काफी पुरानी है यह कुरान
चर्म पत्र पर लिखे इस हिस्से के रेडियोकार्बन विश्लेषण से इसके 568 से 645 ईस्वी के बीच के होने का पता चला है। पैगंबर मोहम्मद का काल 570 से 632 बीच माना जाता है। दो चर्म पत्रों पर लिखी कुरान की इस पांडुलिपि में 18 से 20 सुरास (अध्यायों) के हिस्से शामिल हैं। यह पांडुलिपि शुरुआती अरबी लिपि जिसे हिजाजी के नाम से जाना जाता है, में स्याही से लिखी गई है। कुरान की पांडुलिपि का यह हिस्सा कैडबरी रिसर्च लाइब्रेरी में रखा है। यह मध्य पूर्व की हस्तलिपियों के संग्रह में शामिल है। कई वर्षों से ऐसी ही कुरानों के पत्रों के साथ बांधकर इसे रख दिया गया था।

ऐसे बनाया गया याद

लाइब्रेरी की विशेष संग्रह की निदेशक सुसान वोरल ने बताया कि रेडियोकार्बन डेटिंग से हमें इसके सबसे पुरानी कुरानों के हिस्सा होने का पता चला। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों डेविड थॉमस और नादिर दिनशॉ ने बताया कि उस जमाने में ईश्वरीय संदेश किताब के रूप में संकलित नहीं किए जाते थे। लोग उसे अपनी याददाश्त में संभालकर रखते थे और उसके कुछ हिस्से चर्म पत्र, पत्थर, ताम्र पत्र और ऊंट के कंधे पर लिखे जाते थे।

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