पहला धमाका शहर के एक व्यस्त बाज़ार में हुआ और दूसरा धमाका पास में ही अस्पताल के बाहर किया गया.

किसी गुट ने इन धमाकों की ज़िम्मेदारी नहीं ली है. जोस शहर में ईसाई और मुसलमान समूहों में हाल के वर्षों में हिंसक झड़पें होती रही हैं.

यहां हाल के दिनों में इस्लामी चरमपंथी समूह बोको हराम ने भी कई इमारतों को निशाना बनाया है.

प्रांतीय गवर्नर के एक प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि इन धमाकों में मारे गए ज्यादातर लोग महिलाएं हैं.

स्थानीय पत्रकार हसन इब्राहिम ने बीबीसी को बताया कि इलाके में तनाव बढ़ता जा रहा है जहां युवकों ने कुछ रास्तों को बंद कर दिया है.

वहीं धार्मिक नेता, लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं.

धमाकों के मायने

राजधानी अबुजा में मौजूद बीबीसी संवाददाता विल रॉस का मानना है कि यहां पहले भी धमाके होते रहे हैं और उनमें अलग-अलग धर्मों के लोग मारे जाते रहे हैं.

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उनका कहना है कि इन धमाकों में मारे गए लोग किसी एक धर्म को मानने वाले नहीं हैं और ज्यादातर लोग ऐसे थे जो काम-धंधे की तलाश में सड़कों पर निकले थे.

धमाके ऐसी जगहों पर किए गए ताकि अधिक-अधिक लोगों को निशाना बनाया जा सके.

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जोस शहर पर इससे पहले लगभग दो साल पहले हमला हुआ था. तब कई गिरिजाघरों पर बम फेंके गए थे.

उन हमलों को तब इस तरह देखा गया था कि बोको हराम ईसाई और मुसलमान समूहों के बीच संघर्ष को बढ़ावा देना चाहता है.

यहां हिंसा की घटनाएं दस वर्ष से भी अधिक समय से हो रही हैं जिन्हें अक्सर धार्मिक झड़पों के तौर पर देखा जाता है जबकि इनके पीछे ज़मीन, ताक़त और संसाधनों पर क़ब्ज़ा करना असल वजह होती है.

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