अलंकार रस्तोगी (शिक्षाविद व प्रेरक) वह ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड पर सॉल्व किए हुए सवाल। वह क्लास में गंदगी फैलाने पर आया आंटी का प्यार से डांटना। वह किसी खास टीचर के पीरियड का बेसब्री से इंतजार करना। वह यारों से दुनिया के सुख-दु:ख बांटना। वह पीटी के पीरियड में सर्दियों में भी पसीने का आ जाना। जाने ऐसी कितनी ही यादें पिछले ग्यारह महीने से कोरोना के डर के साए में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स के दिलो-दिमाग में घूम रही थीं। कुछ इसी पहलू को ध्यान में रखते हुए एजुकेशन सिस्टम को पटरी पर लाने की कवायद लगातार जारी है। देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार जैसे-जैसे थम रही है, वैसे-वैसे अलग-अलग राज्यों में स्कूल- कॉलेज खोले जा रहे हैं। गुजरात, हरियाणा, पंजाब और आंध्र प्रदेश समेत 10 राज्यों में 1 फरवरी से स्कूल खोल दिए गए हैं। वहीं, अब दिल्ली, यूपी, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और ओडिशा में भी फरवरी से स्कूलों को फिर से खोलने की तैयारी है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अब स्कूलों को खोलने का निर्देश नए सिरे से जारी कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कोविड अनलॉक व्यवस्था की समीक्षा में कक्षा छह से बारह तक के स्कूल खोलने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। 12 फरवरी से उत्तर प्रदेश में सभी स्कूल खुल गए हैं। ग्लोबल पेंडेमिक कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से प्रदेश के स्कूलों में बंद चल रही पढ़ाई अब सरकार शुरू करने जा रही है।

स्कूल के बच्चों के साथ कोविड के प्रोटोकॉल्स को फॉलो करवा चुनौती

इस दौरान जितना मुश्किल काम है पटरी से दाएं-बाएं हुई शिक्षा व्यवस्था को फिर से सुचारू रूप से शुरू करना, उतना ही चुनौती पूर्ण कार्य है स्कूल के बच्चों के साथ कोविड के प्रोटोकॉल्स को फॉलो करवा पाना। शुरुआत में जब कक्षा नौ से बारह तक के स्कूल शुरू किए गए, तब आशंकाओं के बीच इस बात का सुकून था कि इस उम्र के छात्र बड़े होते हैं और समझदार भी। जिन्हें अपनी जिम्मेदारियों का भली भांति ख्याल होता है। इस दौरान जहां छात्रों ने पूरे एहतियात के साथ फिजिकल डिस्टेसिंग का पालन किया। मास्क का अनिवार्य इस्तेमाल जारी रखा। सैनिटाइजर को अपनी आदत में शामिल किया।

आशंकाओं का होना सिर्फ निर्मूल ही साबित हो रहा

वहीं अब छठे क्लास से आठवीं क्लास तक के स्टूडेंट्स को उसी प्रोटोकॉल के तहत और उससे भी सख्त दिशा-निर्देशों के तहत स्कूल बुलवाया जा रहा है। यह पेरेंट्स के लिए आशंकाओं और उत्साह का मिश्रित पल है। आशंकाएं स्वभाविक हैं, लेकिन इस बार स्कूलों ने जिस तरह से एक्सपीरियंस एक आधार पर अपने आपको तैयार किया है, उसमें इन आशंकाओं का होना सिर्फ निर्मूल ही साबित हो रहा है।

11 महीने बाद 1 मार्च को प्राइमरी स्कूल्स के स्टूडेंट्स स्कूल पहुंचेंगे

उधर, दूसरी ओर केंद्र सरकार का कोविड वैक्सीनेशन कार्यक्रम भी लगातार जारी है। देश और प्रदेश में अब तक कई लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। जहां देश में 'हर्ड इम्युनिटी' लगातार विकसित होती चली जा रही है, वहीं कोरोना के मामले भी तेजी से कम होते जा रहे हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स का कोरोना को लेकर वह डर भी अब धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा हैै। एक और खुशी की बात यह भी है कि इस दौरान स्कूल सिर्फ बंद ही नहीं रहे, बल्कि उनका कायाकल्प भी किया गया है। यूपी बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित प्रदेश के 1.5 लाख से ज्यादा प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूल्स में 1 करोड़ 83 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। दावा किया जा रहा है कि 11 महीने बाद 1 मार्च को जब प्राइमरी स्कूल्स के स्टूडेंट्स अपने स्कूल पहुंचेंगे, तो उन्हें बहुत कुछ बदला हुआ नजर आएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर कोरोना संक्रमण के दौरान दी गई गाइडलाइंस के अनुरूप प्रदेश के हजारों स्कूलों का कायाकल्प किया गया है।

80 प्रतिशत से ज्यादा प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूल्स का कायाकल्प

मुख्यमंत्री के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित 80 प्रतिशत से ज्यादा प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूल्स का कायाकल्प करने का दावा किया जा रहा है। बताया गया है कि इसमें स्कूल में रंगाई-पुताई के साथ वॉल आर्ट, स्टूडेंट्स के लिए मल्टीपल हैंडवॉश व वॉशरूम्स बनाए गए हैं। वहीं, स्टूडेंट्स से जुड़ा स्टडी मटीरियल भी स्कूलों में पहुंच चुका है। इसके अलावा छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए स्कूलों में क्लास फस्र्ट एंड सेकेंड को स्मार्ट क्लास के रूप में डेवलप किया जा रहा है। अकेले लखनऊ के 1642 स्कूलों से करीब 100 स्कूल में स्मार्ट क्लासेज चलेंगी। इसका सीधा सा मतलब है कि आओ फिर से एक पॉजिटिव वातावरण में स्कूल चलें हम।

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