-वायरल और डेंगू में तेजी से गिरता है प्लेटलेट काउंट
-ब्लड बैंक में लगी नई मशीन एफेरेसिस से निकला प्लेटलेट होगा अधिक इफेक्टेड
-सप्रेटर का एक यूनिट 4 से 6 हजार तो एफेरेसिस से 40 से 60 हजार बढ़ाएगा प्लेटलेट्स
GORAKHPUR: मॉनसून आने के साथ जहां गोरखपुराइट्स को गर्मी से राहत मिली है, वहीं वायरल और डेंगू का डर सताने लगा है। सिटी में हर साल वायरल और डेंगू के अटैक से कई लोगों की जान चली जाती है तो कई लोगों को हफ्तों हॉस्पिटल में रहना पड़ता है, क्योंकि इन डिजीज में प्लेटलेट्स काउंट तेजी से गिरतें हैं। अचानक बढ़ी इस डिमांड को पूरा करना किसी ब्लड बैंक के बस की बात नहीं होती। इस कमी को भी मरीज के रिश्तेदारों को ब्लड डोनेट कर पूरा करना पड़ता है। ब्लड डोनेट अभी भी करना पड़ेगा, मगर सिर्फ प्लेटलेट्स। ब्लड के बाकी कंपोनेंट उनकी बॉडी में दोबारा पहुंच जाएंगे। मतलब मरीज की हालत में सुधार होगा और डोनर की सेहत पर कोई खास इफेक्ट नहीं पड़ेगा। इसके लिए सिटी में प्लेटलेट्स की एक नई मशीन लगाई गई है।
ये प्लेटलेट्स होंगे ज्यादा इफेक्टेड
सिटी में करीब म् ब्लड बैंक है। जहां प्लेटलेट मिलता है। डॉ। सुधांशु शंकर के मुताबिक वायरल और डेंगू में प्लेटलेट काउंट तेजी से गिरते हैं। कई बार प्लेटलेट इतनी तेजी से गिरते हैं कि उसे रिकवर करना मुश्किल होता है और जान भी चली जाती है। ऐसे में तुरंत प्लेटलेट की जरूरत पड़ती है। वैसे हर ब्लड बैंक में यह सुविधा है। मगर ज्यादा जरूरत पड़ने पर सिर्फ गोरक्षनाथ हॉस्पिटल का ब्लड बैंक ही पूरा कर पाता है। अब तक सप्रेटर मशीन से निकले एक यूनिट ब्लड से करीब ब् से म् हजार प्लेटलेट काउंट पूरा होता था। मगर अब हॉस्पिटल में नई मशीन एफेरेसिस लगी है। जिससे निकलने वाले एक यूनिट से करीब ब्0 से म्0 हजार प्लेटलेट काउंट पूरा करेगा।
ब्8 घंटे में दे सकेगा प्लेटलेट
एक्सपर्ट के मुताबिक तीन माह में एक बार ब्लड डोनेट करना चाहिए। मतलब साल में चार बार। मगर एफेरेसिस से प्लेटलेट डोनेट करना वाला डोनर अगर चाहे तो ब्8 घंटे में दोबारा डोनेट कर सकता है। क्योंकि एक यूनिट ब्लड से प्लेटलेट निकाल कर बाकी अन्य कंपोनेंट दोबारा डाल दिया जाता है। इससे वीकनेस नहीं होती। एक्सपर्ट के मुताबिक एक माह में दो बार आसानी से प्लेटलेट डोनेट किया जा सकता है। मतलब साल में ख्ब् बार। इससे एक डोनर इन गंभीर बीमारियों से ख्ब् मरीज की जान बचा सकता है।
वर्जन-
अभी तक प्लेटलेट के लिए सप्रेटर मशीन का यूज किया जाता था। जिससे ब्लड के चारों कंपोनेंट को अलग-अलग कर जरूरत पड़ने पर यूज किया जाता था। मगर एफेरेसिस से अकेले प्लेटलेट भी दिया जा सकता है।
डॉ। ममता जायसवाल, पैथालॉजिस्ट
एफरेसिस से निकला प्लेटलेट काफी इफेक्टेड है। एक यूनिट ब्0 से म्0 हजार काउंट पूरा करता है। साथ ही डोनर की सेहत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। इससे मरीज की तबीयत ठीक होने के साथ उनके तीमारदार को डोनेट करने में प्रॉब्लम नहीं होगी।
डॉ। अवधेश अग्रवाल, प्रभारी ब्लड बैंक
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हर साल यूं प्लेटलेट्स ने बचाई जान
साल - प्लेटलेट्स यूनिट
ख्0क्0 - 89ख्0
ख्0क्क् - म्भ्ख्फ्
ख्0क्ख् - म्ख्क्म्
ख्0क्फ् - 7म्ख्म्
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इन डिजीज में कम होती है प्लेटलेट्स
-डेंगू
-आईटीपी
-इंफेक्शन
-एंट्रो वायरस
-अदर वायरल
-ब्लड संबंधी पुरानी डिजीज में
-हार्ट पेशेंट (जिनकी ब्लड को लेकर दवा चल रही हो )
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क्या है प्लेटलेट
प्लेटलेट प्लाज्मा, आरबीसी, डब्ल्यूबीसी की तरह ब्लड का एक जरूरी कंपोनेंट है। यह ब्लड क्लाटिंग में हेल्प करता है। डेंगू या अन्य कई वायरल डिजीज में प्लेटलेट्स तेजी से नष्ट हो जाते हैं और नए बनने की प्रक्रिया पर भी काफी इफेक्ट पड़ता है। ख्0 हजार से कम प्लेटलेट काउंट होने पर ब्रेन हेमरेज के चांस बढ़ जाते है। नॉर्मल शख्स में डेढ़ से ब् लाख प्लेटलेट काउंट होता है।