। एक्सपर्ट बोले क्रिएटिव एक्टिविटी में लगाये बच्चों को

। शारीरिक दूरी बनाएं, लेकिन मानसिक दूरी नहीं

LUCKNOW:

केस 1

सर, कंप्टीशन एग्जाम आगे बढ़ गये हैं। कोचिंग बंद होने से तैयारी में दिक्कत हो रही है। समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें। आगे भविष्य का क्या होगा।

केस 2

सर, पूरी दुनिया में लोगों की कोरोना से मौत हो रही है। ऐसे में आगे की पढ़ाई करके क्या करेंगे। कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

केसर 3

सर, मेरे पैरेंट्स को डायबिटिज की बीमारी है। ऐसे में अगर उनको कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा। इसकी बड़ी टेंशन रहती है।

इंट्रो

कुछ इस तरह के सवाल बच्चों से लेकर यंगस्टर्स साइकोलॉजिस्ट से पूछ रहे हैं। वह कोरोना वायरस को लेकर किये गये लॉकडाउन से काफी डरे हुए हैं। स्कूल, कॉलेज से लेकर कोचिंग के बंद होने से बच्चों से लेकर यूथ में मेंटल टेंशन बढ़ती जा रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि आज के युवाओं में भविष्य को लेकर काफी सपने होते हैं, लेकिन इस कच्ची उम्र में भविष्य की अनिश्चितताओं को लेकर मानसिक तौर पर तैयार नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में कोरोना का खतरा और भविष्य की चिंता से लड़ना इनके लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इस समय पैरेंट्स को बच्चों के बिहेवियर पर नजर रखनी चाहिये। उन्हे मेंटली सपोर्ट देने की जरूरत है।

पैनिक हो रहे है बच्चे

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम के प्रदेश नोडल इंचार्ज डॉ। सुनील पांडेय बताते हैं कि लॉकडाउन के साथ क्वारंटाइन और आइसोलेशन की वजह से बच्चों के कोमल मन पर काफी निगेटिव प्रभाव पड़ रहा है। हमारे पास ऐसे डेली 50 से 60 फोन आ रहे हैं। हम उनकी काउंसिलिंग कर रहे हैं ताकि उनका मानसिक दबाव कम हो सके। उनको टिप्स देने के साथ पैरेंट्स को भी समझाते हैं। उनसे बच्चों का इस समय विशेष ख्याल रखने की अपील कर रहे हैं। बच्चों के बिहेवियर में चेंज आने पर तुरंत काउंसिलिंग का सुझाव दे रहे हैं।

अधिक जानकारी कर रही परेशान

बच्चे काफी संवेदनशील होते हैं। वह आजकल सब कुछ जानना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर आ रही कई तरह की अफवाह और अन्य जानकारियां बच्चों में मेंटल टेंशन की सबसे बड़ी वजह बन रही हैं। यह उनमें डिप्रेशन बढ़ाने का काम कर रही हैं। इसके साथ टीवी पर लगातार कोरोना को लेकर दुनियाभर में हो रही मौत की खबर उन्हे परेशानी कर रही है। इससे उनके मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है।

लॉकडाउन को पॉजिटिव तौर पर लें

लोहिया संस्थान के हॉस्पिटल ब्लॉक के एमएस और मनोरोग चिकित्सक डॉ। देवाशीष शुक्ला ने बताया कि लॉकडाउन से परेशान बच्चों की रोजाना कॉल आ रही है। इस पर हम उन्हे इसे पॉजिटिव लेने की सलाह दे रहे हैं। निगेटिव बातों से ध्यान हटाने के लिए जरूरी है कि खुद को फिजिकली और मेंटली फिट रखें। हेल्दी फूड के साथ निगेटिव खबरों से दूरी बनाकर रखें। अच्छी नींद लें और रातभर जगने से बचें।

मेंटल टेंशन ऐसे करें दूर

घर पर ही एक्सरसाइज और योगा की शुरुआत करें

। अपनी हॉबी के अनुसार खुद को बिजी रखें

। पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ समय-समय पर बात करते रहें

। पढ़ाई का स्लॉट एक डेढ़ घंटे से ज्यादा न रखें

। क्रिएटिव एक्टिविटी में खुद को बिजी रखें

। म्यूजिक और डांस स्ट्रेस कम करने का काम करता है

। फ्रेंड्स के साथ सोशल मीडिया से जुड़े रहें

। 7 से 8 घंटे की नींद पूरी करें

इसे करें अवाइड

। वाट्सएप और सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से बचें, निर्भरता कम करें

। टीवी पर ज्यादा न्यूज देखना अवाइड करें

। जरूरत से ज्यादा जानकारी न कलेक्ट करें

। पूरी रात जागने से बचना चाहिए

पैरेंट्स रखें ध्यान

। पैेरेंट्स बच्चों के सामने कोरोना पर डिस्कशन नहीं करें

। बच्चों के सामने लड़ाई करने से बचें

। बच्चों को मेंटली सपोर्ट करें

। घर के बड़े-बुजुर्ग के साथ बात करने के लिए कहें

। बच्चे किससे और क्या बात कर रहे हैं इसपर ध्यान दें

। बच्चे कौन सा सोशल मीडिया यूज कर रहे हैं इसपर नजर रखें

कोट

कोरोना को लेकर बच्चों के मन में निगेटिव थिंकिंग आ रही है। इसे दूर करने के लिए पैरेंट्स को इस समय काफी अवेयर रहने की जरूरत है। बच्चों के बिहेवियर में बदलाव आने पर तुरंत साइकोलॉजिस्ट की सलाह लें।

डॉ। सुनील पांडेय, नोडल इंचार्ज, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम