- SRN हॉस्पिटल के 50 फीसदी डॉक्टर मना रहे summer vacation

- Pending हो गए surgery cases, 16 जुलाई के बाद मिलेगी राहत

ALLAHABAD: अगर आप एसआरएन हॉस्पिटल जा रहे हैं तो थोड़ा रुक जाइए। हो सकता है आपको बेहतर इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ जाए। ऐसा इसलिए कि डॉक्टर साहब छुट्टी पर हैं और एक वीक के बाद ही लौटेंगे, ऐसे में आप भी इंतजार करिए। जी हां, हॉस्पिटल के डॉक्टर्स इस समय समर वैकेशन मना रहे हैं और वह भी सामूहिक रूप से। इसके चलते मरीजों को जहां ओपीडी में दिक्कत महसूस हो रही है वहीं सर्जरी के केसेज भी बड़ी संख्या में पेंडिंग होते जा रहे हैं।

भ्0 फीसदी गए छुट्टी पर

यह सीजन भी ऐसा है कि एक साथ कई खतरनाक बीमारियों ने लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। ऐसे में अगर ओपीडी में डॉक्टर नहीं मिले तो कैसा लगेगा। रीजन के सबसे बड़े हॉस्पिटल एसआरएन के भ्0 फीसदी डॉक्टर्स के एक साथ समर वैकेशन पर चले जाने से मरीजों को ऐसी ही प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है। नियमानुसार हर साल डॉक्टर्स को दो महीने की समर वैकेशन मिलती है। इनमें से भ्0-भ्0 फीसदी डॉक्टर एक-एक महीने के लिए छुट्टी पर जाते हैं। नियमानुसार भले ही सबकुछ सही हो लेकिन अचानक इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टर्स के नदारद रहने से मरीजों को प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है।

क्म् जुलाई तक चलेगी क्राइसिस

वर्तमान में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में लगभग क्ख्0 डॉक्टर्स तैनात हैं। इनमें से पचास फीसदी छुट्टी पर गए हैं, जो क्म् जुलाई को वापस ड्यूटी ज्वाइन करेंगे। सबसे ज्यादा दिक्कत आर्थोपेडिक और सर्जरी के मरीजों को हो रही है। इनमें से कई केसेज क्रिटिकल हैं, जिनको फटाफट ट्रीट किया जाना जरूरी है। मजबूरन इनको भी टाला जा रहा है। बता दें कि केवल सर्जरी विभाग में कुल क्7 डॉक्टर हैं और इनमें से 9 इस समय समर वैकेशन पर हैं। बचे आठ डॉक्टर्स के कंधों पर सैकड़ों मरीजों की जिम्मेदारी है। इसी तरह एनेस्थीसिया के डॉक्टर्स के भी वैकेशन पर चले जाने से एसआरएन सहित चिल्ड्रेन और एमडीआई हॉस्पिटल के सर्जरी केसेज में भी दिक्कतें पेश आ रही हैं।

एक वीक लेट हो गई सर्जरी

एसआरएन में कुल सात ऑपरेशन थिएटर हैं। डॉक्टर्स की कमी के चलते इनमें से पचास फीसदी ही रन कर रही हैं। आर्थोपेडिक की एक ही ओटी है, जो पूरी तरह भी वर्क नहीं कर रही है। इसी तरह सर्जरी की दो में से एक ही ओटी चल रही है। ऐसी सिचुएशन में सर्जरी केसेज समय से एक वीक लेट चल रहे हैं। एग्जाम्पल के तौर पर जिनका ऑपरेशन आठ जुलाई को ड्यू था, अब वह क्भ् जुलाई के बाद ही हो सकेगा। स्टाफ की मानें तो मरीजों को इस बारे में बता दिया गया है, जो बहुत इमरजेंसी केस हैं उन्हें ही हैंडिल किया जा रहा है।

इनके लिए कोई चांस नहीं

सबसे ज्यादा दिक्कत सीरियस मरीजों को हो रही है। इनमें हेपेटाइटिस और एचआईवी के मरीज शामिल हैं। इन मरीजों की सर्जरी यूनिवर्सल सेफ्टी के साथ की जाती है। इन केसेज में यूज होने वाले औजारों का दोबारा यूज नहीं किया जा सकता। साथ ही पूरी ओटी का स्टर्लाइजेशन किया जाता है। अब जबकि डॉक्टर्स नहीं हैं तो इन मरीजों को भी टाल दिया गया है।

यह तो गवर्नमेंट का नियम है। हर साल एक-एक महीने के लिए आधे-आधे डॉक्टर्स को समर वैकेशन दी जाती है। ऐसे में क्राइसिस तो है लेकिन केसेज को हैंडिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। क्म् जुलाई के बाद सभी डॉक्टर्स मौजूद रहेंगे।

डॉ। मंगल सिंह, एसआईसी, एसआरएन हॉस्पिटल