नई दिल्ली (एएनआई)। बल्ले के साथ विराट कोहली ने कितने कीर्तिमान स्थापित किए हैं, यह बताने की जरूरत नहीं है। मगर बतौर कप्तान वह कितने सफल हुए हैं। इसके लिए काफी खोजबीन करनी पड़ेगी। विराट के नाम एक भी आईसीसी ट्राॅफी नहीं है। धोनी के कप्तान से हटने के बाद भारतीय फैंस को लगा कि विराट एक बेहतर कप्तान बन सकते हैं मगर आईसीसी टूर्नामेंट में लगातार मिल रही असफलताओं ने कप्तान कोहली को कटघरे में ला खड़ा किया है।

लगातार 3 आईसीसी इवेंट हारे
विराट कोहली ने अब तक तीन आईसीसी आयोजनों में भारत का नेतृत्व किया है - 2017 चैंपियंस ट्रॉफी, 2019 का 50 ओवर विश्व कप और हाल ही में विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (डब्ल्यूटीसी) का फाइनल। इन सभी स्पर्धाओं में भारत अंतिम चरण में पहुंचने में सफल रहा, लेकिन ट्रॉफी हाथ से निकल गई। जून 2017 में, भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी में लगभग सारी बाधाओं को पार कर लिया था, और मेन इन ब्लू खिताब जीतने के लिए पसंदीदा थे। लेकिन इसके बाद जो हुआ वह भुलाया नहीं जा सकता क्योंकि भारत एकतरफा मामले में कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मैच हार गया था।

क्या बैटिंग भी हो रही प्रभावित
विराट कोहली के नेतृत्व में यह पहला आईसीसी खिताब था, इसलिए किसी ने भी इस पर ज्यादा विचार नहीं किया कि पूरे टूर्नामेंट में एक ठोस प्रदर्शन के बाद मेन इन ब्लू ट्रॉफी को घर क्यों नहीं ला सका। लेकिन दो और मौके आए और गए, और अब यह पूछना उचित है कि क्या सीनियर टीम को एक अलग कप्तान की जरूरत है। कोहली को अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देने की अनुमति दी जाए? नहीं भूलना चाहिए, टेस्ट क्रिकेट में आखिरी बार शतक बनाए हुए उन्हें 500 से ज्यादा दिन हो गए हैं। विराट ने अपना आखिरी शतक अगस्त 2019 में लगाया था। तब से 15 पारियों में, उन्होंने 8 अर्द्धशतक लगाए मगर तीन फिगर तक नहीं पहुंच सके।

फैसले पड़ रहे भारी
2019 वर्ल्डकप में भारत को न्यूजीलैंड ने मैनचेस्टर में 50 ओवर के विश्व कप सेमीफाइनल में हराया और इसी कीवी टीम ने बुधवार को फिर डब्ल्यूटीसी फाइनल में टीम इंडिया को करारी शिकस्त दी। 50 ओवर के सेमीफाइनल और डब्ल्यूटीसी फाइनल दोनों में, भारत की बल्लेबाजी फ्लाॅप रही। इन दोनों मुकाबले में कोहली भी नहीं चले। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में हार की वजह सही प्लेइंग इलेवन भी नहीं थी। भले ही डब्ल्यूटीसी फाइनल का शुरुआती दिन धुल गया हो? चूंकि टॉस नहीं हुआ था, भारत के पास प्लेइंग इलेवन को फिर से देखने का मौका था, लेकिन टीम प्रबंधन ने ऐसा नहीं किया। अंत में, ऐसा लग रहा था कि दो स्पिनरों के बजाय एक अतिरिक्त बल्लेबाज को खेलने से भारत को 20-30 रन और बनाने में मदद मिल सकती थी। शायद धोनी और रहाणे के हाथों में कप्तानी होती तो वह टीम बदलने पर विचार कर सकते थे। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि न्यूजीलैंड ने अपने खेमे में एक भी स्पिनर को शामिल नहीं किया था जबकि भारत दो स्पिनर्स के साथ खेल रहा था।

आगे की चुनौती से तय होगा भविष्य
पिछली बातों को भुलाकर आगे के कार्यक्रम पर नजर डालें तो टीम इंडिया के सामने अब टी-20 वर्ल्डकप की चुनौती है। अब टीम इस बात को स्वीकार करती है या नहीं, मगर खिलाड़ियों पर वास्तव में एक बड़ा खिताब जीतने का दबाव होगा, और बतौर कप्तान कोहली के लिए शायद खुद को साबित करने की यह आखिरी परीक्षा होगी। रैंकिंग में नंबर एक होना कुछ दिनों के लिए अच्छी बात है, लेकिन अंत में, हर कोई एक कप्तान को याद करता है कि उसके पास कितनी ट्राफियां हैं, जिसमें विराट पूरी तरह से फेल होते नजर आ रहे हैंं।

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