वाशिंगटन (पीटीआई)। संयुक्त राज्य अमेरिका के कई अस्पतालों में कोविड ​​-19 पॉजिटिव मरीजों के इलाज में मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल जारी है। मेडिकल प्रकाशन, एमडीएज ने शुक्रवार को बताया कि अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के इलाज के लिए पहले हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) का इस्तेमाल किया जाता है। फिर मरीज को टोसिलिज़ुमब दवा दी जाती है। ये परीक्षण येल न्यू हेवन हेल्थ सिस्टम के जरिए हो रहा, जो कई अस्पतालों का संचालन करती है।

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा सस्ती और अच्छी

भारतीय अमेरिकी हृदय रोग विशेषज्ञ निहार देसाई ने चिकित्सा प्रकाशन को बताया, "हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा वायरस के इलाज में कारगर है। यह सस्ती है, इसका उपयोग दशकों से किया जा रहा है, और लोग इस दवा को लेकर काफी सहज महसूस करते हैं।' देसाई ने एमडीएज को बताया, "हम जो कर सकते हैं, हम उसे करने की कोशिश कर रहे हैं। एक उम्मीद है कि हमें इस तरह (कोरोनोवायरस महामारी) से फिर कभी नहीं गुजरना पड़ेगा।"

अमेरिका में मिली अनुमति

रिपोर्ट में कहा गया है कि उनका गृह संस्थान, येल न्यू हेवन अस्पताल, कोविड-19 रोगियों से लगभग आधा भरा हुआ है। यहां 400 से ज्यादा मरीज हैं। शुक्रवार को यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कोविड 19 मरीजों के इलाज के लिए एंटी वायरल वायरल रेमडीसिविर के उपयोग की अनुमति दे दी है। इसी के साथ कोरोना पेशेंट के इलाज के लिए एफडीए की तरफ से ईयूए पाने वाली पहली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन हो गई।

ट्रंप काफी समय से इसके पक्ष में हैं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ॥ष्टक्त के उपयोग के पैरोकार रहे हैं, जिन्होंने कथित तौर पर न्यूयॉर्क और कई अन्य स्थानों पर रोगियों को ठीक किया है। रिपोर्टों से पता चलता है कि मलेरिया की दवा कोरोनोवायरस से संक्रमित व्यक्ति के शुरुआती चरणों में प्रभावी रही है, लेकिन इससे दिल की बीमारियों के लिए खतरा है। ट्रम्प के अनुरोध पर, भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को 50 मिलियन टैबलेट हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन का निर्यात किया था।

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