केस स्टडी
मीरगंज में मंडे को बरेली-दिल्ली हाईवे पर ज्योति हॉस्पिटल के पास तीन बाइक सवार युवकों को ओवरटेक करते समय ट्रक ने रौंद दिया था। जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी। हादसे की वजह सड़क के गड्ढे बताए गए थे। वहीं बाइक में तीन लोग सवार थे और उन्होंने हेल्मेट भी नहीं पहन रखा था। तीनों बाइक सवार शहर के शहदाना के रहने वाले थे।
केस 2
केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के निजी सचिव की सड़क हादसे में सैटरडे यानि 19 अक्टूबर को मौत हो गई थी। बरेली स्टेट हाइवे पर उनकी कार पीछे से ट्रक में घुस गई। शहर के जसौली निवासी ब्रजेश तिवारी मूल रुप से फर्रुखाबाद के रहने वाले थे। स्थानीय लोगों के अनुसार उन्होंने ने सीट बेल्ट नही लगाई थी।
- अन्य दिनों की तुलना में सुरक्षा सप्ताह के सात दिनों में बढ़ा रोड एक्सीडेंट का ग्राफ
- प्राईवेट और डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में रोजाना कई लोग हुए भर्ती
बरेली : शहर भर में सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत 14 से 20 अक्टूबर तक अवेयरनेस कैंपेन चलाया गया। लेकिन इसके बावजूद सड़क हादसों में कमी नहीं आई। एक हफ्ते में डिस्ट्रिक्ट में अलग-अलग जगह छह बड़े हादसे हुए जिसमें पांच लोगों की जान चली गई। ज्यादातर हादसे ट्रैफिक रूल्स फॉलो न करने की वजह से हुए है। यह हालात तब हैं जब शहर भर अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में सोचा जा सकता है कि आरटीओ हादसों को लेकर गंभीर है।
एक हफ्ते में हुए इतने हादसे
डेट हादसे
14 अक्टूबर - 3 की मौत
15 अक्टूबर - 2 एक की मौत, एक घायल
16 अक्टूबर - 0
17 अक्टूबर -1 घायल
18 अक्टूबर- 2 घायल
19 अक्टूबर -1 एक की मौत
20 अक्टूबर - 2 घायल
इतने लोग गवां चुके है जान
साल - मृतक - घायल
2016 - 475 - 905
2017 - 467 - 914
2018 - 484 - 907
2019 - 238 - 452
सात दिनों में दो की मौत
इन सात दिनों में 10 रोड एक्सीडेंट हुए जिसमें दो लोगों की जान चली गई, जिन दो लोगों की मौत हुई उन्होने कार ड्राइव करते समय सीट बेल्ट नही लगाई थी।
इन विभागों की थी जिम्मेदार
शासन की ओर से परिवहन और ट्रैफिक विभाग को डिस्ट्रिक्ट में अभियान चलाकर लोगों को यातायात के नियमों का पालन करने के लिए जागरूक करना था, लेकिन किस प्रकार लोग अवेयर हुए यह सड़क हादसे के आंकड़े बयां कर रहे हैं।
सड़क सुरक्षा सप्ताह को लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन लोग अवेयर नही हैं। जिस कारण हादसे का ग्राफ बढ़ा है। फिलहाल विभागीय प्रयास मे कोई कमी नही हैं।
-आरपी सिंह, एआरटीओ प्रशासन