीएसटी को लागू कराने में सबसे बड़ी समस्या डिजिटाइजेशन की है। अन्य राज्यों की तुलना में यहां डिजिटाइजेशन पूअर है। जीएसटी का रिजस्ट्रेशन पेपरलेस होगा। यदि रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाता है तो इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं पाएगा।

- पीके अग्रवाल, सीए