जयेंद्र सरस्वती और और विजयेंद्र समेत इस मामले में कुल 23 आरोपी थे.

अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. अभियुक्तों के अधिवक्ता ने बताया कि सबूत और हत्या का उद्देश्य साबित न होने के आधार पर आरोपियों को बाइज़्ज़त बरी किया है.

नौ साल चले मुक़दमे के बाद पुडुचेरी के प्रधान ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश सीएस मुरुगन अपना फ़ैसला सुनाया.

 कांची शंकराचार्य हुए गिरफ़्तार

2005 में विजयेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि तमिलनाडु का माहौल मामले की निष्पक्ष सुनवाई के लिए अनुकूल नहीं है.

मामला

विजयेंद्र की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले का तबादला तमिलनाडु के चेंगलपेट से पुडुचेरी की अदालत में कर दिया था.

शंकररमण हत्याकांड में कांची के शंकराचार्य बरी

कांचीपुरम के वरदराजापेरुमल मंदिर के प्रबंधक ए शंकररमण की तीन सितंबर 2004 को मंदिर में ही हत्या कर दी गई थी.

इस मामले में कुल 24 लोगों को भारतीय दंड संहिता की विभन्न धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया था, जिनमें से जयेंद्र सरस्वती और विजयेंद्र प्रमुख आरोपी थे.

कांची मठ के अन्य प्रबंधक सुंद्रेशन और जयेंद्र सरस्वती के भाई रघु को भी साजिशकर्ता के रूप में आरोपी बनाया गया था.

 कांची शकराचार्य की गिरफ़्तारी से दलित ख़ुश

आरोपियों में सह छह लोगों को क़त्ल का आरोपी बनाया गया था जबकि बाक़ियों को अन्य धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया था.

एक आरोपी काथीरवन की इसी साल मार्च में चैन्ने के केके नगर में हत्या कर दी गई थी.

गवाही

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ शंकररमण के बेटे आनंद शर्मा ने हलफ़नामा दायर कर कहा था कि उन्हें फ़ैसला सुनाए जाने से कोई आपत्ति नहीं है.

शंकररमण हत्याकांड में कांची के शंकराचार्य बरी

इसी साल उन्होंने सुनवाई की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध करवाए जाने की अपनी माँग को भी वापस ले लिया था.

पुडुचेरी के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के निर्देशों के बाद विशेष सरकारी अभियोजक ने अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष को फ़ैसले से कोई आपत्ति नहीं है.

सुनवाई के दौरान 2009 से 2012 के बीच में 189 गवाहों की गवाही हुई जिनमें से 83 गवाह पलट गए थे.

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