इस सफलता के आगे खर्च कुछ नहीं

यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने रोसेटो का निर्माण धूमकेतु (67P/Churyumov–Gerasimenko) का अध्ययन करने के लिए बनाया था. ईस्टर्न स्टैँडर्ड टाइम के मुताबिक, 10 सालों की कड़ी मेहनत के बाद बुधवार सुबह साढ़े 10 बजे के करीब फिलाय ने धूमकेतु पर सफलतापूर्वक लैडिंग की. यह लैंडिंग धरती से करीब 30 करोड़ मील यानी करीब 48 करोड़ किमी दूर हुई. इस रोसेटा मिशन को पूरा करने में करीब 10 हजार 700 करोड़ रुपए का खर्च आया है. वहीं जानकार इस खर्च को मिशन की सफलता के नजरिए से बेहद कम मान रहे हैं. उनका मानना है कि कड़ी मेहनत पर मिली इस सफलता के आगे इतना खर्च कुछ नहीं है. बता दें कि हाल ही में भारत को भी मंगल की कक्षा में यान भेजने की एक ऐतिहासिक सफलता हासिल हुई थी.

वैज्ञानिकों में छाई रही बेचैनी

धेमकेतु पर लैंडिंग होने के बाद से ही फिलाय ने तस्वीरें भेजनी शुरू कर दी हैं. बता दें कि लैडिंग के बाद भी काफी देर तक रोसेटा मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों में बेचैनी छाई रही, क्योंकि इस बीच कम्यूनिकेशन प्रॉपर नहीं हो पा रहा था. इस वजह से इसकी लैंडिंग में 28 मिनट का समय लग गया. हालांकि, जैसे ही लैंडिंग की पुष्टि की जानकारी मिली, मिशन से जुड़े वैज्ञानिक खुशी से उछल पड़े और इसके बाद वैज्ञानिकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया.

धरती के बारे में होगी और जानकारी

धूमकेतु पर मौजूद करीब 4 अरब साल पहले के इस डेटा का अध्ययन करके कुछ क्रांतिकारी जानकारी मिलने की संभावना है. रोसेटा स्पेसक्राफ्ट अगले साल तक इस धूमकेतु को फॉलो करेगा. धूमकेतु दरसअल उन पदार्थों से बना है, जिससे हमारा सोलर सिस्टम बना है. ऐसे में इसका अध्ययन करके धरती की उत्पत्ति के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने को मिलेगा.

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